कमीशन के चक्कर में अटक गए पोल
- 2010 में मोहद्दीपुर में पोल फैक्ट्री बनाने के लिए चिन्हित हुई थी जमीन
- गोरखपुर के ग्रामीण अंचल में पोल की भारी किल्लत - बजट मिलने के बाद भी भूमि पूजन तक नहीं हो पाया GORAKHPUR : जनता जब दबाव बनाती है तो सरकारी विभाग योजना बनाते हैं। लेकिन कमीशन के चक्कर में योजनाएं सालों घिसती रहती हैं। अफसरों की लापरवाही से फाइलें धूल फांकती रहती हैं और समस्या जस की तस बनी रहती है। जिले में बिजली के खंभों की कमी पूरी करने के लए 2011 में एक योजना बनी। इसके तहत मोहद्दीपुर में पोल फैक्ट्री बनाई जानी थी। जैसे ही अफसरों को लगा कि यह पोल फैक्ट्री के बन जाने से पश्चिमी लखनऊ से आने वाले पोल में तय कमीशन में कहीं कटौती न हो जाए और पूरी योजना फाइलों में दब कर रह गई। हजारों की है कमीगोरखपुर जिले में बिजली सप्लाई के लिए विभाग ने चार तरह के पोल लगाए हैं। पूरे जिले में पोल की भारी कमी है। शहरी एरिया में पोल की कमी के कारण तार झूल रहे हैं तो ग्रामीण एरिया में लोग बांस-बल्ली के सहारे घरों में उजाला हो रहा है। चीफ इंजीनियर कार्यालय की मानें तो गोरखपुर जिले में लगभग 1.36 लाख पोल की कमी है। ग्रामीण अंचल में लगभग 1 लाख पोल और 36 हजार पोल की शहरी इलाकों में कमी है।
बनती फैक्ट्री तो दूर होती किल्लत मोहद्दीपुर सब स्टेशन और ग्रामीण अंचल के एसई ऑफिस के बीच में बिजली विभाग की खाली पड़ी जमीन पर जून 2011 में टीम ने आकर सर्वे किया था। जमीन चिन्हित होने के साथ रामगढ़ताल से पानी लाने के लिए रास्ता भी चिन्हित कर लिया गया था, लेकिन सर्वे के बाद ही फाइल बंद हो गई। एक रिटायर्ड अधिकारी का कहना है कि अगर यहां पोल फैक्ट्री लग जाती तो जिले में पोल की कमी दूर हो जाती। फैक्ट्री से स्थानीय नागरिकों को रोजगार भी मिलता। कॉर्पोरेशन के स्टोर अफसर का कहना है कि इस समय ग्रामीण अंचलों में केंद्र और राज्य सरकार की कई योजनाएं चल रही हैं। बरहुआं से बनने वाला पोल ग्रामीण अंचल में चला जा रहा है। जिसके कारण शहर में पोल की भारी कमी हो गई।