आज वल्र्ड हेल्थ डे है. डब्ल्यूएचओ ने इस बार का थीम 'हेल्थ फॉर ऑलÓ रखा है पर क्या गोरखपुर में सबको गवर्नमेंट हेल्थ सर्विसेस का लाभ मिल रहा है? क्या डायलिसिस समय पर हो रही है?


गोरखपुर (ब्यूरो)।क्या आरएमआरसी में सभी जांचें हो रही है? इसे लेकर दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने बीआरडी मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल, आरएमआरसी की पड़ताल की तो तस्वीर बिल्कुल विपरीत नजर आई। गोरखपुर में सबके लिए स्वास्थ्य सेवाएं नहीं हैं। सभी को स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ नहीं मिल रहा और पेशेंट बार-बार अस्पतालों के चक्कर काट रहे हैं या प्राइवेट हॉस्पिटल्स में लुट रहे हैं। एमआरआई-अल्ट्रासाउंड के लिए पेशेंट्स ने पुन: वेटिंग होने की बात दोहराई। जिला अस्पताल में डायलिसिस के लिए वेटिंग
बता दें, जिला अस्पताल की ओपीडी में प्रतिदिन 1800-2200 मरीज आते हैैं। जब बात मरीजों के इलाज की होती है तो आज भी ह्दय विभाग में ईको मशीन नहीं है। वहीं, किडनी पेशेंट्स को डायलिसिस के लिए लंबी वेटिंग मिलती है। अल्ट्रासाउंड व डिजिटल एक्स-रे के लिए मरीजों को रिपोर्ट के लिए कई बार चक्कर लगाने पड़ते हैैं। यही नहीं इमरजेंसी में आने वाले करीब 250-300 मरीज एडमिट किए जाते हैैं। लेकिन उनमें भी गंभीर मरीजों को हायर सेंटर के लिए रेफर कर दिया जाता है। यहां ट्रॉमा सेंटर का काम अंडर कंस्ट्रक्शन में है। बीआरडी में पेशेंट ओवरलोड


बीआरडी मेडिकल कॉलेज की ओपीडी में 4000-5000 मरीज डाक्टर से दिखाने आते हैैं। वहीं गंभीर मरीज और रेफर किए हुए मरीजों की संख्या भी कम नहीं होती है। वह भी 300-400 तक होते हैैं, लेकिन मरीजों के बेहतर इलाज के लिए जहां पूरे प्रयास किए जाते हैैं। वहीं संसाधन के अभाव में कई बार डाक्टर्स हायर सेंटर के लिए रेफर कर देते हैैं। आलम यह है कि मरीजों के इलाज के लिए उन्हें भी आपरेशन के लिए सर्जरी डिपार्टमेंट में वेटिंग में रखा जाता है। नहीं शुरू हो सकी बैक्टीरियल और वायरस की जांच आरएमआरसी लैब की स्थापना कर दी गई, ताकि कोरोना केस बढऩे पर वैरिएंट का पता लगाया जा सके। आरएमआरसी के जिम्मेदारों का दावा था कि लैब शुरू होने से न सिर्फ गोरखपुर बल्कि ईस्ट यूपी में होने वाली बीमारियों पर रिसर्च की जा सकेगी और बीमारियों की रोकथाम के लिए वायरस और बैक्टीरियल इंफेक्शन वाली डिजीज की सैैंपलिंग की जा सकेगी, लेकिन अभी तक इसकी प्रक्रिया भी शुरू नहीं हो सकी।फैक्ट फीगर .मिल रही है वेटिंग - जिला अस्पताल में 12 बेड के डायलिसिस यूनिट में - 17 मरीज वेटिंग में हैं।- 305 बेड के जिला अस्पताल के ऑर्थोपेडिक्स में कुल्हे और घुटने के ऑपरेशन के लिए 7 मरीज वेटिंग में हैैं। - एक्स-रे व डिजिटल एक्सरे रिपोर्ट के लिए 23 मरीज वेटिंग में हैैं।

- 300 बेड वाले जिला अस्पताल में 34 मरीज वेटिंग में हैं। - अल्ट्रासाउंड के लिए 4 मरीज वेटिंग में।- एमआरआई मशीन का है इंतजार बीआरडी में सुविधाओं की दरकार - मरीजों के लिए नहीं है पर्याप्त स्ट्रेचर - अल्ट्रासाउंड कराने वाले 20 मरीजों को रखा गया वेटिंग लिस्ट में - एमआरआई जांच के लिए नहीं आई अब तक मशीनें - बीआरडी मेडिकल कालेज के वार्ड नंबर 14 में भरे पड़े हैैं मरीज अपने बच्चे का एमआरआई कराने के लिए पहुंचा, लेकिन एक महीने की वेटिंग चल रही है। इस वजह से जांच नहीं हो पाई। अब नंबर का इंतजार करना पड़ रहा है। अनिल पासवान, अटेंडेंट अल्ट्रासाउंड जांच के लिए 15 दिन से लेकर एक महीने तक की वेटिंग चल रही है। इमरजेंसी में आने वाले मरीजों का तत्काल अल्ट्रासाउंड किया जा रहा है, लेकिन हमें 20 दिन की वेटिंग मिली है। रामाज्ञा कुमार, अटेंडेंट गोरखपुर मंडल के अन्य जिलों में भी डायलिसिस सेंटर चालू हो गया है। इसलिए अब उनका इलाज आसानी से हो रहा है। जहां तक सीटी स्केन और अट्रासाउंड जांच की बात है तो टेक्नीशियन की कमी है। शासन स्तर पर पहल की गई है। जल्द ही मरीजों को बेहतर सुविधा दिलाई जाएगी।
डॉ। आईवी विश्वकर्मा, एडी हेल्थ स्टाफ की कमी के चलते एमआरआई व सीटी स्केन मशीन पांच घंटे ही चल पा रही है। जल्द ही डॉक्टर व टेक्नीशियन बढऩे वाले हैं। इसके बाद यहां भी 24 घंटे एमआरआई व सीटी स्केन होने लगेगा। डॉ। गणेश कुमार, प्रिंसिपल बीआरडी मेडिकल कॉलेज कोविड के प्रति कमजोर तैयारी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र उरुवा में न तो आइसोलेशन वार्ड फंक्शनल है और ना ही मरीजों के लिएऑक्सीजन प्लांट है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पीपीगंज में मरीजों के लिए आक्सीजन प्लांट की व्यवस्था नहीं है। सहजनवां में ऑक्सीजन प्लांट बंद है। वहीं, चौरीचौरा में भी ऑक्सीजन प्लांट खराब है।

Posted By: Inextlive