- शहर में नहीं है कोई शूटिंग रेंज, खिलाडि़यों को होती है प्रॉब्लम

- नेशनल लेवल पर शहर का नाम ऊंचा करने वाले शूटर्स बाहर जाकर करते हैं प्रैक्टिस

- सरकारी सुविधा न मिलने से दूसरा कोई प्लेयर इस गेम में नहीं दिखाता इंटरेस्ट

GORAKHPUR: देश में होनहार निशानेबाजों की कमी नहीं है। अचूक निशाना ही उनकी पहचान है। ऐसा सिर्फ कहना नहीं है बल्कि पिछले तीन ओलंपिक से निशानेबाजी में इंडिया के परफॉर्मेस को देखकर इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। देश के होनहार भले ही मेडल्स मिलते आए हों, लेकिन सिटी में एक्का-दुक्का प्लेयर्स को छोड़कर बाकी कोई भी मेडल लेकर आ जाए, ऐसे कोई भी आसार नहीं नजर आ रहे हैं। अब इसे सिटी का दुर्भाग्य कहिए या प्लेयर्स का दोनों ही कंडीशन में सिटी को इसका खमियाजा भुगतना पड़ रहा है। स्पो‌र्ट्स के आला ओहदों पर बैठे जिम्मेदारों की अनदेखी शूटर्स के फ्यूचर पर भारी पड़ रही है। विभाग ने निशानेबाजी के लिए न तो कोई व्यवस्था की है और न ही निशानेबाजों को कोई सुविधा उपलब्ध करा रहे हैं। जिससे दिन ब दिन परफॉर्मेस ग्राफ गिरता ही जा रहा है।

न बिंद्रा और न नारंग

सिटी में यूं तो कई अचूक निशाने बाज है लेकिन फैसिलिटी न मिलने की वजह से वह कुछ भी कमाल नहीं दिखा पा रहे हैं। वहीं सिटी के रहने वाले मुकीम सिद्दीकी और सैफ हसन स्टेट और नेशनल लेवल पर मेडल पाकर सिटी का नाम रोशन करने में लगे हुए हैं। सिटी में बेहरीन निशानेबाजों के होने के बावजूद खेल विभाग उन्हें कोई सुविधा मुहैया नहीं करा सका। यहां तक कि उन्हें कोई ऐसी जगह नहीं मिल सकी, जहां जाकर वह प्रैक्टिस कर सकें और अपनी परफॉर्मेस बेहतर करने के साथ ही देश और सिटी का नाम ऊंचा कर सकें। मगर जिस तरह विभाग का रवैया है, ऐसे भला सिटी से विश्व पटल पर इंडिया का नाम रोशन करने वाले राजवर्धन राठौर, अभिनव बिंद्रा और गगन नारंग जैसे प्लेयर्स कहां निकल सकते हैं।

खुद करते हैं मेहनत

सिटी के यह दोनों होनहार खुद ही शूटिंग को लेकर डिवोटेड हैं। यही वजह है कि इन्होंने बगैर किसी सरकार मदद के शहर का नाम ऊंचा किया है। मुकीम की बात करें तो वह अब तक 17 से ज्यादा नेशनल मेडल हासिल कर चुके हैं। वहीं उन्होंने कई बार यूपी की टीम को भी रिप्रेजेंट किया है। वहीं दूसरी ओर साएफ हसन भी कई मेडल्स अपनी झोली में डाल चुके हैं। मुकीम ने तो प्रैक्टिस के लिए अपने घर में ही शूटिंग रेंज बना रखी है, वहीं जरूरत पड़ने पर दिल्ली के करनी सिंह स्टेडियम में प्रैक्टिस के लिए जाते हैं। मगर शहर में सुविधाएं न होने से बाकी टैलेंट खोता चला जा रहा है।

सिटी में यूं तो टैलेंट की कहीं से कमी नहीं है। इस बात का अंदाज इससे लगाया जा सकता है कि बिना सुविधा मिले ही सिटी के प्लेयर्स स्टेट लेवल पर मेडल्स लेकर आए है। अगर उन्हें थोड़ी सी फैसिलिटी अवेलबल कराई जाए तो वह इंडिया के लिए जरूर मेडल जीतकर आएंगे।

- साएफ, शूटिंग गोल्ड मेडलिस्ट

खेल विभाग जैसे और गेम्स पर पैसा खर्च कर रहा है, वैसे ही जरा सा ध्यान निशानेबाजी की ओर दे तो सिटी में मेडल्स की बरसात होने लगेगी। सिटी में कई स्टेट लेवल पर मेडल्स पाए हुए खिलाड़ी मौजूद हैं। उन्हें अगर ठीक तरह से कोचिंग और सुविधाएं दी जाएं तो वह इंडिया की झोली में भी मेडल्स जरूर डालेंगे।

- मुकीम सिद्दीकी, शूटिंग गोल्ड मेडलिस्ट

Posted By: Inextlive