अब अलग-अलग नहीं होगी विवेचना
-जिला पुलिस प्रमुखों को डीजीपी का निर्देश
-कोर्ट में तथ्यों के विरोधाभास पर लिया गया निर्णय GORAKHPUR: किसी घटना को लेकर अलग-अलग होने वाली एफआईआर की विवेचना एक अधिकारी के जिम्मे होगी। एक ही मामले में अलग तरह की विवेचना से कोर्ट में पुलिस की छीछालेदार हो रही थी। विवेचना में तथ्यों के बीच भारी विरोधाभास के चलते डीजीपी ने प्रदेश पुलिस को नया फरमान जारी किया। पुलिस अफसरों का कहना है कि डीजीपी के आदेशानुसार कार्रवाई की जाएगी। तय होगा मुख्य विवेचकनए सर्कुलर के अनुसार एफआईआर दर्ज करने के पहले यह देखा जाएगा कि सभी एफआईआर एक घटना से जुड़ी तो नहीं हैं। यदि मामले से जुड़ी एफआईआर लिखी जाएगी तो इसकी विवेचना के लिए अलग से टीम गठित की जाएगी। मुख्य विवेचनाधिकारी के नेतृत्व में टीम मामले की जांच पड़ताल करके चार्जशीट दाखिल करेगी। इससे तथ्यों के बिखरने की आशंका खत्म हो जाएगी।
क्रॉस एफआईआर में एक विवेचक
कई मामलों में वादी और प्रतिवादी की ओर से अलग-अलग एफआईआर दर्ज कराई जाती है। क्रकॅस एफआईआर दर्ज होने पर दोनों मुकदमों के विवेचक अलग नहीं होंगे। बल्कि दोनों मामलों की विवेचना एक विवेचक करेंगे। डीजीपी का मानना है कि इससे तथ्यों को एकत्र करने में सहूलियत होगी। एक पक्ष की ओर से अनुसूचित जाति, जनजाति के उत्पीड़न का मामला दर्ज होने पर दूसरे पक्ष की विवेचना भी डिप्टी एसपी करेंगे।
एक साथ ट्रांसफर होंगे मुकदमे किसी एक मामले एफआईआर की विवेचना किसी दूसरी ब्रांच में ट्रांसफर होने पर उससे जुड़ी हर एफआईआर की विवेचना शिफ्ट हो जाएगी। पहले इस तरह के मामलों में अलग- अलग जांच पड़ताल की जाती थी। इसके अलावा अग्रिम विवेचना के आदेश के मामले में उससे जुड़ी सभी विवेचना भी एक साथ होगी। केस एक: तिवारीपुर थाना में डोमिनगढ़ एक युवती ने रेप का मामला दर्ज कराया था। आरोपी को पकड़कर पुलिस ने जेल भेज दिया। जेल से छूटने के बाद आरोपी ने युवती के पिता के खिलाफ अपने परिचित महिला के साथ रेप करने की शिकायत दर्ज कराई। मामला फर्जी बताकर पुलिस ने मुकदमा नहीं दर्ज किया। बाद में कोर्ट के आदेश पर पुलिस ने केस दर्ज किया। इस मामले में पुलिस ने पीडि़त युवती के पिता को अरेस्ट करके जेल भेज दिया। जानकारी होने पर आईजी ने फटकार लगाई। मामले की विवेचना बस्ती जनपद की पुलिस को सौंप दी। केस दो:कैंट एरिया के अलहदादपुर मोहल्ले में एक डॉक्टर की क्लीनिक पर मनबढ़ों ने हमला कर दिया। डॉक्टर ने आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज कराया। बाद में कैंट पुलिस को प्रभाव में लेकर दूसरे पक्ष ने भी मुकदमा दर्ज करा दिया। इसकी शिकायत होने पर आईजी जोन ने क्रास एफआईआर निरस्त करने का निर्देश जारी किया।