Gorakhpur News : जान न पहचान, पर एक-दूजे की रहनुमा बन गईं 'मॉम्स ऑफ गोरखपुर'
गोरखपुर (अनुराग पांडेय)।आपने अभी तक सुना था कि पड़ोसी हर सुख-दुख में खड़े होते हैं। लेकिन इस ग्रुप ने इसकी परिभाषा ही चेंज कर दी है, यहां तो न जान न पहचान। फिर भी एक दूसरे के लिए ग्रुप मेंबर मददगार बन रहे हैं। इस ग्रुप में कोई भी प्रॉब्लम सेंड करने पर थोड़ी देर में उसका सॉल्यूशन आ ही जाता है। साथ ही किताब-कॉपी, दवाइयां, जॉब, इलेक्ट्रीशियन, प्लंबर, कार पेंटर, टयूटर, डॉक्टर और काम वाली बाई की खोज भी यहां पूरी हो जाती है। बच्चे को मिला हॉकर, खिलौने
ग्रुप की एक मेंबर ने अपनी मेड के लिए मदद मांगी। उन्होंने वाट्सएप भेजा कि उनकी मेड का एक बच्चा है, अगर किसी के पास एक्स्ट्रा वॉकर और खिलौने हों तो इसकी मदद करें। इसके थोड़ी ही देर बाद उसमे एक महिला ने लिखा कि उसके पास एक्स्ट्रा वॉकर है, इस एड्रेस से उसे उठाया जा सकता है। वहीं कई महिलाओं ने खिलौने देकर मेड की मदद की।देर रात बच्चे को मिला इलाज
इसी तरह एक महिला का बच्चा देर रात दर्द से चिल्ला रहा था। उन्होंने इस ग्रुप पर इसका सॉल्यूशन पूछा। तत्काल इस ग्रुप में मौजूद एक मेंबर ने बोला कि मेडिकल कॉलेज रोड पर मेरा घर है, मैं डॉक्टर हूं। आप वहां आ जाएं, बच्चे को देख लेती हूं। पति-पत्नी देर रात करीब 12:30 बजे डॉक्टर के बताए एड्रेस पर पहुंचे। वहां पर बच्चे को इलाज मिला और उसे आराम मिल गया।किताब-कॉपी होती हैं शेयरइस ग्रुप में हर नए सेशन में बच्चों की कॉपी किताब भी शेयर होती हैं। जिससे स्कूल खुलने पर पेरेंट्स को इस खर्च से राहत मिल सके। वहीं कई महिलाओं ने काम करने वाले मजदूर और बाई के बच्चों को जॉब भी इस ग्रुप के माध्यम से लगवाई है। साल 2019 में यह ग्रुप बनाया। तब इसमे केवल 8 महिलाएं थीं। देखते ही देखते अब संख्या 300 पहुंच रही है। इस ग्रुप में केवल मॉम लोगों को ही रखा गया है। एक बार सभी लोग का गेट टुगेदर भी होना है।करुणा भदानी, ग्रुप मेंबरकोई भी जरूरी जानकारी जाननी हो या फिर किसी की मदद करानी हो, इस ग्रुप में मैटर डालते ही मददगारों की लाइन लग जाती है। यह देखकर बहुत अच्छा लगता है।निधि त्रिपाठी, ग्रुप मेंबरबच्चे को कोचिंग करनी है या फिर ऐसा कोई एड्रेस, जिसका आइडिया ना हो। बस एक लाइन लिखकर इस ग्रुप में डालिए सारी जानकारी तुरंत किसी ना किसी मेंबर की तरफ से शेयर कर ही दी जाती है।
एकता गुप्ता, ग्रुप मेंबरमेरे घर पर कुछ भी बात होती है तो परिवार के लोग बोलते हैं कि मॉम्स ग्रुप में डालो, तुरंत सारी जानकारी मिल जाएगी। कभी ऐसा नहीं लगा कि ग्रुप के मेंबर एक दूसरे से अंजान हैं। हर्षिता अग्रवाल, ग्रुप मेंबर