इतिहास में दफ्न हैं अतीत के कई राज
- इतिहास का एक अहम गवाह है नगर निगम बिल्डिंग
- वहीं सूरजकुंड धाम का भी अलग है ऐतिहासिक महत्व GORAKHPUR: इन दिनों बात उन इमारतों की चल रही है, जो मेरे अतीत के आइने को लोगों के सामने पेश करती हैं। सदियों पुरानी इमारतों की खासियत और उनकी हकीकत से आप रोजाना रूबरू हो रहे हैं। यूं तो कई ऐसी इमारतें हैं, जिनका इतिहास मेरे कद को बढ़ाने में पीछे नहीं है। आज बात करते हैं अतीत की यादों को समेटे नगर निगम की बिल्डिंग और अस्था के एक और केंद्र सूरजकुंड धाम का। दोनों का अपना महत्व होने के साथ ही ऐतिहासिक महत्व भी है। यह धरोहरें आज भी लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए काफी हैं। नगर निगम बिल्डिंगटाउन हॉल स्थित नगर निगम बिल्डिंग विक्टोरियन युग की वास्तुकला की अहम निशानी है। इसमें आज नगर निगम का कार्यालय है, लेकिन एक वक्त था जब यहां पर इतिहास की कहानियां हकीकत हुआ करती थीं। इस कार्यालय का निर्माण 1899 में हुआ था। शहर में बीचो-बीच मौजूद इस बिल्डिंग की भव्यता और उसका लुक आज भी लोगों के लिए सेंटर ऑफ अट्रैक्शन हैं। विक्टोरियन युग में यहां मौजूद बिल्डिंग के सामने स्थित पार्क में महारानी विक्टोरिया की मूर्ति लगी थी। मगर आजादी के बाद लोगों ने झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की मूर्ति स्थापित कर दी। अब यह पूरी तरह से पार्क के तौर पर डेवलप हो चुका है और लोग अपना वक्त काटने के लिए यहां पहुंचते हैं।
सूरजकुंड धाम आस्था का केंद्र के तौर पर अपना अलग पहचान बना चुका सूर्यकुंड धाम लोगों को खूब अट्रैक्ट करता है। इसका इतिहास भी काफी पुराना है। सन 1458 के वक्त की बात है। इस दौरान राजा मानसिंह का राज हुआ करता था। राजा ने आदि पुरुष भगवान सूर्य की उपासना के लिए गोरखनाथ की समाधि से कुछ दूरी पर एक सरोवर का निर्माण कराया, जिसका नाम मानसरोवर पड़ा। वहीं पर भगवान सूर्य और अन्य देवताओं के मंदिर का भी निर्माण कराया गया। भगवान सूर्य की उपासना स्थल की वजह से कलांतर में सूर्यकुंड धाम के रूप में विख्यात हो गया। अब लोग इसे लगातार डेवलप करने में लगे हैं।शहर में करीब दो दर्जन ऐसी जगह है, जिन्हें हेरिटेज प्लेसेज के तौर पर डेवलप किया जा सकता है। इसमें से कई के बारे में लोगों को जानकारी है, जबकि कई से लोग आज भी अनजान हैं। इसमें सूरजकुंड धाम के बारे में तो सबको पता होगा। इसे राजा मानसिंह ने उपासना के लिए बनवाया था। वहीं नगर निगम की बिल्डिंग का भी ऐतिहासिक महत्व है। यहां पर विक्टोरियन युग की कला का नमूना आज भी मौजूद हैं। वहीं कुछ ऐसी इमारतें भी हैं, जिनकी हालत काफी खराब हो चुकी है, इन्हें बचाने की जरूरत है।
- पीके लाहिड़ी, सहसंयोजक, गोरखपुर चैप्टर