ई टिकट ले लो, सुविधा भूल जाओ
- गोरखपुर जंक्शन पर नहीं है आईआरसीटीसी का ऑफिस, ई-टिकट वाले पैसेंजर्स को होती है प्रॉब्लम
- डेली हजारों पैसेंजर्स ई-टिकट पर करते हैं सफर, प्रॉब्लम सुलझाने को नहीं हैकोई अथारिटी GORAKHPUR : एकओर तो रेलवे पैसेंजर्स को सारी सुविधाएं ऑनलाइन मुहैया कराने के लिए लगातार नई कोशिशें कर रहा है। वहीं दूसरी तरफ आईआरसीटीसी से बुक होने वाले ई-टिकट्स से जुड़ी प्रॉब्लम्स सॉल्व करने के लिए वर्ल्ड के लांगेस्ट प्लेटफॉर्म पर कोई सुविधा ही नहीं है। ये हाल तब है जब पीक सीजन में डेली करीब 70 हजार पैसेंजर्स गोरखपुर जंक्शन से ई-टिकट पर सफर करते हैं। ऐसे में इन पैसेंजर्स को अपनी प्रॉब्लम्स के लिए स्टेशन पर यहां-वहां भटकना पड़ता है, मगर सॉल्युशन नहीं मिलता। इस बात की जानकारी रेलवे ऑफिसर्स को भी है, लेकिन उन्हें जैसे पैसेंजर्स की परवाह ही नहीं है। डेली 70 हजार पैसेंजर्स करते हैं ई-टिकट पर सफरसमर सीजन आते ही ट्रेंस और स्टेशन पर यात्रियों की भीड़ बढ़ जाती है। ज्यादातर यात्री अपनी सुविधानुसार आईआरसीटीसी की वेबसाइट से ई-टिकट लेना ही प्रिफर करते हैं। गोरखपुर जंक्शन पर आने वाले पैसेंजर्स में से करीब 70 हजार पैसेंजर्स ई-टिकट वाले होते हैं। इन पैसेंजर्स की क्वेरीज का रेलवे कर्मचारियों के पास जवाब नहीं होता। ऐसे में उन्हें डिफरेंट प्रॉब्लम्स से गुजरना पड़ता है।
अब क्यों गायब हो गया ऑफिस स्टेशन पर तैनात रेलवे कर्मचारियों की मानें तो करीब एक साल पहले स्टेशन पर आईआरसीटीसी का दफ्तर हुआ करता था। आईआरसीटीसी की तरफ से कैटरिंग डिपार्टमेंट में स्टेशन ऑफिसर संजीव गुप्ता की तैनाती की गई थी। आईआरसीटीसी से रिलेटेड प्रॉब्लम्स वहीं पर सार्ट आउट होती थीं। भारत दर्शन यात्रा के लिए श्रद्धालुओं के ई-टिकट की बुकिंग भी आसानी से हो जाती थी। लेकिन अब वो ऑफिस बंद हो गया है। इससे पैसेंजर्स की दिक्कतें बढ़ गई हैं। काउंटर न होने से ढेरों प्रॉब्लम्स - नेपाल और बिहार से सटे होने के चलते ग्रामीण क्षेत्र के यात्री ई-टिकट पर ही सफर करते हैं। टिकट कंफर्म न होने की कंडीशन में वह आईआरसीटीसी के दफ्तर की तलाश में रहते हैं। - ई-टिकट देखकर कई रेलवे कर्मचारी नजरअंदाज कर देते हैं। टीटीई भी बस टिकट देकर बिना कोई जवाब दिए लौटा देता है। - आईआरसीटीसी के ई-टिकट वापसी के लिए लखनऊ तक के चक्कर लगाने पड़ते हैं। - ई-कैटरिंग से रिलेटेड कंप्लेंट फाइल करने में प्रॉब्लम होती है। - ई-टिकटिंग से संबंधित प्रॉब्लम्स। - होटल बुकिंग और उनके ऑफर्स की जानकारी न मिलना।- ट्रेन-कोच बुकिंग सिस्टम की पर्याप्त जानकारी का अभाव।
- टूरिज्म को लेकर इंफॉर्मेशन नहीं मिल पाती।
काउंटर होने से मिलती सुविधाएं - ऑनलाइन खाने की बुकिंग की सुविधा में होती आसानी - ई-कैटरिंग रिलेटेड क्वेरीज आसानी से होती सॉल्व। - भारत दर्शन यात्रा की बुकिंग रिलेटेड इंफॉर्मेशन मिलने में आसानी। - प्रीमियम ट्रेन से रिलेटेड इंफॉर्मेशन में आसानी। कहने को इसे वर्ल्ड का लांगेस्ट प्लेटफॉर्म कहा जाता है, लेकिन कहीं भी आईआरसीटीसी का ऑफिस नहीं दिखता है। इतने बड़े स्टेशन पर आईआरसीटीसी का ऑफिस होना बेहद जरूरी है। मुकेश, पैसेंजर आईआरसीटीसी का ऑफिस न होना बेहद गंभीर बात है। आईआरसीटीसी की तरफ से जब इतनी सुविधाएं दी जा रही हैं तो उनका कोई न कोई अधिकारी यहां बैठना ही चाहिए। सुफिया, पैसेंजर वर्ल्ड के लांगेस्ट प्लेटफार्म पर आईआरसीटीसी का ऑफिस क्यों नहीं है, इसके लिए आईआरसीटीसी ही बता पाएगा। आलोक कुमार सिंह, सीपीआरओ, एनई रेलवे