मां कालिका का दर्शन कर मांगी मुराद
- सरयू नदी के तट पर बारानगर में है मां का प्रसिद्ध मंदिर
- नवरात्रि के अंतिम दिन उमड़ी भक्तों की भीड़ GOPALPUR: गोला क्षेत्र के बारानगर गांव में सरयू नदी के तट पर स्थित मां कालिका मंदिर में नवरात्रि के अंतिम दिन भक्तों की भीड़ उमड़ी। यह मन्दिर यहां के लोगों की आस्था का केन्द्र है। लोगों का मानना है कि मां कालिका के दर्शन मात्र से ही सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। नदी में बहकर आया था पिंडमन्दिर के बारे बारे में यहां के लोगो का कहना है कि मल्लाह गांव के लोगों को नदी रोज पार कराते थे। उस समय नदी यहां से काफी दूर बहती थी। एक दिन मल्लाहों को नदी के समीप एक पिंड बहता दिखाई दिया। नजदीक जाने पर उसमें माता का रूप नजर आया। मल्लाहों ने पिंड को अपने गांव में स्थापित कर दिया। इसके उपरान्त मल्लाहों की नावें नदी नहीं पार कर पा रही थीं। मल्लाह परेशान हो गये। उसी समय गांव के शिवमंगल मल्लाह ने रात्रि में एक स्वप्न देखा कि माता अपने पिंड को दूसरे स्थान पर स्थापित करने के लिये कह रही हैं। तब ग्रामीणो ने पिंड को गांव के बाहर जंगल में स्थापित कर दिया।
नदी की बदल गई धाराकहा जाता है कि पिंड स्थापित होने के बाद से ही सरयू नदी की धारा बदल गई और वह माता के पिंड के बगल से बहने लगी। इसके बाद आसानी से मल्लाह अपनी नावों को उस पार ले जाने लगे। बारानगर की प्राचीन कालिका मंदिर के समय यहां घना जंगल हुआ करता था। यहां पर घूमते हुए बोधी बाबा पहुंचे और तपस्या प्रारम्भ कर दिए वे गांव-गांव भीख मांगकर एक हनुमान मंदिर व भव्य धर्मशाला आदि बनवाए। उनके दिवंगत होने के बाद यहां पर एक समाधि स्थल भी बना है।
दर्शनीय है कालिका मन्दिर सरयू तट पर मां कालिका का मन्दिर सुन्दर तीर्थ स्थल हो गया है। यहां पर कई धर्मशाला बन गए हैं। यहां पर रोज भीड़ लगी रहती है। पूजा-पाठ, कथा-कड़ाही, मुंडन, उपनयन व अनेक मांगलिक कार्यक्रम यहां होते रहते हैं। कालिका मंदिर के बगल में समय माता का सुंदर व भव्य मंदिर है। जिसे गांव के लोगों ने मिलकर बनवाया है। मंदिर का वर्तमान स्वरूप 2013 से है।