Gorakhpur News : पालना आश्रय में फिर मिला लावारिस नवजात, अलार्म बजते ही पहुंच गए कर्मचारी
गोरखपुर (ब्यूरो)। अलार्म बजने पर पहुंचे आकस्मिक चिकित्सा इकाई के कर्मचारियों ने उसे अपने संरक्षण में ले लिया। 7 दिन के नवजात का वजन 1.7 किलो है। सीएमओ डॉ। आशुतोष दुबे ने बताया कि बच्चे को पीलिया हुआ है, जिसका इलाज किया जा रहा है। अन्य जांच में उसका स्वास्थ्य ठीक पाया गया है। मासूम की पहचान लड़के के रूप में हुई है। इसके पहले जिला अस्पताल के पालने में भी 15 मार्च को एक लावारिस बच्ची पाई गई थी। उस वक्त 27 दिन की मासूम की सेहत को देखते हुए डॉक्टरों ने उसे सिक न्यू बॉर्न केयर यूनिट में रखा था। बाल में उसे बाल गृह को सौंप दिया गया। जहां बच्चे का पालन-पोषण हो रहा है। सीएमओ ने बताया कि अस्पताल में बने पालने में बच्चा छोडऩे वाले की पहचान गोपनीय होती है। इसकी व्यवस्था कुछ इस तरह होती है कि जहां पालन बनाया जाता है। उसके आस-पास कैमरे नहीं लगाए जाते, ताकि बच्चा रखने वाले की पहचान उजागिर न हो पाए।ताकि नवजात को न फेंक सकें
बता दें, बीआरडी मेडिकल कालेज व जिला महिला अस्पताल में पालना आश्रय लगाया गया है। ताकि इस पालना में लावारिस बच्चों को फेंकने के बजाय उसे वहां पर रखा जा सके। दरअसल, तमाम ऐसी माताएं हैं, जो किसी न किसी मजबूरी के कारण अपने बच्चे को लावारिस जगहों पर छोड़ कर चली जाती हैं। और ऐसे तमाम मासूम काल के गाल में समा जाते हैं। इन्हीं मासूमों के जीवन को बचाने की पहल पालना आश्रय संस्था ने शुरू की। अब यह पालना मासूमों के लिए मां की गोद साबित हो रहा है। गोरखपुर में अनचाहे या लावारिस मिलने वाले बच्चे को कोई भी इस पालना आश्रय में छोड़ सकता है। यहां से बच्चे को लेकर अस्पताल के डॉक्टर पहले उसका जरूरी इलाज करते हैं। फिर जिला प्रशासन को सौंपने तक अस्पताल कर्मचारी उसका पालन-पोषण भी करते हैं।बच्चा रखने के 5 मिनट बाद बजता है अलार्म
सीएमओ ने बताया कि अलार्म बजने से अस्पताल कर्मियों को पता चल जाता है कि किसी ने पालने में बच्चा रखा है। खास बात यह है कि इसमें उस बच्चे को रखने वाले को किसी तरह की कोई परेशानी भी नहीं होती है। क्योंकि 5 मिनट बाद अलार्म बजेगा, तब तक बच्चा रखने वाला वहां से निकल सकता है। उन्होंने बताया कि, यहां इस बात का खास ध्यान रखा जाता है कि अगर बच्चा रखने वाले की पहचान हो भी गई तब भी उसकी गोपनीयता भंग नहीं की जाती। ये अद्भुत पालना यूपी में पहली बार गोरखपुर में ही शुरू हुआ था। एक पालने की कीमत तकरीबन 3 लाख रूपये होती है।