लिस्ट है बनाई, सिर्फ यही दवा है भाई
- जिला अस्पताल के ड्रग स्टोर में सर्दी, खासी, बुखार का सिरप खत्म, मरीजों को दी जा रही है मौजूद दवाएं
- डॉक्टर्स को दी गई दवाओं की लिस्ट, नहीं लिख रहे हैं दूसरी दवा - बच्चों को सिर्फ दी जा रही गोलियांGORAKHPUR: जिला अस्पताल में दवाओं का टोटा है। आये दिन 100 से 130 मरीज इलाज के लिए जिला अस्पताल पहुंच रहे हैं, लेकिन बच्चों का सिरप खत्म होने की वजह से उन्हें दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। इसकी जवाबदेही से बचने के लिए अस्पताल प्रशासन के जिम्मेदारों ने नया हथकंडा अपना लिया है। अब जिला अस्पताल में सिर्फ वहीं दवाएं लिखी जा रही हैं, जो अस्पताल में मौजूद हैं। इसके अलावा डॉक्टर्स कोई दूसरी दवा नहीं लिख रहा है। दवाओं के बारे में पूछे जाने पर जिम्मेदार कुछ भी कहने से कतरा रहे हैं। सभी एक दूसरे पर अपनी कारस्तानी थोपने में लगे हैं। सर्द मौसम में जिला अस्पताल के ओपीडी में छोटे बच्चों की संख्या बढ़ रही है।
बच्चों की दवाएं मौजूद नहींसरकार स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर रही है। जांच से लेकर एम्बुलेंस तक मुफ्त मुहैया कराई जा रही हैं। बावजूद इसके जिम्मेदार लापरवाही में जुटे हुए हैं। आलम यह है कि जिला अस्पताल में बच्चों के लिए सर्दी, खांसी, बुखार का सिरप मौजूद नहीं है। इसकी वजह से जाड़े के मौसम में आने वाले नन्हें मरीजों और उनके परिजनों को खासी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। मौसम में फेरबदल होने की वजह से बीमार बच्चों की संख्या में भी काफी तेजी से इजाफा हुआ है। उन्हें सिरप की जगह दवा काउंटर से सिर्फ गोलियां ही दी जा रही है। अस्पताल प्रशासन डिमांड भेजने का दावा कर रहा है।
पहले नहीं जाता ध्यान यह पहला मौका नहीं है कि जब जिला अस्पताल में दवा खत्म होने के बाद जिम्मेदारों की आंख खुली हो। इससे पहले भी जिम्मेदार तभी दवाइयों की डिमांड भेजते हैं, जब दवाएं खत्म हो जाती हैं। ऐसे में मरीजों के सामने हर बार मुश्किल आन खड़ी होती है। इसकी सबसे बड़ी वजह है कि डिमांड भेजने के बाद दवाइयां आने में करीब एक माह का वक्त लग जाता है। ऐसे में दवा खत्म होने के बाद आने वाले मरीजों को काफी प्रॉब्लम होती है और उन्हें बाहर से दवा लेनी पड़ती है। यह सिपर नहीं है मौजूद अजिथ्रोमाइसिन कालपॉल एसफोरिल नेजोक्लियरअस्पताल में सभी दवाएं मौजूद है। पेशेंट्स को दी भी जा रही है। बच्चों की दवाइयों के लिए डिमांड भेजी गई है। जल्द ही दवाइयां उपलब्ध होंगी।
डॉ। एचआर यादव, एसआईसी