Gorakhpur News : सीपी के शिकार बच्चों की हो सकेगी पीडियाट्रिक फिजियोथिरेपी
गोरखपुर (ब्यूरो)। पिछले कई वर्षो से सेरेब्रल पाल्सी के शिकार बच्चों के इलाज की सुविधा जिला अस्पताल में मौजूद थी, लेकिन उनके फिजियोथिरैपी के लिए उन्हें बाहर जाना पड़ता था, लेकिन अब जिला अस्पताल में ही उन्हें यह सुविधा मिल जाएगी, जिससे उन्हें बाहर जाकर परेशान नहीं होना पड़ेगा। कमजोर शरीर पर फिजियोथैरेपी का मजबूत असरजिला अस्पताल में सेरेब्रल पाल्सी के शिकार बच्चे प्रतिदिन 8-10 मरीज आते हैैं। फिजियोथिरेपिस्ट डॉ। रविंद्र ओझा ने बताया कि सेरेब्रल पाल्सी असल में न्यूरोलॉजिकल स्थितियों का एक समूह है, जो बच्चो में मोटर स्किल्स, शरीर के संचालन और मांसपेशियों को प्रभावित करता है। इस स्थिति की वजह से देखने, सुनने और सीखने की क्षमता में बाधा आने लगती है। सेरेब्रल पाल्सी की स्थिति हर 1000 बच्चों से 2-3 बच्चों को प्रभावित कर सकती है। दिमाग को पहुंचती है क्षति
उन्होंने बताया कि इसका मुख्य कारण है जन्म के पहले या जन्म के दौरान नवजात या भ्रूण के दिमाग को या फिर 5 वर्ष की उम्र के पहले बच्चे के दिमाग को किसी कारण से क्षति पहुंचती है। यह क्षति संक्रमण के कारण भी हो सकता है। या फिर मां के स्वास्थ्य का अच्छा न होना, जेनेटिक डिसॉर्डर, म्यूटेशन, स्ट्रोक, डिलीवरी का सही तरीके से न हो पाना आदि भी इसके पीछे हो सकते हैं। समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चे यानी प्रीमैच्योर बेबीज, जिनका वजन 3.3 पौंड से भी कम होता है, उनमें इस स्थिति की आशंका बढ़ सकती है। इसके अलावा नवजात अवस्था में दिमाग पर लगी कोई चोट, लैड पॉइजनिंग, बैक्टीरियल मैनिंजाइटिस या दिमाग को ठीक से खून न मिलने पर भी यह अवस्था सामने आ सकती है। इस स्थिति के कई प्रकार हो सकते हैं और उनके हिसाब से ही इसके इलाज की रूपरेखा तय की जाती है।सात माह के बच्चे का हो रहा इलाजउन्होंने बताया कि हमारे पास एक 7 माह का सीपी (सेरेब्रल पाल्सी) बच्चा आ रहा है। इस उम्र में मांसपेशियों को बड़ी आसानी से सही रूप में ढाला जा सकता है। इस बच्चे को क्रॉलिंग करवाने, हाथों का संचालन करवाने, शरीर को मोड़कर घोड़ा बनाने या रंग-बिरंगे खिलौने, पेन आदि पकड़ा कर उनकी मोटर स्किल का विकास करवाने जैसी एक्सरसाइज करवाई जाती हैं। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है मांसपेशियों पर उतनी ही मेहनत ज्यादा करनी पड़ती है। यह हमेशा ध्यान रखें कि जल्दी थैरेपी शुरू करने से जितनी पॉवर शुरुआत से बच्चे के पास होती है उतनी ही प्रतिशत रिकवरी हो सकती है।