मौसम में बदलाव का असर अब बच्चों की सेहत पर पडऩे लगा है. सरकारी अस्पतालों में वायरल निमोनिया और पीलिया से पीडि़त बच्चों की संख्या बढ़ती जा रही है. बीआरडी मेडिकल कॉलेज के 458 बेड वाले बच्चों के वार्ड इन दिनों फुल चल रहे हैं. इन पेशेंट्स में ठंडक में मिलने वाले राइनो और रेस्पिरेटरी सीनसीटियल आरएसवी वायरस मिल रहे हैं जो आम तौर पर अक्टूबर और नवंबर में मिलते हैं. इसकी वजह से पेशेंट्स को एडमिट करने की जरूरत पड़ रही है.


गोरखपुर (ब्यूरो)। डॉक्टर्स के मुताबिक, पिछले साल हुई कम बारिश का असर बच्चों को बीमार कर रहा है। बाल रोग विभाग की ओपीडी में बच्चों की संख्या बढ़ती जा रही है। बीआरडी के बाल रोग विभाग में दो माह पहले जहां 100 से 150 पेशेंट्स की ओपीडी होती थी, वहीं अब यह संख्या बढ़कर 300 के आसपास पहुंच गई है। चिंता की बात यह है कि इनमें वायरल निमोनिया और पीलिया से ग्रसित बच्चे इलाज के लिए आ रहे हैं। निमोनिया का मौसम नहीं


बीआरडी मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ। कुलदीप ने बताया कि मौसम में हुए बदलाव के कारण वायरल के निमोनिया के पेशेंट इस मौसम में मिल रहे हैं। जबकि, यह मौसम निमोनिया के लिए नहीं है। प्रारंभिक जांच में निमोनिया के राइनो और आरएसवी वायरस मिले हैं, जो बच्चों को सांस लेने में ज्यादा तकलीफ दे रहे हैं। ऐसे बच्चों को भर्ती करने की जरूरत पड़ रही है। इसके अलावा इनके फेफड़े के एक्स-रे में बड़े लोगों जैसे पैच मिल रहे हैं, जो ज्यादा चिंता की बात है।जांच के लिए आरएमआरसी भेजा गया सैंपल

बीआरडी मेडिकल कॉलेज के बाल रोग एचओडी डॉ। भूपेंद्र शर्मा ने बताया कि इस मौसम में निमोनिया के पेशेंट्स का का मिलना चिंताजनक है। इसे लेकर निमोनिया पीडि़त बच्चों का सैंपल लेकर रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर (आरएमआरसी) भेजा गया है। आरएमआरसी में जांच के बाद यह पता चल पाएगा कि वायरस में बदलाव तो इसका कारण नहीं है। क्योंकि, अमनून निमोनिया के पेशेंट अक्टूबर के बाद मिलते है।न्यू बोर्न बेबी में वायरल निमोनिया के मामले बढ़ेडॉ। भूपेंद्र शर्मा ने बताया कि मेडिकल कॉलेज में मौजूदा समय में 90 से 100 के बीच न्यू बोर्न बेबी भर्ती हैं। इनमें वायरल फीवर और पीलिया की समस्या अधिक है। कुछ में वायरल निमोनिया के भी लक्षण मिले हैं। इसके अलावा ओपीडी में भी वायरल फीवर के पेशेंट आ रहे हैं।बच्चों को सांस लेने में हो रही है दिक्कतबीआरडी मेडिकल कॉलेज में भर्ती कुछ बच्चों को सांस लेने में परेशानी की शिकायत मिली है। इन बच्चों की जांच की गई है तो पता चला कि इनमें वायरल निमोनिया का असर ज्यादा मिला है। इसके अलावा फेफड़े भी संक्रमण की चपेट में हैं। इनकी जांच की गई तो निमोनिया के वायरस मिले हैं। इनका इलाज किया जा रहा है। राहत की बात यह है कि इससे किसी बच्चे की मौत नहीं हुई है।

Posted By: Inextlive