नगर निगम का 60 लाख डकार गया जीडीए
- मलबा के नाम पर हर साल 20 लाख देना पड़ता है चार्ज
- पिछले तीन साल से जीडीए ने एक भी रुपया नहीं दिया - नगर निगम ने जीडीए को थमाया नोटिस GORAKHPUR: जीडीए ने अब अगर बिना मलबा शुल्क दिए सड़कों और पाइप लाइन का काम किया तो नगर निगम कार्रवाई कर सकता है। पिछले तीन साल से नगर निगम की तरफ से निर्धारित मलबा शुल्क जीडीए ने नहीं दिया है। नगर निगम इसके लिए दो बार पत्र लिख चुका है। अब तीसरी बार सख्त पत्र लिखते हुए कहा गया है कि अगर शुल्क नहीं चुकाया गया तो आइंदा रोड तोड़ने पर कार्रवाई की जा सकती है। 40 गलियों का हो जाता है निर्माणआर्थिक तंगी झेल रहे नगर निगम को उम्मीद है कि अगर जीडीए कुछ पैसे देगा तो वह पब्लिक के लिए कुछ काम कर लेगा। नगर निगम के निर्माण विभाग के एक्सईएन एसके केसरी का कहना है कि शहर की एक छोटी सी गली के निर्माण में एक से डेढ़ लाख तक की लागत आती है। अगर यह 60 लाख रुपए मिल जाते तो शहर की लगभग 40 गलियों को निर्माण हो जाता।
इसलिए लेता है नगर निगम चार्जनगर निगम के कर निर्धारण अधिकारी आशीष श्रीवास्तव का कहना है कि जीडीए कई बार मरम्मत के नाम पर किसी रोड को खोद देता है। इसी तरह किसी जगह पाइप लाइन तोड़ देते हैं। टूटी हु़ई सड़कों पर पाइपों की मरम्मत का कार्य नगर निगम करता है। वहीं कई जगह जीडीए द्वारा निकाले गए मलबे को हटाने का काम नगर निगम करता है। अब इनकी मरम्मत पर आने वाले खर्च के लिए नगर निगम पैसा तो मांग नहीं सकता है। इसलिए नगर निगम ने 20 साल पहले एक पत्र लिखकर कहा कि जीडीए को हर माह 20 लाख रुपए मेंटेनेंस शुल्क के नाम पर देना होगा। जीडीए ने इसकी स्वीकृत भी दे दी थी। जीडीए इस शुल्क को लगातार देता रहा है, लेकिन पिछले तीन साल से जीडीए ने एक भी रुपए नगर निगम को नहीं दिया है। नगर निगम की तरफ से तीन बार पत्र लिखकर इस पैसे की मांग की गई है, लेकिन अभी तक जीडीए की तरफ से पैसा नहीं मिला है।
मलबा शुल्क के लिए जीडीए को पत्र लिखा गया है, जीडीए अगर इस वित्तीय वर्ष में मलबा शुल्क अदा नहीं करता है तो हम जीडीए के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए बाध्य होंगे। -रबीस चंद, मुख्य कर निर्धारण अधिकारी, नगर निगम