फिर ऑफलाइन हो गया आरटीओ
- परमानेंट डीएल के लिए फिर शुरू हो गई ऑफलाइन की व्यवस्था
- ऑनलाइन होने के बाद से एक्चुअल रेट पर बनाना पड़ रहा था डीएल - सिर्फ परमानेंट लाइसेंस के अप्लीकेंट की सुविधा की है आरटीओ को फिक्र GORAKHPUR: शासन के निर्देश और काफी मशक्कत के बाद आरटीओ में शुरू हुई ऑनलाइन व्यवस्था फिर बंद हो गई है। आरटीओ के कहने पर एक बार फिर यहां परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस के लिए ऑफलाइन व्यवस्था शुरू कर दी गई है। इससे पहले आरटीओ ने ही लर्निग डीएल से लेकर परमानेंट तक के लिए ऑनलाइन की व्यवस्था शुरू कराई थी। लेकिन इसके कुछ ही दिन बाद इस व्यवस्था को बंद कर दिया गया। वहीं, आरटीओ अधिकारियों का कहना है कि अप्लीकेंट चाहें तो ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से फॉर्म भर सकते हैं। नहीं हो पा रही थी सेटिंगआरटीओ के सूत्रों के मुताबिक ऑनलाइन व्यवस्था शुरू होने के बाद यहां होने वाली वसूली की सेटिंग नहीं हो पा रही थी। इससे अप्लीकेंट एक्चुअल फीस जमा करके ही लाइसेंस हासिल कर ले रहे थे। बीते दिनों ऑनलाइन व्यवस्था के बाद भी अप्लीकेंट्स से कैश फीस लेकर एक ही आईडी से सबकी फीस जमा करने का मामला भी उजागर हुआ था। लेकिन इसके बाद आरटीओ ने एक बार फिर नया निर्देश जारी करते हुए ऑफलाइन की व्यवस्था शुरू करा दी।
तो फिर क्यों किया ऑनलाइन अधिकारियों का कहना है कि अप्लीकेंट की सुविधा को देखते हुए यह व्यवस्था शुरू कराई गई है। अधिकारी तो ये भी कह रहे हैं कि ऑनलाइन करने के लिए शासन से कोई सर्कुलर जारी नहीं हुआ था, इसलिए इसे बंद करा दिया गया। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि फिर ऑनलाइन की व्यवस्था शुरू ही क्यों कराई गई। अगर आरटीओ ने खुद से यह फैसला लिया भी तो इससे यहां होने वाली दलाली और वसूली पर काफी हद तक अंकुश भी लगा था। लेकिन इसे शुरू होते ही बंद करा दिया गया। सिर्फ लर्निग के लिए नियमऐसे में अगर आरटीओ को अपने अप्लीकेंट्स की सुविधा की इतनी ही चिंता है तो फिर हैरानी वाली बात है कि यह सारी चिंताएं सिर्फ परमानेंट लाइसेंस के ही अप्लीकेंट्स के लिए क्यों है। अधिकारियों के मुताबिक इस व्यवस्था को इसलिए बंद करा दिया गया कि बहुत सारे अप्लीकेंट्स को ऑनलाइन फीस जमा करने में दिक्कत हो रही थी। लेकिन हकीकत ये है कि सबसे ज्यादा दिक्कत तो लर्निग लाइसेंस के अप्लीकेंट्स को फीस जमा करने और ऑनलाइन टेस्ट देने में हो रही है। यहां बहुत से अप्लीकेंट ऐसे भी आ रहे हैं, जिन्हें टेस्ट देना तो दूर कंप्यूटर का माउस पकड़ना भी नहीं आता। लेकिन लर्निग अप्लीकेंट्स के लिए आरटीओ अधिकारियों की ओर से इस तरह की कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की जा रही।
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