मार्च और अप्रैल का महीना ऐसा है कि इस दौरान घर का बजट बिगड़ ही जाता है. पहले से प्लानिंग न हो तो लाडले की स्कूलिंग के साथ ही घर के जरूरी काम भी प्रभावित हो जाते हैं.


गोरखपुर (ब्यूरो)।अप्रैल की शुरुआत हो चुकी है और इस दौरान स्कूलों में भी नया सेशन शुरू हो चुका है। इनकम टैक्स स्लैब में आने वाले पेरेंट्स जहां टैक्स के बोझ से पहले ही परेशान हैं, वहीं अब बच्चों के एडमिशन का चैलेंज भी उन्हें परेशान करने लगा है। खासतौर पर मिडिल क्लास का बजट पूरी तरह बिगड़ गया है। ऐसे में दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने पेरेंट्स की समस्या को लेकर कैंपेन चलाया। इस कड़ी में गुरुवार को ऑनलाइन सर्वे में कराया, जिसमें पूछे गए सवालों के जवाब में सबसे ज्यादा पेरेंट्स ने आसमान छूती फीस को ही अपनी बड़ी परेशानी बताई है। शिकायत के लिए भी चाहिए फोरम


दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की ओर से ट्वीटर पर सर्वे कराया गया। इसमें लोगों ने अपने फीडबैक भी दिए। 56 परसेंट लोग ऐसे हैं, जो यह मानते हैं कि आसमान छूती फीस लोगों के लिए परेशानी की सबसे बड़ी वजह है। हर साल फीस में इजाफा हो रहा है। वहीं महंगाई भी लगातार बढ़ रही है। ऐसे में लोगों की मुश्किलें बढ़ रही हैं। इसके अलावा 21 परसेंट लोग ऐसे हैं, जो इस मामले को लेकर जिम्मेदारों से शिकायत भी करना चाहते हैं, लेकिन उन्हें ऐसा कोई फोरम नहीं मिल रहा है, जहां जाकर वह शिकायत कर सकें। महंगी होती ड्रेस और किताब भी लोगों की परेशानी की बड़ी वजह है। यह रहा रिजल्ट - फीडबैक इतने परसेंट पब्लिक का मानना है आसमान छूती फीस 56 परसेंट पब्लिकमहंगी ड्रेस महंगी किताबें 16 परसेंट पब्लिकशिकायत के लिए फोरम नहीं 21 परसेंट पब्लिकअफसर सुनवाई नहीं करते 6 परसेंट पब्लिकपब्लिक ने सर्वे में किया कमेंट @kapil20441496 : महंगी शिक्षा अब आम आदमी के वश में नहीं है। घर-घर में भेदभाव सा नजर आने लगा है। सरकारी शिक्षा व्यवस्था को कमजोर कर निजी स्कूलों को मजबूत बनाया जा रहा है।

@nripendrabm710 : नई शिक्षा नीति को सही से लागू करने के लिए उपयुक्त तंत्र का ना होना, जिससे कई समस्याएं पैदा हो रही हैं। मंहगी किताबें, ज्यादा फीस सब इन्हीं की देन हैएक सही सिस्टम बनाना होगा जिससे सारी समस्याएं खत्म हो।@Sanjaybhaigkp : आसमान छूती फीस और मंहगी ड्रेस कॉपी किताबें पेरेंट्स की पीड़ा का कारण है।@thanos3110 : आसमान छूती फीस और मंहगी ड्रेस कॉपी किताबें, शिकायत के लिए फोरम नहीं और अफसर सुनवाई नहीं करते हैं, यही कारण है जिससे पेरेंट्स को प्रॉब्लम होती है। शुरू हो गई नए सेशन की पढ़ाईगोरखपुर में 125 सीबीएसई और 25 सीआईएससीई स्कूल हैं। जहां पर समय से बच्चों की पढ़ाई शुरू हो चुकी है। वहीं नए सेशन में बच्चों के एडमिशन भी स्कूलों में हो रहे हैं। अप्रैल और मार्च में बच्चों के लिए जरूरी कॉपी-किताब, फीस ने हर मध्यम वर्गीय परिवार की कमर तोड़ दी है। बहुत से परिवारों का घर खर्च भी नहीं बच पाया है। ऐसे में उन्हें कर्जदार भी बनना पड़ रहा है। एक सेट डे्रसड्रेस 1500हाउस ड्रेस 1400ट्रैक सूट 1100जूता 500मोजा 100टाई-बेल्ट 300हाईलाइट्स - सीबीएसई स्कूल-125

आईसीएससीई स्कूल- 25
यूपी बोर्ड स्कूल- 489बच्चों की पढ़ाई कराना इस समय सबसे कठिन काम है। लगातार स्कूलों की बढ़ती फीस कमर तोड़ रही है। दूसरी तरफ कॉपी-किताब के बढ़ते रेट जेब ढीली करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। संजय मद्धेशिया, पेरेंट, मानसरोवर नगरघर में अगर दो बच्चे हैं तब सारी ताकत मध्यम वर्गीय फैमिली की बच्चों पर लगती है। सैलरी का अधिकतर हिस्सा बच्चों पर ही खर्च हो जाता है। इसके बाद भी कमी रह जाती है।सोनी पांडेय, पेरेंट, तारामंडल

Posted By: Inextlive