स्कूल नहीं, पैरेंट्स दे रहे बच्चों को दर्द
स्कूल बैग है वजह
आकाश तो सिर्फ एक उदाहरण है, आकाश जैसे सिटी के हजारों बच्चे पीठ में दर्द की समस्या से जूझ रहे हैं। इसके पीछे की वजह पॉस्चर का खराब होना है। बच्चों के इस दर्द की वजह बच्चों के बैग हैं।
स्कूलों के आठ पीरियड में पांच से छह पीरियड ही पढ़ाई होती है। दो से तीन पीरियड तमाम तरह की एक्टिविटी के लिए होते हैं। बच्चों पर भारी बैग का बोझ न पड़े, इसके लिए सिटी के सभी सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड के स्कूलों ने टाइमटेबल बनाया है। इस टाइमटेबल से ही बच्चों को बुक्स व कॉपी लेकर आना होता है। लेकिन, बच्चे पूरा बैग लेकर स्कूल आते हैं और पेरेंट्स भी इसपर ध्यान नहीं देते हैं।
ये होना चाएि वजन
- पांच साल के बच्चे के लिए - एक किलो
- छह साल के बच्चे के लिए- दो किलो से कम
- सात साल के बच्चे के लिए- दो किलो
- आठ साल के बच्चे के लिए- ढाई किलो
- नौ साल के बच्चे के लिए-ढाई किलो से अधिक तीन किलो से कम
- 10 साल के बच्चे के लिए- तीन किलो
- 11 से 12 साल के बच्चे के लिए- चार किलो से कम
पीठ दर्द
भारी बैग उठाने से बच्चों की लोअर बैक झुकी और टेढ़ी हो सकती है। जिसकी वजह से बच्चा आगे झुककर चलने लगते हैं और उनके पॉस्चर में बदलाव आ जाता है।
साइकोलॉजिस्ट सीमा श्रीवास्तव के अनुसार, तो भारी बैग उठाने से बच्चों की मानसिक सेहत पर भी गहरा असर पड़ता है। भारी बैग बच्चों में तनाव का कारण बन सकता है। कंधों में दर्द
भारी बैग उठाने से बच्चे के कंधों में दर्द बना रह सकता है। कई बार तो बच्चे इस दर्द से बचने के लिए स्कूली बस्ते को बारी-बारी एक कंधे से दूसरे कंधे पर टांगे रहते हैं। जिससे उन्हें कंधे की एक साइड दर्द होना शुरू हो जाता है। स्पॉन्डलाइटिस की समस्या
बच्चे जितना भारी बैग उठाएंगे आगे चलकर उनमें स्पॉन्डलाइटिस व स्कॉलियोसिस की समस्या होगी। इन बातों का रखें ध्यान
- बच्चा अपने स्कूल बैग में केवल वही लेकर जाए जो जरूरी है।
- बच्चों में बचपन से ही एक्सरसाइज और योग की आदत डालें।
- स्कूल बैग खरीदते समय हमेशा शोल्डर स्ट्रैप्स पैड वाले बैग ही खरीदें। इससे गर्दन और कंधों पर दबाव कम पड़ेगा।
मेरा बेटा चौथी क्लास में पढ़ता है। बेटे को टाइमटेबल के हिसाब से किताब और कॉपी देकर स्कूल भेजती हूंं। बावजूद इसके बैग का वजन ज्यादा ही रहता है।
शालिनी, पैरेंट्स
रोमा, पैरेंट्स बच्चों पर बैग का बोझ न पड़े इसके लिए टाइमटेबल बनाया गया है। लेकिन, ज्यादातर बच्चे बिना टाइमटेबल के ही बैग लेकर आते हैं, इससे बच्चों का बैग भारी रहता है।
सलील के श्रीवास्तव, प्रिंसिपल बच्चों के पीरियड के हिसाब से टाइमटेबल बनाया गया है। बावजूद इसके बच्चों बच्चे भारी बैग लेकर आते हैं, भारी बैग की शिकायत पैरेंट्स से की जाती है।
उषा बरतिया, प्रिंसिपल