- बेस्ट पेरेंटिंग के लिए पेरेंट्स को अपनी इच्छाओं पर भी लगाना होगा ब्रेक

- पेरेंट्स होते हैं बच्चों के आइडियल, उन्हें ऑब्जर्व कर बच्चा उनकी हरकतों को करता है एडॉप्ट

- वहीं बेहतर ग्रोथ के लिए डेली मील करें प्लान, टिफिन में भी दें राजाना नया मेन्यू

GORAKHPUR: मेरा बच्चा फलां चीज नहीं करता। स्कूल से आने के बाद टीवी पर बैठ जाता है। टीवी देखकर खाना खा लेता है, लेकिन ऐसे नहीं खा पाता। खाने का उसपर कोई असर नहीं हो रहा है। ऐसे तमाम सवाल हैं जो पेरेंट्स को हमेशा ही परेशान करते हैं। उन्हें समझ में नहीं आता कि आखिर वह ऐसा क्या करें, जिससे उनके बच्चे प्रॉपर वे में खाएं-पीएं, पढ़ाई करें और खेलें। मंगलवार को आई नेक्स्ट के पेरेंटिंग टुडे सेमिनार में पेरेंट्स की इन सब प्रॉब्लम का सॉल्युशन मिला। एक्सप‌र्ट्स ने पेरेंट्स को बताया कि असल मायने में पेरेंट्स ही बच्चों के इस हाल के लिए जिम्मेदार हैं। शुरुआती दौर में जब बच्चे स्कूल नहीं जाते हैं तो वह बच्चों को ऐसा करने के लिए मजबूर कर देते हैं, क्योंकि उन्हें खुद टीवी देखना है? मोबाइल में वाट्सएप चलाना है। बच्चों पर ध्यान की बजाए उनका सारा ध्यान आने वाले सीरियल पर है। इसलिए बच्चे की भी वहीं आदत पड़ जाती है। मगर जब वह स्कूल जाता है, तो उसकी वही आदत बनी रहती है। फर्क सिर्फ इतना होता है कि वह स्कूल के दौरान ऐसा न करने के लिए मजबूर होते हैं। पेरेंट्स अगर खुद पर कंट्रोल करें और बच्चों पर ध्यान दें, तो उनके बच्चे को आगे चलकर किसी तरह की प्रॉब्लम फेस नहीं करनी पड़ेगी।

पेरेंट्स की अहम जिम्मेदारी

समाज के निर्माण में बच्चों की अहम भूमिका होती है। बच्चों की सही पेरेंटिंग हो, तभी जाकर स्वस्थ समाज और पर्यावरण का निर्माण हो सकता है। इसमें बच्चों को सबसे ज्यादा तीन चीजें प्रभावित करती हैं। अब संयुक्त परिवार नहीं हैं। जिसकी वजह से उन्हें परिवारिक मूल्यों के बारे में जानकारी नहीं हो पाती। इसके लिए अब सबसे बड़ी जिम्मेदारी पेरेंट्स के ऊपर आ जाती है। पहले ज्वाइंट फैमिली होती थी। दादा-दादी, नाना-नानी और घर के बड़े बुजुर्ग उन्हें नैतिकता का पाठ पढ़ाते थे। मगर अब न्यूक्लियर फैमिली होने की वजह से प्रॉब्लम बढ़ गई है। पेरेंट्स की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है कि वह अपने बच्चों को परंपराओं और सामजिक मूल्यों से परिचय कराएं, जिससे आगे जलकर उन्हें दिक्कतों का सामना न करना पड़े।

पैरेंटिंग की एबीसीडी

डाइट

-बच्चों के फिजिकल और मेंटल ग्रोथ में डाइट की सबसे अहम भूमिका है।

- जहां तक पॉसिबल हो, उन्हें जंक फूड न दें। अगर जिद कर रहे हैं, तो मैगी और नूडल में ग्रीन वेजिटेबल मिलाकर दें।

-डेली टिफिन में भी कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन रिच डाइट दें, ताकि विकास में कोई बाधा न आए।

सोशल बनाएं

- घर का माहौल अच्छा रखें। माता-पिता एक-दूसरे का सम्मान करें।

-पारिवारिक और सामाजिक मूल्यों से परिचय कराएंगे।

- बच्चा किससे मिल रहा है और उसके ग्रुप में कौन लोग हैं इस पर भी ध्यान दें।

बच्चे से दोस्ती करें

- ग्रोइंग एज में बच्चा बहुत सारी चीजें फेस करते हैं। उनके साथ रिलेशन ट्रांसपैरेंट रखें, ताकि वह आपसे अपनी बातें शेयर कर सके।

- बच्चों का बिहैवियर पैटर्न नोटिस करें। अगर अचानक से वह गुमसुम हो जाए या वायलेंट हो जाए तो वजह जानने की कोशिश करें।

- बच्चे के साथ क्वॉलिटी टाइम स्पेंड करें। उसे माता-पिता बनकर नहीं, दोस्त बनकर समझें।

बच्चों की बेहतर पेरेंटिंग के लिए पेरेंट्स को तीन बातों का खास ख्याल रखना चाहिए। पहला कि उन्हें परंपराओं और सामाजिक मूल्यों से परिचय कराएं। अच्छे पड़ोसियों से संबंध बनाएं, क्योंकि बच्चों पर आसपास और माहौल का काफी असर होता है। वहीं उनकी संगत पर भी ध्यान दें और उसकी रेग्युलर मॉनीटरिंग करें।

- डॉ। कीर्ति पांडेय, सोश्योलॉजिस्ट

पेरेंट्स अपनी आकांक्षाओं को बच्चों पर थोप देते हैं। वह खुद तो कुछ कर नहीं पाए, लेकिन बच्चों से उम्मीद करते हैं कि वह मेरिट में नंबर वन आए। टॉप पर रहे। जबकि हकीकत यह है कि सभी बच्चे एक जैसे नहीं होते, उनका दिमाग भी अलग-अलग होता है। इसलिए पेरेंट्स को चाहिए कि वह बच्चों से मित्रवत व्यवहार करें। वह जो परफॉर्मेस दें, उसे एनकरेज करें। इससे वह और बेहतर करने की कोशिश करेगा। वहीं पेरेंट्स उनके साथ क्वालिटी टाइम भी बिताएं, आगे रिजल्ट बेहतर होगा।

- डॉ। अनुभूति दुबे, साइकोलॉजिस्ट

बच्चों को सबसे ज्यादा डेवलपमेंट और ग्रोथ पहले दो साल में होता है। इस दौरान जहां तक पॉसिबल हो, उसे कार्बोहाइट, प्रोटीन रिच फूड देने के साथ ही फैट भी जरूर दें। इसके बाद 6 से 8 साल की उम्र में उसका दोबारा तेजी से ग्रोथ होती है। इस दौरान खास ध्यान नहीं दिया गया, तो बाद में प्रॉब्लम होनी तय है।

- डॉ। यशवीर सिंह, पिडियाट्रिशियन

बच्चों का डेवलपमेंट लाइफटाइम होता है। बच्चों को एक साथ हेवी मील देने के बजाए, 2-2 घंटे में कुछ खाने के लिए देते रहें। साथ ही फाइबरस फूड ज्यादा हो, जिससे कि वह आराम से डाइजेस्ट हो। टिफिन में भी डे बाई डे चेंज करने के साथ ही मीनू प्लान करके देने की जरूरत है।

- डॉ। अंकिता सिंह, डाइटिशियन

Posted By: Inextlive