बजट के अभाव में कराह रहा राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज
-असुरन स्थित राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज मेंनहीं मूलभूत सुविधाएं
- पिछले कई साल से बिल्िडग रिपेयरिंग के लिए एजुकेशन डायरेक्टर को भेजा गया है एस्टिमेट, नहीं मिला बजट GORAKHPUR: टेक्निकल एजुकेशन को बढ़ावा देने के लिए सरकार नए-नए वादे और घोषणाएं कर रही हैं। हर जरूरी सुविधाएं मुहैया कराने के लिए वादे किए जा रहे हैं। लेकिन सरकारी संस्थानों की असलियत कुछ और ही है। असुरन स्थित राजकीय पालिटेक्निक कॉलेज की जर्जर बिल्डिंग में स्टूडेंट्स पढ़ने को मजबूर हैं। स्टूडेंट्स की मानें तो जहां उनको प्रॉपर प्रैक्टिकल्स नहीं कराए जाते, वहीं उन्हें मूलभूत सुविधाएं नहीं मिलती हैं। जबकि कॉलेज प्रशासन का यह कहना है कि टेक्निकल एजुकेशन डॉयरेक्टर को बिल्िडग रिपेयरिंग के लिए कई बार लेटर भेजकर बजट की डिमांड की गई है, लेकिन बजट के नाम पर कुछ भी हासिल नहीं हुआ। 1909 में बना था कॉलेजबता दें, असुरन स्थित राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज सन 1909 में बनकर तैयार हुआ। लेकिन आज कई वर्ष बीतने के बाद भी यहां जर्जर बिल्िडग इस बात की गवाह है कि पिछले कई साल से रिपेयरिंग के काम ही नहीं हुए हैं। वह भी तब जब यहां से हजारों बच्चे रिनाउंड कंपनीज में काम कर कॉलेज के नाम रोशन कर चुके हैं। स्टूडेंट्स की मानें तो कॉलेज में मूलभूत सुविधाएं नहीं है। न पीने के लिए पानी की व्यवस्था है और ना ही टॉयलेट की, इसकी वजह से स्टूडेंट्स को काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है।
समस्याओं की नहीं लेता कोई सुधि स्टूडेंट्स का आरोप है कि कॉलेज प्रशासन से जब भी किसी समस्या को लेकर शिकायत की जाती है, तो वह सुनते नहीं हैं। बल्कि इस मामले में गंभीरता दिखाने के बजाय स्टूडेंट्स को खदेड़ दिया जाता है। नाम न छापने की शर्त पर केमिकिल इंजीनियरिंग के स्टूडेंट्स ने बताया कि कॉलेज को खुले काफी वक्त बीत चुका है, लेकिन आज तक स्टूडेंट्स के लिए कैंटीन तक की व्यवस्था नहीं हो सकी। न गर्ल्स स्टूडेंट्स के लिए कॉमन हाल है और न ही यहां रेगुलर क्लासेज नहीं चलती हैं। पॉलिटेक्निक फर्स्ट इयर के फिजिक्स और केमिस्ट्री के लैब अक्सर बंद रहते हैं। जिसकी कोई सुधि नहीं लेता है। 462 लाख की हुई है डिमांडकॉलेज प्रशासन की मानें तो पिछले कई साल से बिल्डिंग रिपेयरिंग के लिए बजट मांगा गया है। टेक्निकल एजुकेशन डॉयरेक्टर से बजट की डिमांड भी की जा चुकी है। लेकिन अब तक लखनऊ से इसके लिए कोई बजट नहीं रिलीज किया गया। रिपेयरिंग के नाम पर फिर से कार्यदायी संस्था से 462 लाख रुपए का इस्टीमेट बनवाया गया है, अगर शासन से एप्रुवल होकर आ जाता है तो रिपेयरिंग का काम शुरू किया जाएगा, जिससे स्टूडेंट्स को काफी राहत मिलेगी। इतना ही नहीं काफी डिमांड के बाद चार साल पहले स्टार्ट हुए पेंट टेक्नोलॉजी कोर्स को संचालित करने के लिए किसी टीचर की नियुक्ति नहीं हो सकी है। मैकेनिकल और केमिकल ब्रांच के टीचर किसी तरह पेंट टेक्नोलॉजी की क्लास ले रहे हैं।
इनका होगा कायाकल्प - - मालवीय ब्लॉक - केमिकल इंजीनियरिंग ब्लॉक - लैब और परीक्षा हॉल ब्लॉक - बाउंड्रीवाल - सीसी रोड निर्माण बदहाल हैं ये डिपार्टमेंट्स - इलेक्ट्रिकल - मैकेनिकल - प्रॉडक्शन - ऑटोमोबाइल - सिविल इंजीनियरिंग - केमिकिल इंजीनियरिंग - पेंट टेक्नोलॉजी कॉलेज के रिपेयरिंग के लिए कार्यदायी संस्था से इस्टीमेट बनवाया गया है। जिसे टेक्नीकल एजुकेशन के डॉयरेक्टर को भेज दिया गया है। बजट आने के बाद ही रिपेयरिंग काम का संभव है। बीके राना, प्रिंसिपल, राजकीय पालिटेक्निक कॉलेज