महिला अस्पताल में नाइट ड्यूटी भगवान भरोसे
- नर्स ड्यूटी रूम का दरवाजा बंद
- इमरजेंसी के सामने मरीजों की भीड़ GORAKHPUR: महिला अस्पताल की चिकित्सकीय व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। आलम यह है कि रात में इमरजेंसी को किसी तरह से चलाया जा रहा है। वहीं वार्ड के बगल में बना नर्स ड्यूटी रूम का दरवाजा बंद हो जा रहा है। ड्यूटी रूम में नर्स ना होने से दाई के सहारे अस्पताल को चलाया जा रहा है। यह है अस्पताल की हकीकतआधी रात करीब 12 बजे आई नेक्स्ट रिपोर्टर हॉस्पिटल का जायजा लेने के लिए पुराने ओपीडी के पास पहुंचा। यहां डॉक्टर कक्ष में पेशेंट्स की काफी भीड़ रही। 12.10 बजे एक मरीज अपने परिवार के साथ बाहर निकल रहा था। उन्हें रोकर जब सवाल किया तो उनका कहना था कि पेशेंट की हालत खराब है। उसे मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर किया गया है। जब डॉक्टर्स और हेल्थ एंप्लाइज के बारे में पूछा गया तो उसने बताया कि यहां गंभीर मरीजों का इलाज हो पाना संभव नहीं है। 12.20 बजे वार्ड में भर्ती पेशेंट्स के पास पहुंचा। जहां कुछ नींद में सो रहे थे और कुछ जग रहे। यहां से वापस होते समय जो देखा वह चौंकाने वाला रहा। नर्स स्टाफ रूम बंद रहा। कमरे में कोई भी स्टाफ नर्स नहीं रही। वहीं लेबर रूम के बाहर पेशेंट्स के साथ आए फैमिली मेंबर्स खड़े रहे। उनसे जब जवाब सवाल किया तो नाम न छापने की शर्त पर उन्होंने घबराते हुए बताया कि शाम 6 बजे मरीज को भर्ती कराया है। उसकी हालत काफी गंभीर है। जिम्मेदार मेडिकल कॉलेज रेफर करने की बात कह रहे हैं। हालांकि आधे घंटे के भीतर कई लोग आए और चले गए।
डॉक्टर्स ने भी चेताया महिला अस्पताल में पिछले कई दिनों ने डॉक्टर की कमी है। दो डॉक्टर्स के ज्वॉइन करने के बाद भी इमरजेंसी के संकट से उबर नहीं पाया है। उधर एक दिन पहले एक डॉक्टर ने इमरजेंसी ड्यूटी से इंकार कर दिया था। यह बात सीएमओ तक पहुंची तो उन्होंने डॉक्टर को समझाने का प्रयास किया। इसके बाद वह ड्यूटी करने को राजी हुई। लेकिन आज भी यह समस्या बरकरार है। हालांकि करीब दो-तीन डॉक्टर के भरोसे इमरजेंसी चलाया जा रहा है। इससे परेशान डॉक्टर भी परेशान हो चुकी है। उनका कहना है कि समस्या का समाधान नहीं हुआ तो इमरजेंसी पर संकट उत्पन्न हो सकता है। वर्जनशासन को डॉक्टर्स की कमी से अवगत करा दिया गया है। साथ ही अन्य जिम्मेदारों को भी पत्र भेजा गया है लेकिन अभी तक इसकी भरपाई नहीं हो पाई है। इसकी वजह से समस्या हुई है। जल्द ही इससे निजात मिल जाएगी।
-डॉ। नीना त्रिपाठी, एसआईसी