सूद के जाल में फंसा गोरखपुर
- सरकारी दफ्तरों में फैला जाल
- रेलवे में खूब फलता कारोबार GORAKHPUR: जिले में साहूकारी लोगों की जान लेने पर आमदा है। आसानी से कर्ज मिलने की उम्मीद में हजारों लोग सूद जाल में फंस गए हैं। रोजमर्रा की जरूरतें बीमारी और शादी-ब्याह के लिए रुपए की आवश्यकता पड़ने पर लोग साहूकारों से कर्ज लेते हैं, लेकिन मामूली का कर्ज लोगों के लिए जी का जंजाल बनता जा रहा है। शिकायत के इंतजार में पुलिस कार्रवाई नहीं करती। प्रशासनिक अमला सूद कारोबारियों पर शिकंजा नहीं कस पा रहा है। शहर से गांव तक फैला नेटवर्कसूद को कारोबार का नेटवर्क शहर से लेकर गांव तक फैला हुआ है। पुलिस से जुड़े लोगों का कहना है मुंह जबानी हिसाब-किताब से चल रहे कारोबार पर अंकुश लगा पाना मुश्किल होता है। कभी-कभी शिकायतें मिलने पर कार्रवाई की जाती है, लेकिन इतनी प्रभावी नहीं होती कि सूदखोर कारोबार बंद कर सकें। पांच प्रतिशत से लेकर 10 प्रतिशत तक के ब्याज पर चल रहा धंधा हर जगह फैला है।
विजलेंस ने किया खुलासासरकारी विभागों में सूद का कारोबारी खूब एक्टिव हैं। रेलवे से लेकर नगर निगम तक सूद कारोबारियों ने गहरी जड़े जमा ली हैं। वर्ष 2014 के अगस्त माह में एक शिकायत के आधार पर रेल अधिकारियों ने जांच कराई। ड्यूटी से गायब कर्मचारी रेलवे कोऑपरेटिव बैंक के सामने मिले। विभिन्न विभाग के कर्मचारियों को पकड़कर विजिलेंस ने पूछताछ की तो सूद का कारोबार सामने आया। कर्मचारी अपना काम छोड़कर उधार लेने वालों की तलाश करने पहुंचे थे।
गेट पर छिन जाती तनख्वाह 12 जनवरी 2014 को नगर निगम के कर्मचारी कलीम ने शिकायत दर्ज कराई। उसने बताया कि सूद कारोबारी से उसने 20 हजार कर्ज लिया था। कारोबारी ने उससे करीब दो लाख रुपए वसूल लिए। रिटायमेंट के पैसे लेने के लिए उसने कर्मचारी की पास बुक छीन ली। कर्मचारी की शिकायत आने पर नगर निगम ने उसका दूसरा बैंक एकाउंट खुलवा दिया। वर्ष 2015 के मई मंथ में गोरखपुर और महराजगंज जिले में सूद कारोबारियों के वहां छापेमारी करके इनकम टैक्स डिपार्टमेंट भी इसका खुलासा कर चुका है। डेढ़ सौ से अधिक कारोबारीजिले में साहूकारी का रजिस्ट्रेशन एडीएम फाइनेंस ऑफिस से होता है। कलेक्ट्रेट कर्मचारियों का कहना है कि तकरीबन 150 कारोबारी रजिस्टर्ड हैं। रजिस्ट्रेशन कराने वाले ज्यादातर ज्चेलर्स हैं। लेकिन सभी ने 50 हजार के कारोबार तक रजिस्ट्रेशन कराया है। सूद के पंजीकरण का हर साल रिन्यूवल कराया जाता है। कई बार कारोबारी रिन्यूवल नहीं कराते हैं। रजिस्टर्ड कारोबारियों के साथ अलावा सैकड़ों लोग अवैध ढंग से कारोबार करते हैं। रुपए की वसूली को लेकर कई मामले सामने आ चुके हैं। तीन माह पूर्व गोरखनाथ एरिया के एक पार्षद ने सूदखोरों के डर से शहर छोड़ दिया था।
सूद का अंजाम, मर्डर और सुसाइड 16 अगस्त 2015: शाहपुर के जंगल मातादीन निवासी ब्रह्मा कुमार अग्रवाल ने स्टेशन रोड के होटल में खुदकुशी कर ली। सुसाइड लेटर में उन्होंने लिखा था सूद पर बंटे 80 लाख रुपए की वापसी न होने से वह परेशान थे। 02 जून 2015: रेलवे स्टेशन रोड के कारोबारी बाल मुकुंद का सूद के विवाद में अपहरण। 28 अप्रैल 2015: खजनी एरिया के सतुआभार में सूद के कारोबार को लेकर कारोबारी प्रेम की गोली मारकर हत्या 09 अप्रैल 2014: गोरखनाथ एरिया में सूद कारोबारी दयानंद की गोली मारकर हत्या 07 सितंबर 2012 : चिलुआताल एरिया के चिऊटहा पुल पर सूद के लेनदेन में राकेश पर बदमाशों ने हमला किया।