हाथ में ड्रीप लिए बेटी के इलाज के लिए भटकता रहा पिता
-जिला अस्पताल की ओपीडी से नहीं मिला स्ट्रेचर
-बेटी को लेकर पिता इधर-उधर विभागों का लगाता रहा चक्कर - अस्पताल प्रशासन के जिम्मेदारों ने नहीं दिया ध्यानGORAKHPUR: स्वास्थ्य सुविधाओं की बेहतरी का दावा करने वाला जिला अस्पताल प्रशासन पूरी तरह से निरंकुश हो गया है। उन्हें अस्पताल में आने वाले मरीजों की बिल्कुल परवाह नहीं है। आला अफसर दफ्तर में बैठकर सिर्फ बेहतर हेल्थ के दावे कर रहे हैं लेकिन अव्यवस्था का आलम गुरुवार को देखने को मिला। एक पिता अपने बेटी के साथ हाथ में ड्रीप पकडे़ ओपीडी पहुंचा लेकिन यहां पर किसी ने भी संज्ञान नहीं लिया। बेटी पेट दर्द से कराह रही थी और पिता इलाज के लिए इधर-उधर भटकता रहा। इतना नहीं इमरजेंसी तक जाने के लिए उसे स्ट्रेचर तक नहीं मिला। लड़की के हाथ में लगे इंट्राकैप की पाइप के रास्ते ब्लड ऊपर की तरफ चढ़ रहा था। लेकिन किसी का ध्यान उस तरफ नहीं गया।
कर्मचारियों को भी नहीं आया तरसचिलुआताल एरिया के जगतबेला निवासी बृजमोहन की 13 वर्षीय बेटी शशिकला के पेट में तेज दर्द उठा और वह छटपटाने लगी। उसकी हालत देखकर परिजनों ने उसे कौडि़या स्वास्थ्य केंद्र पर भर्ती करवाया। डॉक्टर्स ने उसकी हालत गंभीर बताते हुए जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया। बृजमोहन अपनी बेटी के साथ ऑटो से जिला अस्पताल के ओपीडी में पहुंचे। ओपीडी में मरीजों की काफी लंबी लाइन लगी थी। मरीज इलाज के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे। बेटी के हाथ में ड्रीप लगा हुआ था जिसे बृजमोहन पकड़ हुए थे। यह दृश्य सभी ने देखा मगर किसी ने भी उसे रास्ता नहीं दिया। स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों ने भी उस पर रहम नहीं की। पीडि़त पिता बेटी के साथ इलाज के लिए इधर-उधर भटकता रहा। इस बीच शशिकला पेट दर्द से कराह रही थी। पिता को जब बेटी का दर्द देखा नहीं गया तो वह फौरन हाथ में ड्रीप पकड़े इमरजेंसी की तरफ पैदल ही चल पड़ा। इस संबंध में जब उससे बातचीत की गई तो बृजमोहन का कहना है कि 12 बजे से अस्पताल का चक्कर लगा रहा हूं लेकिन किसी ने भी सहयोग नहीं किया। इसी हालत में इमरजेंसी में आया हूं। फिलहाल दो घंटे इलाज के लिए भटकने के बाद इमरजेंसी में भर्ती किया गया।
वर्जनयह मेरे संज्ञान में नहीं हैं। ओपीडी के पास व्हील चेयर, स्ट्रेचर बराबर उपलब्ध रहता है। हर जगह दीवारों पर सूचना लिस्ट चस्पा की गई है। जिस पर यह लिखा है कि यह सुविधा ओपीडी के एक कमरे में मौजूद है। यहां एक कर्मचारी भी तैनात है। मगर फिर भी इस तरह का मामला सामने आ रहा है तो गलत है।
डॉ। आरके गुप्ता, एसआईसी जिला अस्पताल