- आई नेक्स्ट के ग्रुप डिस्कशन में विशेषज्ञों ने रखी अपनी राय

- पैरेंट्स कंफ्यूज तो रोजगार कार्यालय का कार्य केवल बेरोजगारी भत्ता देने तक हुआ सीमित

GORAKHPUR:

आज देश और समाज के लिए सबसे बड़ी प्रॉब्लम बेरोजगारी है। यह स्थिति तब है जब कि दावा किया जाता है कि लिट्रेसी रेट लगातार बढ़ रहा है। लेकिन बढ़ते लिट्रेसी रेट के आंकड़ों को बेरोजगारी के बढ़ते आंकड़े चिढ़ा रहे हैं। इन्हीं सारे मुद्दों पर आई नेक्स्ट ने ग्रुप डिस्कशन का आयोजन किया। इस दौरान विशेषज्ञों और स्टूडेंट्स ने अपनी राय रखी।

दिमाग खुला रखना होगा

डिस्कशन के दौरान विशेषज्ञों ने एक सुर में माना कि आज बढ़ती बेरोजगारी के लिए लोगों की अप्रोच भी जिम्मेदार है। एक सरकारी नौकरी का विज्ञापन निकलता है, चाहे भले ही सफाईकर्मी के लिए ही क्यों न हो, बीएड से लेकर पीचएडी वाले तक लाइन में लग जाते हैं। जब तक लोग स्किल बेस्ड जॉब या बिजनेस को लेकर ओपन माइंडेड नहीं होंगे, तब तक सीन नहीं बदलेगा।

एजुकेशन सिस्टम को न कोसें

इस दौरान एक्सप‌र्ट्स ने कहा कि सिर्फ एजुकेशन सिस्टम को दोषी ठहराने से काम नहीं चलेगा। इस हालत के लिए पैरेंट्स भी बराबर के दोषी हैं। हर कोई अपने बच्चे को सरकारी नौकरी या फिर इंजीनियर या डॉक्टर बनाना चाहता है। रोजगार के ऑप्शंस इससे इतर भी हैं। हम अपने बच्चों की रुचि और उनके टैलेंट को पहचानने की जहमत नहीं उठाते। बच्चा हिंदी पढ़ना चाहता है और हम उसे इंग्लिश सब्जेक्ट दिलवा देते हैं। नतीजा, बच्चे का टैलेंट सही दिशा में ग्रो नहीं करता। जब वही बच्चा फील्ड में जॉब की तलाश में आता है तो पिछड़ जाता है।

बेरोजगारी बढ़ने के प्रमुख कारण

- पैरेंट्स अपने बच्चों की रुचि नहीं जान पाते हैं।

- नौकरी पाने का लक्ष्य बनाकर पढ़ाई करना।

- स्टूडेंट्स और गार्जियन का पूरी तरह से कंफ्यूज होना।

- स्कूल लेवल पर रोजगार परक शिक्षा पाठ्यक्रम का अभाव।

- स्वरोजगार और स्किल बेस्ड जॉब के लिए रुचि में कमी।

ऐसे कम हो सकता है बेरोजगारी

- स्कूलों में वोकेशनल इंट्रेस्ट कोर्सेज को शुरू करना।

- स्किल ट्रैनिंग जो रोजगार परक हो सबको देना।

- बच्चों की रुचि को समझना और उसे उस दिशा ग्रूम करना।

- बच्चों को समझाना कि नौकरी के अलावा और भी ऑप्शंस हैं।

सिर्फ एजुकेशन सिस्टम को कोसने से कुछ नहीं होगा। पैरेंट्स को अपने बच्चों को लेकर गंभीर होने की जरूरत है। बच्चों को समझे नहीं तो आने वाले समय में बेरोजगारी का संकट और बड़ा हो जाएगा। समाज में चलने वाली अंधी दौड़ बेरोजगारी का सबसे बड़ा कारण है।

-प्रो। डॉ। अनुभूति दुबे, साइकोलॉजिस्ट

हमारे यहां रोजगार परक शिक्षा या रोजगार के लिए स्कूलों में प्रशिक्षित करने जैसी कोई शिक्षा व्यवस्था ही नहीं है। उसके बाद स्थिति यह होती है कि बच्चों पर दबाव बन जाता है कि वह इंजीनियर, डॉक्टर या आईएएस बने। इसके अलावा भी कई अन्य फील्ड खाली पड़े हुए हैं।

-डॉ। धनंजय कुमार, काउंसलर

लड़का कहां जा रहा और क्या शिक्षा प्राप्त कर रहा है, इसके बारे में पैरेंट्स जानकारी लेने की कोशिश ही नहीं करते हैं। स्कूल में एडमिशन ले करा दिया और डिग्री प्राप्त करके नौकरी लें, इसका दबाव रहता है और स्थिति यह होती है कि स्कूल से निकलने के बाद नौकरी खोजने लगता है।

-अश्वनी श्रीवास्तव, स्टूडेंट

सरकार देश के 80 प्रतिशत युवाओं को साक्षर बना रही है, शिक्षित नहीं। इसीलिए तो लाखों की संख्या में लोग बेरोजगार है तो बहुत बड़ी संख्या ऐसे भी लोगों की है जो किसी तरह से रोजगार पा तो लिए हैं, लेकिन संतुष्ट नहीं है।

-मित्र प्रकाश, स्टूडेंट

Posted By: Inextlive