करोड़ों का चूना लगा भागी चिटफंड कंपनी
-बड़ी संख्या में पीडि़त पहुंचे डीएम ऑफिस, लगाया आरोप
-कैंपियरगंज, पीपीगंज में पैसा वापस मांगने पहुंचे लोगों को पिटवाया -छोटे-छोटे दुकानदारों के रेकरिंग अकाउंट खोल जमा करता था रुपए GORAKHPUR: एक और चिटफंड कंपनी लोगों को सब्जबाग दिखाते हुए उनके पैसे लेकर रफू चक्कर हो गई। कंपनी का नाम विश्वामित्र इंडिया परिवार बताया जा रहा है। बाद में जब यह लोग अपना पैसा मांगने कंपनी के सीएमडी के घर पहुंचे तो वहां उनकी पिटाई करवा दी गई। रविवार को पीडि़त अपना दुखड़ा सुनाने के लिए कलेक्ट्रेट ऑफिस पहुंचे। लेकिन रविवार का अवकाश होने के चलते उन्हें वापस लौटना पड़ा। पीडि़तों का कहना है कि हमने बरसों की मेहनत की कमाई कंपनी में लगाई थी। लेकिन पिछले चार-पांच महीने से पैसे देने में लगातार हीला-हवाली हो रही थी। पैसे नहीं, लात-घूंसे मिलेकड़ी मेहनत कर लाखों रुपये विश्वामित्र इंडिया परिवार में जमा करने के बाद पीपीगंज और कैम्पियरगंज के लोगों रविवार को लात-घूंसे भी खाने पड़े। काफी समय से पैसे न मिलने पर आक्रोशित खाताधारक विश्वामित्र इंडिया परिवार के सीएमडी के खजनी तहसील स्थित दशवतपुर गांव पहुंचे। यहां पर सीएमडी ने पहले से बड़ी संख्या में लोगों को जमाकर रखा था। जैसे ही खाताधारक अपना पैसा मांगने वहां पहुंचे, वहां बैठे लोगों ने खाताधारकों पर हमला बोल दिया। एक लाख रुपए से अधिक जमा करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता यू आर अकेला ने बताया कि कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं था जिसको दो-चार हाथ नहीं पड़ा हो।
छोटे कारोबारियों को फंसाते थे कलेक्ट्रेट पहुंचे लोगों ने बताया कि विश्वामित्र इंडिया परिवार कस्बों में अपना कार्यालय खोलकर 20 से 25 परसेंट पर एजेंट रखता था। ये एजेंट छोटे-छोटे दुकानदारों से संपर्क कर कंपनी में अकाउंट खुलवाते थे। ये रोजाना 20 रुपए से लेकर चार सौ रुपए तक की रिकरिंग डिपॉजिट अकाउंट में जमा करवाते थे। कंपनी ने छोटी अवधि वाले रिकरिंग डिपॉजिट का भुगतान तो कर दिया गया लेकिन जिनका चार से पांच साल में पूरा हुआ उनका भुगतान करने में आनाकानी कर रहे हैं। 12 परसेंट देते थे ब्याज विश्वामित्र इंडिया परिवार नाम की संस्था सोसायटी एक्ट के तहत रजिस्टर्ड बताई जा रही है। इसके एजेंट बैंकों से करीब पांच परसेंट अधिक 12 परसेंट ब्याज देने का वादा करते थे। छोटे-मोटे कारोबारी रोज-रोज बैंक जाकर रुपए जमा करने से बचने और अधिक ब्याज के चक्कर में रुपए जमा करने लगे। कंपनी ने लोगों को बाकायदा पासबुक भी दे रखी है। कॉलिंगमैं पीपीगंज में ज्वैलरी का काम करता हूं। एजेंट के माध्यम से मैंने खाता खोला था। मैंने 40 हजार रुपए जमा किए थे। तीन महीने पहले ही इसे पूरा होना था। भुगतान के लिए मैं तीन महीने से दौड़ रहा हूं। आज पीडि़तों के साथ सीएमडी के घर गया तो वहां मारपीट के लिए पहले से बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे।
-राकेश अग्रहरि, पीपीगंज ज्वेलरी कारोबारी मैंने अपना और अपने पिता जी का नौ लाख से अधिक रुपया संस्था में जमा किया था। मैंने एक वर्ष के लिए रुपया जमा किया था। समय पूरा होने पर मैं पीपीगंज स्थित कार्यालय पहुंचा तो कंपनी का ऑफिस बंद मिला। ऑफिस के सामने एकत्र लोगों के साथ सीएमडी के गांव पहुंचा तो वहां पहले से तैयार बैठे लोगों ने दौड़ाकर पीटा। -अजय सिंह, पीपीगंज निवासी