- पिछले साल की तुलना में इस साल काफी कम दिखीं विदेशी पक्षी

- कुछ ठंड की कमी तो कुछ अंधाधुंध निर्माण ने पक्षियों को रामगढ़ताल से किया दूर

GORAKHPUR: मौसम की बेवफाई से इस बरस विदेशी मेहमान रुठ गए। सर्दी कम पड़ने से ठंड में आने वाले साइबेरियन पक्षियों की तादाद इस साल काफी कम रही। जिले के तालाबों में विदेशी पक्षियों का कलरव कम सुनाई पड़ रहा है। यहां तक शहर में प्रवासी पक्षियों का पसंदीदा अड्डा रहे रामगढ़ ताल में भी विदेशी पक्षियों के न दिखाई देने से सिटी के बर्ड वॉचर्स काफी निराश हो रहे हैं।

ठंड पड़ती तो बढ़ती तादाद

हर साल जाड़े में विदेशी पक्षी आते हैं। नंवबर के अंतिम सप्ताह से लेकर जनवरी के अंत तक विदेशी पक्षियों को शहर के तालाबों, पोखरों में देखा जा सकता है। लेकिन इस बार विदेशी पक्षियों का झुंड नहीं नजर आ रहा है। अगर है भी तो बहुत कम। तालाबों में चहचहाहट कम सुनाई पड़ रही है। इस बारे में पक्षियों से जुड़े जानकारों का कहना है कि ठंड की वजह से माइग्रेटरी बडर््स यहां आते हैं। लेकिन सर्दी न पड़ने से इसका असर नजर आया है।

शिकारियों ने भी किया प्रभावित

हालांकि ठंड के अलावा एक और फैक्टर है, माहौल में बदलाव। जिले में सरुआताल, रामगढ़ताल सहित कई जगहों पर विदेशी पक्षियों की आवक होती है। पक्षी सुरक्षा और खाना देखकर किसी जगह पर प्रवास करते हैं। बर्ड वॉचर और वन्य जीव पालक चंदन प्रतीक बताते हैं कि रामगढ़ ताल के आस-पास उन्हें भोजन तो पर्याप्त मिल जाता है, लेकिन इस बार सुरक्षा के अहसास में कमी है। रामगढ़ताल के आसपास बड़े पैमाने पर चल रहे निर्माण कार्य के चलते भी पक्षियों का मोह यहां से भंग हुआ है। दूसरी वजह शिकारियों का भय है। वर्ष 2014 में बड़ी संख्या में विदेशी पक्षी आए थे। पक्षियों को देखकर शिकारी भी एक्टिव हो गए। शिकार होने से पक्षियों के मन में असुरक्षा के भय से इस बार ठिकाना बदल दिया। पिछले साल करीब प्रवासियों पक्षियों की करीब 12 प्रजातियां रामगढ़ताल में देखी गई थीं। लेकिन इस बार सिर्फ दो ग्रेब और टेर्न प्रजाति ही देखने को मिली हैं।

बॉक्स

वर्ष 2014 में आई थीं ये प्रजातियां

लिटिल ग्रेब

इंटरमीडिएट इग्रेट

ग्रे हेरॉन

पर्पल हेरॉन

नॉर्दर्न पिनटेल

कॉमन टिल

रूडी शेलडक

लेसर व्हिसलिंग डक

गल बिल्ड टर्न

लिटिल रिंग्ड प्लोवर

यूरेशियन कूट

विदेशी पक्षियों की सुरक्षा के इंतजाम किए गए हैं। वन कर्मचारियों को निर्देश दिया गया है कि शिकार की सूचना पर फौरन कार्रवाई करें। हालांकि पहले की अपेक्षा इस बार पक्षियों की संख्या कम नजर आ रही।

-डॉ। जनार्दन, डीएफओ

ब‌र्ड्स फूडिंग और सेफ्टी को प्रॉयोरिटी देती हैं। साथ ही इनके लिए नेस्टिंग भी बहुत मायने रखती है। इस लिहाज से ब‌र्ड्स के लिए रामगढ़ताल का माहौल मुफीद साबित नहीं हो रहा। संबंधित विभाग को चाहिए कि वह ताल में नेस्टिंग के लिए कुछ इंतजाम करें, ताकि पक्षियों को लुभाया जा सके। इस बार ठंड का कम होना भी एक बड़ा रीजन है।

- चंदन प्रतीक, वन्यजीव प्रतिपालक

Posted By: Inextlive