पशु चिकित्सालय है या भूतों का डेरा
- जानवरों का इलाज कराने के लिए दर-दर भटक रहे हैं पशुपालक
- क्षेत्र में रहस्मयी बीमारी से मर रहे है पशु JHUMILA BAZAR : गोला ब्लॉक के नीबी दुबे गांव स्थित राजकीय पशु चिकित्सालय इन दिनों भूतों का डेरा बन गया है। पशु सेवा केंद्र से पन्द्रह जनवरी 2002 से राजकीय चिकित्सालय में तब्दील यह अस्पताल तीन न्याय पंचायतो भरोह, नीबी और परसिया के सैकड़ों गांव के लिए एक मात्र पशु अस्पताल है। मगर शासन की उपेक्षा से भूतो के डेरे जैसा हो गया है। जहां इस अस्पताल में पशुओं का इलाज कृतिम गर्भाधान, बधिया और टीके की सुविधा होनी चाहिए, तो अस्पताल खंडहर और वीरान पड़ा है। एक कर्मचारी के भरोसे अस्पतालवर्षो से डॉक्टर बिहिन अस्पताल में सिर्फ चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी महामाया दुबे के भरोसे अस्पताल चल रहा था पर इस समय फार्मासिस्ट संतोष कुमार सोनकर और डॉक्टर शशिभूषण यादव की तैनाती हुई है। अस्पताल में फार्मासिस्ट संतोष मिले और लोगो के बारे में पता चला कि तहसील भर में टीकाकरण अभियान चल रहा है, उसी में ड्यूटी लगी है।
योजना की जानकारी नहींशासन की तरफ से विषाणु और जीवाणु जन्य रोगों के साथ खुरपका, मुंहपका, गलाघोटू रोगों के रोकथाम के लिए समय-समय पर टीके लगाए जाते हैं। साथ ही राष्ट्रीय पशुधन बीमा योजना है, जिसमें एक वर्ष अथवा तीन वर्ष की अवधि में पशुओं का बीमा होता है, जिसमें कुछ पशुपालक और शेष सरकार वहन करती है, जिसमें पशु की मृत्यु में बीमित राशि मिलती है, लेकिन क्षेत्र के पशुपालक धोर्मा निवासी ब्रम्हानंद दुबे, देवकली निवासी चन्द्रिका यादव, बरईपार निवासी प्रमोद सिंह, बरपार निवासी रामजी दुबे आदि का कहना है हम सबको इस बारे में कोई जानकारी नहीं है।
चार पशुओं की मौत से आक्रोश गोला ब्लॉक के दोर्मा गांव में रहस्मयी बीमारी से एक महीने में चार पशुओं की मौत हो गयी। एक अप्रैल को इंद्रजीत दुबे की दो वर्षीय पडि़या, छह अप्रैल को अवधेश दुबे की गाय, आठ अप्रैल को अमित दुबे की जर्सी गाय और दस अप्रैल को गौरी शंकर दुबे की साहिवाल गाय काल के गाल में समा चुकी है। इलाज की कोई व्यवस्था न होने से पशुपालकों में इसे लेकर काफी आक्रोश है। मैं अभी यहां जल्दी ही आया हूं। धीरे-धीरे व्यवस्था ठीक हो जाएगी। गोला के पूर्वी क्षेत्र में टीकाकरण होता है, शीघ्र ही यहां भी सुविधा शुरू हो जाएगी। डॉ। शशि भूषण यादव, पशु चिकित्सा अधिकारी