आस्था रहे कायम, टूटे अंधविश्वास
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GORAKHPUR: धर्म आस्था का प्रतीक है, अंधविश्वास के लिए इसमें कोई जगह नहींहै। धर्म के नाम पर अंधविश्वास को बढ़ावा किसी भी रूप में स्वीकार्य नहींहै। जब तक पढ़े लिखे लोग पहल नहींकरेंगे तब तक अंधविश्वास दूर नहींहोगा। इसके लिए जरूरी है कि सभी धर्र्मो के धर्मगुरु आगे आएं और अंधविश्वास पर चोट करें। जब आई नेक्स्ट ने सैटर्डे को 'पीके खड़ा बाजार में' कैंपेन पर दैनिक जागरण कार्यालय में ग्रुप डिस्कशन कराया तो शहर की नामी हस्तियों के विचारों के मंथन में यही निकला कि हमें आस्था को बढ़ावा देना चाहिए, न कि अंधविश्वास को। इस मंथन से सबसे बड़ी बात यह निकल कर आई कि जब तक हम एजुकेटेड नहींहोंगे तब तक कुछ लोग अंधविश्वास के नाम पर अपना बाजार चलाते रहेंगे। इसे रोकने के लिए जरूरी है कि हमारी तर्क करने की क्षमता विकसित हो, ताकि हम सही और गलत का फर्क जान सकें।डॉ। भारत भूषण सिंह (अध्यक्ष, ललित कला एवं संगीत विद्या)
धर्म में अंधविश्वास की कोई जगह नहींहै। विश्वास की अतिरेकता ही अंधविश्वास को जन्म देती है। जब हम जागरूक होंगे तभी धर्म के नाम पर फैले बाजारवाद को खत्म किया जा सकेगा। धर्म समाज को अनुशासन और साथ रहना सिखाता है। मेरा मानना है चढ़ावे को प्रतिबंधित कर देना चाहिए। अंधविश्वास को खत्म करने लिए समाज को ही पहल करनी होगी।
जीएन सिंह (सीनियर विजिलेंस ऑफिसर, एनईआर) मेरा मानना है कि कर्म ही पूजा है। धर्म के नाम फैले अंधविश्वास को खत्म करने लिए जरूरी है हम ही जागरूक हों। रोड्स पर मंदिर या मजार बनाना ठीक नहींहै। इसके लिए उन्हें प्रॉपर प्लेस दिया जाना चाहिए। धर्म समानता और एकरूपता की सीख देता है। देखा जाता है कि कुछ धार्मिक स्थलों पर कुछ लोगों को वीआईपी ट्रीटमेंट दिया जाता है। यह गलत है। गॉड की नजरों में सभी एक हैं तो फिर यह भेदभाव और अंधविश्वास क्यों? पं। नरेंद्र उपाध्याय (ज्योतिाषाचार्य)लोगों ने अपनी सुविधा के हिसाब से धर्म की बातों को तोड़ा मरोड़ा है। यही वजह है कि कुछ लोग धर्म के नाम पर अंधविश्वास को बढ़ावा दे रहे हैं और उसका मिसयूज कर रहे हैं। नेचर ने हमें बहुत कुछ दिया और उन सबका अपना महत्व है। इन्हीं में से हैं ग्रह और रत्न। धर्म और ज्योतिष का संबंध विज्ञान से है। जैसे विज्ञान में कई शोध अनुमान आधारित होते हैं वैसे ही ज्योतिष में भी अनुमान का महत्व है। यह बात अलग है कि कुछ लोग इसको लेकर समाज को गुमराह करते हैं। इसको दूर करने के लिए जरूरी है लोगों को इसके बारे में एजुकेट किया जाए, न कि भ्रम फैलाया जाए।
