किस पर करें भरोसा, जब अपने ही दे रहे धोखा
- ड्रीम डेवलपर्स के नाम से संगम चौराहे हारे पर चल रहा ट्रेनिंग सेंटर
- इंडिया में ठगे जा रहे नेपाली, नेपाली ही चला रहे ठगी का रैकेट - नौकरी का झांसा देकर वसूली जा रही मोटी रकम, शिकायत के बाद हुआ खुलासा ड्रीम डेवलपर्स के नाम से संगम चौराहे हारे पर चल रहा ट्रेनिंग सेंटर - इंडिया में ठगे जा रहे नेपाली, नेपाली ही चला रहे ठगी का रैकेट - नौकरी का झांसा देकर वसूली जा रही मोटी रकम, शिकायत के बाद हुआ खुलासा GORAKHPUR:GORAKHPUR: कभी नौकरी के नाम तो कभी विदेश भेजने के नाम पर हर रोज बेरोजगार ठगी के शिकार हो रहे। जॉब की उम्मीद लगाए बेरोजगार नौकरी पाने के लिए हर संभव कोशिश में लगे रहते हैं और अपना घर-बार और खेत तक बेच डाल रहे हैं। मगर बीच में कुछ जालसाज उनके सुनहरे सपनों को तोड़ उनको बर्बाद करने में लग जाते हैं। गोरखपुर में ही एक ऐसा ही मामला सामने आया है, जिसमें नेपाल के कुछ जालसाजों ने ट्रेनिंग सेंटर खोलकर नेपाली युवक से ही नौकरी के नाम पर लाखों रुपए ऐंठ लिए। अब न तो वह नौकरी ही दिलवा रहा है और न ही उसके पैसे ही वापस कर रहा है। ऐसे में पीडि़त का कहना है कि जब नेपाल के रहने वाले अपनों ने ही हमें लूट लिया, तो अब किस पर भरोसा किया जाए।
शाहपुर में चल रहा है सेंटर नेपाल मूल के रहने वाले बेरोजगार युवक और युवतियों से लाखों रुपये ठगी किए जाने का मामला प्रकाश में आया है। फरेब का कारोबार नेपाल से लेकर गोरखपुर होते हुए काशी तक फैला हुआ है। मामले का खुलासा उस समय हुआ जब इनके जाल में फंसा नेपाल के हंकुई नवलपरासी का रहने वाला शंभू गड़ेरिया, अपना दो लाख रुपया वापस मांगने शाहपुर एरिया के संगम चौराहे स्थित कंपनी के ऑफिस पहुंचा। आरोप है कि उसे महज क्ख् हजार इंडियन करेंसी देकर वापस लौटा दिया गया। दोबारा वहां पहुंचने पर उसे ऑफिस से भगा दिया गया। इन्होंने यहां अपना जाल संगम चौराहे पर एक काम्प्लेक्स में फैला रखा है। झांसे में आ गया युवकपड़ोसी देश नेपाल के जिला नवल परासी के हंकुई का रहने वाले स्व। राम नारायण गड़ेरिया का बेटा शम्भू गड़ेरिया ड्रीम-डेवलपर्स नाम की नेपाली कंपनी से जुड़ा। वह उसे लेकर इंडिया आए और एक हफ्ते की ट्रेनिंग कराई। उससे कहा गया कि कपड़े का बिजनेस करना है और एक हफ्ते तक ट्रेनिंग कराने के बाद उससे दो लाख रुपया जमा करने को कहा गया। शम्भू ने क्.7भ् लाख नेपाली करेंसी, परवीन मगर को नेपाल के रहने वाले राधेश्याम निवासी गुंडी, रुपन्देही, नवलपरासी के सामने दे दी। पैसा मिलने के बाद ड्रीम डेवलपर्स के मैनेजमेंट ने शम्भू को एक कार्ड जारी किया और कहा कि 8 हजार इंडियन करेंसी जमा करने के बाद नौकरी शुरू होने की बात कही। शम्भू ने यह पैसा भी उन्हें दे दिया।
काम का तय हुआ था वेतन पीडि़त शम्भू की मानें तो पूरा पैसा मिलने के कंपनी के कुशल राम चौधरी, दर्पण लामा, सहित अन्य जिम्मेदारों ने परवीन मगर के माध्यम से शम्भू को पांच अन्य नेपालियों को लाने के लिए कहा। इसके बाद उन्हें भी एक सप्ताह की ट्रेनिंग कराई। ट्रेनिंग पूरी होने के बाद प्रत्येक से दो-दो लाख जमा कराए। फिर उसे दो माह तक ख्7-ख्7 हजार, उसके बाद क्0 माह तक 80-80 हजार फिर दो साल तक हर माह क्.ख्0 लाख पगार मिलने की बात कही। पैसा की मांग की तो इनकारआई नेक्स्ट रिपोर्टर बुधवार को मामले का सच जानने के लिए शाहपुर इलाके के संगम चौराहे पर स्थित क्07-डी पर पहुंचा, जहां बाहर बॉम्बे सिक्योरिटी सर्विसेस गार्ड मुस्तैदी से पहरा देते नजर आए। सवाल जवाब के बाद उन्होंने मैनेजिंग से जुड़े दो लोगों प्रेम गौतमी और कुशल राम चौधरी से मिलवाया। इस कॉम्प्लेक्स में फ्00 के आसपास ये लोग पहले तो पैसा लेने से ही इनकार करने लगे। मगर बाद में इनकी पोल वहां ट्रेनिंग कर रहे नए युवक शिवा निवासी खैरहनी, बुटवल ने खोल दी।
इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट का दिया काम पीडि़त शम्भू का आरोप है कि पहले ड्रीम डेवलपर्स की यही टीम वाराणसी में इसी तर्ज पर काम कर रही थी, लेकिन अब वहां इन्होंने अपना सेंटर बंद कर दिया है। मैनेजमेंट के लोगों ने कहा कि वे दिल्ली से कपड़ा लाकर उसे इन युवकों के माध्यम से नेपाल में बेचते हैं। दूसरी तरफ कपड़ा सस्ता होने के कारण इंडिया से लोग नेपाल जाते हैं और वहां से कपड़ा खरीदकर ले आते हैं। एसएसपी को एप्लीकेशन देने के लिए कार्यालय गया था, लेकिन उनसे मुलाकात नहीं हो सकी। सीओ साहब को एप्लीकेशन देने गया तो वह भी व्यस्त थे। अप्लीकेशन एसएसपी के नाम रजिस्ट्री कर दी है। शम्भू, पीडि़त युवकयह कंपनी कानपुर से रजिस्टर्ड है। यहां युवक और युवतियों को कपड़े बेचने की ट्रेनिंग दी जाती है। हम लोगों ने पैसा नहीं लिया। पैसा किसी और ने ले रखा है। इस संबंध में पैसा लेने वाले से बात की जा रही है। युवक का पैसा लौटा दिया जाएगा।
कुशल राम चौधरी व दर्पण लामा, मैनेजिंग डायरेक्टर मामले की जानकारी होने के बाद मौके पर संबंधित पुलिस को भेजा गया है। कंपनी के मालिक को बुलाया गया है। उनसे इस संबंध में पूछताछ की जाएगी। अभय मिश्रा, सीओ सर्किल, कैंट