दवा नहीं मिला तो एसआईसी दफ्तर में हंगामा
- मेडिकल कॉलेज का ड्रग विभाग दवाइयों से कंगाल
- मरीजों को नहीं मिल रही दवाएं - मरीज के साथ आए तीमारदारों ने वार्ड में दवाइयों की उपलब्धता के बारे में दी जानकारी GORAKHPUR: बीआरडी मेडिकल कॉलेज का ड्रग विभाग में दवाइयों का टोटा है। यह खुलासा तब हुआ जब दवाओं के लिए मरीज के साथ आई महिलाएं एसआईसी दफ्तर पहुंची और दवाइयों की मांग करने लगीं। जब उन्हें दवाइयां नहीं मिली तो उन्होंने हंगामा मचाना शुरू कर दिया। इस दौरान मौके पर स्टाफ नर्स भी मौजूद रहीं। उन्होंने पहले तो दवाओं की उपलब्धता बात की, लेकिन तीमारदार द्वारा जब आपत्ति जताई गई तो वह मौन हो गई। हालांकि मरीज के बीएसटी (बेड हेड टिकट) पर आउट ऑफ स्टॉक दर्ज था। मामले को आगे बढ़ता देख एसआईसी ने उन्हें शांत कराया गया। भगवान भरोसे चल रहा इलाजमेडिकल कॉलेज में इन दिनों दवाइयों के साथ सर्जिकल सामानों का संकट गहरा गया है। इसकी वजह से मरीजों को बाहर भेजा जा रहा है। सोमवार को तो हद ही हो गई। आलम यह है कि नेहरू चिकित्सालय के विभिन्न वार्ड्स से इंडेंट तो भेजे जा रहे हैं, लेकिन ड्रग विभाग में महत्वपूर्ण सामान न होने की वजह से आधा अधूरा सामान देखकर जिम्मेदार अपना पल्ला झाड़ ले रहे हैं। मजबूरन मरीज को प्राइवेट मेडिकल स्टोर जाना पड़ रहा है।
माधुरी ने खोला राज बेलीपार के करजही की रहने वाली 65 वर्षीय अनारी देवी को सांस लेने में परेशानी हो रही थी। उन्हें दो दिन पहले फैमिली मेंबर्स ने मेडिसिन वार्ड नंबर 5 के बेड संख्या 21 पर एडमिट किया। डॉक्टर ने उनका इलाज शुरू किया, लेकिन वार्ड से दवाएं व सर्जिकल सामन नहीं दिए गए। सोमवार को मरीज के बेटी माधुरी मिश्रा अपनी एक बहन के साथ करीब 12 बजे एसआईसी दफ्तर में बीएसटी लेकर पहुंची और दवाइयां व सर्जिकल सामान न मिलने की शिकायत की। इस बीच वार्ड की स्टाफ नर्स के बीच कहासुनी के साथ हंगामा शुरू हो गया। माधुरी का कहना है कि डॉक्टर सिर्फ इलाज के नाम पर पर्ची थमा दे रहे हैं और कहा जा रहा है कि बाहर से दवाएं खरीद कर लाए तभी इलाज संभव है। दवा में खर्च हुए हजारोंअनारी देवी की बेटी माधुरी मिश्रा ने मेडिकल कॉलेज की व्यवस्था का पोल खोलते हुए बताया कि जांच की सुविधा होने के बावजूद भी सभी जांचे बाहर कराई जा रही हैं। साथ ही सिरिंज, इंट्राकैथ, डिपसेट, एनएस आदि जरूरी सामान नहीं मिल रहे हैं। दो दिन के अंदर पांच से सात हजार रुपये खर्च हो चुके हैं।
दवाओं के लिए टेंडर प्रक्रिया होनी है। डिमांड पहले ही भेज दी गई है। जल्द ही समस्याओं को दूर कर लिया जाएगा। डॉ। एके श्रीवास्तव, कार्यवाहक एसआईसी