परिवहन निगम और डग्गामार प्राइवेट वाहन संचालकों के बीच तू डाल-डाल हम पात-पात वाली कहावत एकदम फिट बैठ रही है. निगम ने प्राइवेट वाहनों पर सख्ती बढ़ाई तो उन्होंने किराया ही कम कर दिया.


गोरखपुर (ब्यूरो)। प्राइवेट वाहन संचालक कम किराया कर सवारी ढोने लगे हैं, अधिक किराया होने के चलते पैसेंजर भी रोडवेज की बसों में नहीं बैठ रहे। स्थिति यह है कि स्टेशन परिसर में खड़ी रोडवेज बस की 42 में से 25 सीट नहीं भर पा रहीं, प्राइवेट संचालक एक सीट पर तीन पैसेंजर्स को बैठाकर गंतव्य तक पहुंचा रहे हैं। 100 रुपए में पहुंचा रहे सोनौली


गोरखपुर से सोनौली के बीच रोडवेज का किराया करीब 130 रुपए है, प्राइवेट कार व बस वाले स्टेशन परिसर के सामने से ही 100 रुपए लेकर सोनौली तक पहुंचा दे रहे हैं। यही स्थिति लखनऊ और दिल्ली की है। रोडवेज की बसों में गोरखपुर से लखनऊ का किराया 560 रुपए है। प्राइवेट बस वाले सिर्फ 400 में ही लखनऊ पहुंचा दे रहे। गोरखपुर से दिल्ली का किराया लगभग 1300 रुपए है। प्राइवेट बस वाले 1000 रुपए में ही दिल्ली तक की यात्रा करा दे रहे हैं। जल्दी पहुंचा रहे प्राइवेट संचालक

प्राइवेट वाहन चालक न सिर्फ किराया कम ले रहे, बल्कि रोडवेज की बसों की अपेक्षा कम समय भी ले रहे हैं। एक तो आफ सीजन में रोडवेज को पैसेंजर नहीं मिल रहे, ऊपर से प्राइवेट वाहन वाले उनकी नाक के नीचे से यात्रियों को उठा ले रहे। पिछले सोमवार को ही कचहरी बस स्टेशन पर रोडवेजकर्मियों ने प्राइवेट बस को पकड़कर आरटीओ को सौंपा था। इसके अलावा शिकायत भी की थी, लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही। परिवहन निगम को प्रतिदिन चार से पांच लाख रुपए की चपत लग रही है। डग्गामार वाहनों पर अंकुश नहीं लग पा रहा। प्राइवेट वाहन संचालक गोरखपुर और कचहरी स्टेशन परिसर के पास से पैसेंजर्स को बैठा रहे हैं। एक सीट पर तीन पैसेंजर्स को जबरदस्ती बैठा रहे हैं। 14 डग्गामार वाहनों को पकड़कर कार्रवाई के लिए आरटीओ को सौंपा गया है। - पीके तिवारी, आरएम गोरखपुर रीजन

Posted By: Inextlive