यहां तो खोजना पड़ता है यूरिनल
-मंडल के कपड़े का सबसे बड़ा थोक मार्केट
-शाहमारूफ और रेती एरिया में एक भी नहीं है यूरिनल -सालों पहले मदीना मस्जिद के पास बना था यूरिनल रखरखाव न होने से हुआ खराब GORAKHPUR: मंडल को कपड़ा पहनाकर तन ढंकने वाला शाहमारूफ और रेती चौक मार्केट में भी लोग मजबूरी में बेशर्म हो जाते हैं। हो भी क्यों नहीं, आखिर जिम्मेदारों की लापरवाही से शहर के अधिकांश मार्केट में शौचालय नहीं है। अगर किसी मार्केट में यूरिनल है भी तो रख-रखाव के कारण कूड़ादान में तब्दील हो गया है। स्थिति यह है कि नगर निगम के जिम्मेदार सफाई के लिए अभियान चलाते हैं और खुले में शौच न करने के लिए अभियान चला रहे हैं, लेकिन मार्केट में एक यूरिनल तक नहीं बनवा पा रहे हैं। शाहमारूफ सीन 1 मार्केट का नाम- शाहमारूफ मार्केट की खासियत- कपड़े का थोक मार्केट दुकानों की संख्या- 1500दुकानों पर कार्य करने वाले वर्कर की संख्या- 3000
कस्टमर की संख्या- 25000 कहां-कहां से आते हैं कस्टमर शहर के अलावा कस्टमर कुशीनगर, देवरिया, महराजगंज, सिद्धार्थनगर सहित गोरखपुर जिले के कस्बों फूटकर व्यापारी। हकीकतआई नेक्स्ट टीम दोपहर लगभग 2 बजे शाहमारूफ पहुंची। जहां एक दो दर्जन से अधिक लोग किसी गली में दीवार के किनारे खड़े होकर पेशाब कर रहे थे, जब आई नेक्स्ट टीम ने उनसे खुले में पेशाब के बारे में पूछा तो टीम के सदस्यों का चेहरा देखते हुए कहा कि कहां जाएं। आखिर कहां जाएं। यह किसी एक दुकानदार का दर्द नहीं है, बल्कि शाहमारूफ के 1500 दुकानदारों का दर्द है। पूरे मार्केट में एक भी यूरिनल नहीं है। जिस गलियों में लोग पेशाब कर रहे हैं, उन मकान मालिकों का दर्द यह है कि इनके पेशाब के कारण हमारे घरों में बदबू फैल रही है।
रेती चौक सीन 2 मार्केट का नाम- मदीना मस्जिद से रेती चौक मार्केट की खासियत- कपड़े का थोक मार्केट मार्केट की दूरी- लगभग 800 मीटर दुकानों की संख्या- 500 दुकानों पर कार्य करने वाले वर्कर की संख्या- 2000 कस्टमर की संख्या- 25000 कहां-कहां से आते हैं कस्टमर- शहर के अलावा कस्टमर कुशीनगर, देवरिया, महराजगंज, सिद्धार्थनगर सहित गोरखपुर जिले के कस्बों फूटकर व्यापारी। हकीकतलोगों आते हैं तो मानते हैं कि रेती चौक आए तो नेचुरल कॉल न लगे। नहीं तो पता यहां से बीमारी लेकर जाएं या किसी दीवार के किनारे बेशर्म बने। आई नेक्स्ट टीम ने रेती चौक मार्केट में 30 मिनट तक समय व्यतीत की और एक दर्जन से अधिक दुकानदारों से मार्केट में पब्लिक सुविधा को लेकर बात की तो एक जवाब मिला। साहब हम वोट बैंक नहीं है और न ही यहां आने वाले वोट बैंक हैं। ऐसे में कोई भी ध्यान कैसे देंगा। स्थिति यह है कि किसी गली में मुंह छुपाकर पेशाब करना पड़ता है। कई बार तो ऐसा लगता है कि पेशाब करना एक अपराध है।
यहां जाते हैं लोग - मस्जिद के पास - धमाल मोहल्ला की गली में - छोटे काजीपुर जाने वाली गली में - निकाह घर वाली गली में - रायगंज रोड - गीता प्रेस रोड - साहबगंज की गली कहां जाएं, यह सवाल सबके मन में आता है, लेकिन हम तो यहां मार्केट करने आए हैं और पेशाब लगने के बाद जगह तलाश रहे हैं, लेकिन कोई अच्छी जगह न मिलने के कारण घूम रहे हैं। गौरव जिंदल, कस्टमर, निवासी राजेंद्र नगर एक तो किसी एरिया में पब्लिक ट्वायलेट नहीं है, अगर कहीं है तो रख-रखाव न होने के कारण वहां कोई जाना ही पसंद नहीं कर रहा है। यूरिनल के आसपास के लोगों से पूछा जाए तो उसकी कब सफाई हुई थी, उनको ही नहीं पता है। पुनीत अग्रवाल, कस्टमर, निवासी, बेतियाहातापूरे शाहमारूफ में न तो कोई यूरिनल है और न ही इस मार्केट के लिए कोई शुलभ शौचालय है। स्थिति यह है कि पुरुष को तो हम लोग गली में दीवार का किनार दिखा देते हैं, लेकिन महिलाओं को अपने घर के अंदर भेजना पड़ जाता है।
इरफान, बैग, व्यापारी बहुत अधिक परेशानी होती है। कई बार नगर निगम को पत्र लिखकर या अधिकारियों को मौखिक रूप से कहा गया है, लेकिन शाहमारूफ की तरफ कोई भी ध्यान ही नहीं देता है। यहां आज तक यूरिनल बना ही नहीं, नगर निगम कभी योजना लेकर शाहमारूफ में आता तो उस पर विचार जरूर किया जाता। मो। अदील अख्तर खां, महासचिव शाहमारूफ व्यापार मंडल कोई कहां जाता है यह सब जानते हैं। कई बार तो लोगों के बीच झगड़ा होने लगता है। इस व्यक्ति के दीवार के किनारे लोग पेशाब करते हैं। उसके घर के अंदर परेशानी होती है तो पेशाब करने वाले झगड़ा करने लगते हैं। मुस्ताक खान, व्यापारी