प्रशासन और पुलिस की लापरवाही व उदासीनता की हद, अनशनकारी की मौत पर जागे अफसर
- जिला अस्पताल से उपचार कराकर लौटा घर
- सीने में दर्द के बाद निकली जान, मचा हड़कंपGORAKHPUR: रोम जल रहा था और नीरो चैन की बांसुरी बजा रहा था कुछ इसी तरह का नजारा इन दिनों गोरखपुर में भी लोगों को देखने को मिल रहा है। तीन महीने पहले एक व्यापारी को दिनदहाड़े सरेआम चारों तरफ से घेर कर गोलियों से भून दिया गया था। महीनों बीत जाने के बाद कुम्भकरणीय नींद में सोयी पुलिस को जगाने के लिए जब परिजनों ने अनशन शुरू किया तो प्रशासन ने उसे भी काफी हल्के में लिया। दो दिनों तक कोई प्रशासनिक अधिकारी अनशन कर रहे पीडि़त परिवार के पास नहीं पहुंचा। एक अनशकारी की तबियत बिगड़ गई तो उसे जिला अस्पताल में एडमिट कराया गया। शाम तक डाक्टर्स ने उसे स्वस्थ बताकर डिसचार्ज भी कर दिया। घर जाते ही कुछ घंटों बाद उसकी मौत हो गई। कमजोर कानून व्यवस्था के कारण सरेआम हत्या, हत्यारों को पकड़ने में लापरवाही, अनशन करने पर जिला प्रशासन के किसी अधिकारी का पहुंचना, तबियत बिगड़ने पर इलाज में जिला अस्पताल में घोर लापरवाही से अनशनकारी की मौत। अब ऐसे में कोई कहां जाए। इस सिस्टम से लड़ने पर मौत ही मिलनी। हर तरफ मायूसी है, तभी अपराधियों के हौसले बुलंद होते हैं।
दारा हत्याकांड के अभियुक्तों की गिरफ्तारी के लिए चल रहे अनशन में शामिल युवक ने दम तोड़ दिया। फ्राइडे मार्निग सीने में दर्द उठने पर फैमिली मेंबर्स उसको पीएचसी पर ले गए। वहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। युवक की मौत से पुलिस-प्रशासन में हड़कंप मच गया। सवाल यह खड़ा होता है कि जब युवक की हालत खराब थी तो जिला अस्पताल के जिम्मेदार डॉक्टर्स ने उसको छुट्टी कैसे दे दी। इसकी सुधि किसी ने नहीं ली। युवक की मौत पर तकदीर को कोसकर फैमिली मेंबर्स ने दाह संस्कार करा दिया। पुलिस की लापरवाही से दारा की हत्या, हत्यारों का न पकड़े जाना और फिर अनशन कर रहे राजेश की जिला अस्पताल और जिला अस्पताल की लापरवाही के कारण मौत से एरिए के लोगों में आक्रोश है। अनशन में शामिल होने गोरखपुर आया था राजेशसिकरीगंज चौराहा निवासी राजेश थर्सडे को धर्मेद्र उर्फ दारा जायसवाल मर्डर में शामिल अभियुक्तों को अरेस्ट करने की मांग कर रहे लोगों के साथ अनशन में शामिल हो गया। दोपहर में धर्मेद्र की मां कलावती की हालत बिगड़ गई। जिला अस्पताल की एबुलेंस उनको लेने आई। डॉक्टरों ने उनको एडमिट होने की सलाह दी। धर्मेद्र की मां ने भर्ती होने से इंकार कर दिया। तभी राजेश के सीने में दर्द उठा। चेकअप के बाद डॉक्टर्स ने उसको जिला अस्पताल भेज दिया। फ्राइडे मार्निग अचानक फिर उसके सीने में दर्द उठा। फैमिली मेंबर्स उसको एक नर्सिग होम में ले गए। वहां डॉक्टर ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में ले जाने की सलाह दी। सीएचसी पहुंचने पर डॉक्टरों ने राजेश को मृत घोषित कर दिया.अनशनकारी की मौत की सूचना से पुलिस-प्रशासन के लोगों में हड़कंप मच गया।
आखिर क्यों दे दी अस्पताल से छुट्टी सवाल खड़ा होता है कि जब राजेश की हालत खराब थी। तो जिला अस्पताल के डॉक्टरों ने छुट्टी क्यों दे दी। यदि हास्पिटल में उसका उपचार चलता रहता तो शायद जान बच जाती। जिला अस्पताल के डॉक्टरों ने अपनी जिम्मेदारी का ठीक से पालन नहीं किया। इस वजह से राजेश की जान चली गई। युवक की मौत अनशन के दौरान नहीं हुई। वह कल रात में वह सिकरीगंज लौट गया था। मेडिकल टीम ने उसकी जांच करके अस्पताल से छुट्टी दी थी। प्रदीप कुमार, एसएसपी