ऐसे तो रोहिन का पानी बन जाएगा जहर
- प्रदूषण विभाग की जांच में हुआ खुलासा, नेपाल की फैक्ट्रियों से आता है गंदा पानी
- मत्स्य विभाग ने दी थी ऑक्सीजन की कमी के चलते मछलियों की मौत की रिपोर्ट - मामले में कार्यवाई करने के लिए तीन मंत्रालयों को पत्र लिखेंगे सदर सांसद saurabh.upadhyay@inext.co.inGORAKHPUR : नदियों के किनारे आकार लेने वाली सभ्यताएं विकसित होकर नदी के लिए ही काल बन गई हैं। लाखों लोगों की जीवनरेखा बनी रोहिन नदी अब खतरे में है। कभी इस नदी के किनारों पर जानवरों के झुंड नजर आते थे, वर्तमान में मरघट जैसी शांति पसरी हुई है। किसान खेतों की सिंचाई के लिए पानी को तरस रहे हैं। आए दिन मछलियां मर रही हैं। आई नेक्स्ट ने मामले में इनवेस्टिगेशन किया तो चौंकाने वाले खुलासे हुए। प्रदूषण विभाग की टीम ने जांच में पाया है कि रोहिन में गंदा पानी नेपाल स्थित फैक्ट्रियों से आ रहा है। यही नहीं, रोहिन में ऑक्सीजन की मात्रा भी बहुत कम हो गई है। मामला दो देशों के बीच का होने से गेंद अब केंद्र सरकार के पाले में चली गई है। अब सरकार पर है कि वो नेपाल सरकार से बात करे और रोहिन के पानी को जहर बनने से बचाए।
चीनी मिल और डिस्टलरी बढ़ा रहे प्रदूषणरोहिन नदी में प्रदूषण के चलते मछलियां मरने की घटनाओं के बाद इसके पानी की जांच का जिम्मा गोरखपुर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड?को मिला है। दो दिन पहले पांच सदस्यीय टीम जांच के लिए रवाना हुई है। ये टीम नदी के किनारों पर घूम-घूम कर लोगों से रोहिन के पानी के बारे में फीडबैक ले रही है। टीम को लीड कर रहे प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्राधिकारी एसबी सिंह ने बताया कि नेपाल के सोनवल में दो चीनी मिल और डिस्टलरी है। इनका गंदा पानी सोनवल से गुजरने झरही नदी में गिराया जा रहा है। वहां से लगभग भ्0 किमी दूरी पर झरही नदी, चंदन नदी में मिल जाती है। दोनों मिलने के बाद नई नदी का नाम प्यास हो जाता है। करीब फ्0 किमी के बाद प्यास नदी, रोहिन में मिलती है, जहां से करीब क्भ्0 किमी का सफर तय करके रोहिन डोमिनगढ़ में राप्ती में समाहित हो जाती है।
ऑक्सीजन की कमी हो गई न्यूनतममत्स्य विभाग की डॉ। पुष्पा तिवारी ने बताया कि लखनऊ से आई एकटीम ने रोहिन के पानी की जांच की है। जिसमें पाया गया है कि रोहिन के पानी में घुलित ऑक्सीजन की मात्रा बहुत कम हो गई है। आमतौर पर किसी नदी या तालाब, जिसमें मछलियां रहती हैं उस पानी में घुलित ऑक्सीजन की मात्रा फ् पीपीएम (पार्ट्स पर मिलियन) रहना चाहिए, लेकिन मंडे सुबह 9 बजे पानी में ऑक्सीजन की मात्रा .7 पीपीएम मिली। ऐसे में शनिवार के दिन जो मछलियां मरी, संभावना है कि उस वक्त ऑक्सीजन की मात्रा .ख् से .फ् पीपीएम रही होगी।
फैक्ट्रियां बद करें पानी छोड़ना वर्ना होगा आंदोलन रोहिन नदी के प्रदूषण पर गोरखपुर सदर सांसद ने सख्त रुख अपनाया है। उन्होंने बताया कि मामले की जानकारी गोरखपुर और महराजगंज प्रशासन को पत्र लिखकर दी गई है। उनका कहना था कि रोहिन में नेपाल से गंदा पानी छोड़ा जा रहा है जो पूरी तरह से मानवता के खिलाफ काम किया जा रहा है। अगर नेपाल में लगी फैक्ट्रियों ने गंदा पानी छोड़ना बंद नहीं किया तो हम नेपाल में घुस कर आंदोलन करेंगे। इन फैक्ट्रियों के खिलाफ भारत के कई थानों में एफआईआर दर्ज कराई जाएगी। यह दो देशों का मामला है, जल्द ही विदेश मंत्रालय, जल संसाधन मंत्रालय और वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को पत्र लिखकर रोहिन नदी में छोड़े जा रहे गंदे पानी की जानकारी दी जाएगी। ट्यूज्डे को महेसरा के निरीक्षण के वक्त केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को भी रोहिन का प्रदूषण दिखाया जाएगा।प्रशासन को पत्र लिखकर पूरे मामले की जानकारी दे दी गई है। नेपाल सरकार को पत्र लिखकर इन कंपनियों के गंदे पानी पर रोक लगाने के लिए कहा जाएगा। अगर इससे कुछ नहीं होता है तो आंदोलन चलाया जाएगा।
महंत योगी आदित्यनाथ, सदर सांसद गोरखपुर महराजगंज के डीएम को पत्र लिखकर पूरे मामले की जानकारी दे दी गई है। नेपाल से गंदा पानी आ रहा है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से व्यक्तिगत तौर पर मिलकर नेपाल से इस विषय में वार्ता करने के लिए कहूंगा। पंकज चौधरी, सांसद, महराजगंज टीम नदी कि किनारे-किनारे घूम रही है और लोगों से नदी के पानी के बार में फीडबैक लिया जा रहा है। अभी तक पता चला है कि हर दस दिन में एक बार गंदा पानी नेपाल से आता है। गड़वरा की चीनी मिल की जांच की गई है। इसका पानी रोहिन की जगह चितरी नाले में गिर रहा है। भारत में यह नदी गंदी नहीं हो रही है। एसबी सिंह, क्षेत्राधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्डनेशनल ब्यूरो ऑफ फिश जेनेटिक रिसोर्सेज के दो लोग आए थे। वे रोहिन नदी की भ् जगहों से पानी का सैंपल और भ् मछली पकड़ कर ले गए हैं। लखनऊ में रिसर्च करने के बाद अपनी रिपोर्ट देंगे। वैसे नदी में ऑक्सीजन की मात्रा बहुत कम हो गई है।
डॉ। पुष्पा तिवारी, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, मत्स्य विभाग गोरखुपर