पुरुषोत्तम यादव (अध्यक्ष प्राइवेट आईटीआई वेलफेयर एसोसिएशन) लोग आज धर्म के नाम पर अपना कारोबार फैला रहे हैं। अपने लाभ के लिए वे ही अंधविश्वास को बढ़ावा दे रहे हैं। लोग अंधविश्वास से दूर रहें, इसके लिए जरूरी है कि उनमें तर्क करने की क्षमता का विकास हो। यह विकास तभी होगा जब वे शिक्षित होंगे। मेरा मानना है इसके लिए हमें घर से पहल करनी चाहिए। साथ ही बच्चों को छोटी उम्र से ही नैतिक शिक्षा दी जानी चाहिए, जिससे वे समाज को अंधविश्वास के खिलाफ जागरूक कर सकें। राजीव कुशवाहा (सहायक लेखाकार, जीएमसी) धर्म हमारी सांस्कृतिक विरासत है। धर्म का अर्थ है धारण करना, लेकिन समाज में कुछ तत्व अपने लाभ के लिए इसका दुरुपयोग कर रहे हैं। भेदभाव से ही समाज में अंधविश्वास फैलता है। सर्वशक्तिमान ने सबको बराबर बनाया है तो फिर धार्मिक स्थलों पर वीआईपी दर्शन की व्यवस्था क्यों? यह सरासर भगवान का निरादर है। उसकी नजर में सब एक हैं। यह सब बंद होना चाहिए। ृ डॉ। कनक मिश्रा (एसोसिएट प्रोफेसर सरस्वती विद्या मंदिर पीजी कॉलेज)धर्म के नाम पर जो कारोबार किया जा रहा है वह सरासर गलत है। सभी धार्मिक स्थलों के आसपास जो मार्केट फैल रहा है, उससे ही बाजारवाद फैल रहा है। वे डर दिखाकर लोगों को मजबूर करते हैं कि वे उनकी ही वस्तुएं खरीदें। कई जगह तो देखा गया है वहां प्रसाद तक बिकते हैं। धर्म और धन को अलग अलग रखने की जरूरत है। यही वजह है कि समाज में अंधविश्वास फैल रहा है। इसे रोकने के लिए जरूरी है लोग अपनी आवाज उठाएं
अरुण अग्रहरि (अध्यक्ष महानगर कांग्रेस कमेटी) कोई भी धर्म गलत राह पर जाने से रोकता है। धर्म अनुशासन सिखाता है। आज धर्म के नाम पर दुनिया में जो अराजकता फैली है उसे रोकना होगा। आस्था धर्म का हिस्सा है, अंधविश्वास नहीं। कुछ लोग अपने लाभ के लिए धर्म के नाम पर अंधविश्वास को बढ़ावा दे रहे हैं, साथ ही बाजारवाद ने इस आग में घी का काम किया है। यह बाजारवाद पूरी तरह डर पर आधारित है। इस तरह के अंधविश्वास को रोकने के लिए जरूरी है कि धार्मिक स्थलों पर आने वाले धन के सोर्स पर नजर रखी जाए। अजय मिश्रा (प्रदेश महासचिव, युवा कांग्रेस)कर्म करना और जिम्मेदारियों को उठाना भी भगवान की अराधना है। अपना कर्म करना ही सच्ची पूजा है। समाज में जब तक लोगों को शिक्षित नहींकिया जाएगा, तब तक धर्म के नाम पर अंधविश्वास को दूर नहींकिया जा सकेगा। हर धर्म का सम्मान ही मानवता है। यही हर धर्म का सार भी है।
राजीव गुप्ता (निदेशक, स्टेपिंग स्टोन इंटर कॉलेज) मेरा मानना है शिक्षा से अंधविश्वास के बाजारवाद को खत्म किया जा सकता है। कुछ लोग अपने निजी लाभ के लिए धर्म के नाम पर अंधविश्वास को बढ़ावा देते हैं। धार्मिक स्थल आस्था का केंद्र हैं न कि अंधविश्वास का। मेरा मानना है कि हमें मनोरंजन के नाम पर देवी देवताओं का मजाक नहींउड़ाना चाहिए। कुछ ढोंगियों ने जो बाजारवाद फैलाया है, उसके लिए सभी को दोषी नहींठहराया जा सकता है।