- पुलिसवालों से घर जाने की बात कर रहा पवन

- राघवेंद्र के कहने पर गोरखपुर आए थे धीरज और पवन

GORAKHPUR : पिपराइच के ककरहिया कांड से कई राज खुलने लगे हैं। एक तरफ शाहपुर, गुलरिहा और पिपराइच एरिया में प्रापर्टी डीलर्स का वर्चस्व सामने आया है तो दूसरे तरफ साइलेंट रहकर शूटर्स को पनाह देने वालों की पोल खुली है। जांच में पुलिस ने लापरवाही नहीं की तो कई सच सामने आएंगे। ककरहिया कांड में श्रीपत ढाढ़ी गैंग से जुड़े शातिरों की सरपरस्ती में पलने वाले बदमाशों के सुराग पुलिस को मिले हैं।

बस स्टेशन पहुंचा दीजिए, मैं घर चला जाऊं

क्फ् मई की सुबह करीब नौ बजे ताबड़तोड़ फायरिंग से ककरहिया दहल उठा। प्रापर्टी डीलर धर्मेद्र पासवान की हत्या करने पहुंचे तीन सुपारी किलर्स को पब्लिक ने घेर लिया। आमने-सामने की मुठभेड़ में धर्मेद्र के पास मौजूद वीरेंद्र की मौत हो गई। गुस्साए लोगों ने बदमाशों को घेरकर पीटा। इस दौरान सीतापुर निवासी धीरज उर्फ धीरु और भीटी खोरिया निवासी राघवेंद्र की मौत हो गई। गंभीर हाल शातिर लखनऊ के नौबस्ता निवासी पवन को पुलिस ने मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया। उपचार के बाद हालत में सुधार होने पर पवन घर जाने की बात कर रहा है। फ्राइडे को एक दरोगा से उसने कहा कि बस स्टेशन पहुंचा दीजिए, मैं घर चला जाऊं।

पवन को नहीं मालूम, किसने दी सुपारी

पुलिस ने पिपराइच एरिया के औराही के गजराज टोला निवासी बहादुर चौहान, जंगल धूसड़ के शाहगंज निवासी अरुण निषाद और ककरहिया के किसन पासवान, पवन, धीरज और राघवेंद्र के खिलाफ मुकदमा दर्ज करके कार्रवाई कर रही है। पवन का कहना है कि धीरज उर्फ धीरू और राघवेंद्र के बीच पुरानी जान पहचान थी। राघवेंद्र ने धीरज से काम करने को कहा था। राघवेंद्र के कहने पर वह गोरखपुर आया। हत्या की सुपारी कितने में तय हुई, उसको नहीं बताया गया। सिर्फ एक काम करने को बुलाया गया था। बहादुर और अन्य लोगों से राघवेंद्र की जान-पहचान थी।

धर्मेद्र के सहयोगी से मांगी थी क्0 लाख की रंगदारी

कभी बहादुर निषाद से जुड़े रहे धर्मेद्र ने वर्चस्व बढ़ने पर अपना गुट बना लिया। धर्मेद्र के जेल जाने के बाद बहादुर से जेल में बंद शातिर बिसई से मुलाकात की। जेल में अपनी सुरक्षा के लिए धर्मेद्र ने लाखों रुपए खर्च कर दिए। बिसई ने धर्मेद्र को सबक सिखाने के नाम पर बहादुर से वसूली की। कोई रिजल्ट न आने से लोकल बदमाशों से बहादुर का भरोसा टूट गया इसलिए वह लखनऊ चला गया। उधर, धर्मेद्र केकरीबी विजय से क्0 लाख की रंगदारी मांगी गई। इसमें झुगियां निवासी छोटू प्रजापति और अरुण निषाद का नाम सामने आया। एक मई की शाम झुगियां चौराहे पर बदमाशों ने विजय को असलहा सटा दिया। इसका मुकदमा गुलरिहा में दर्ज कराया गया। पुलिस का कहना है अरुण और छोटू का नाम आजमगढ़ में हुए एक मर्डर में सामने आ चुका है। दोनों ने कुख्यात श्रीपत गैंग से जुड़े रहे एक शातिर की सरपस्ती अपना वर्चस्व बढ़ाया है।

पुलिस के लिए चुनौती बनकर उभरा था श्रीपत ढाढ़ी गैंग

सहजनवां एरिया के बनकटिया निवासी कुख्यात श्रीपत ढाढ़ी को पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया था। नब्बे के दशक में श्रीपत ने जो गैंग खड़ा किया, उसने लूट, हत्या, हत्या के प्रयास, राहजनी, अपहरण और रंगदारी की वारदातें की। गोरखनाथ के एक डॉक्टर, बड़े कारोबारी सहित कई लोगों को गैंग ने अपना निशाना बनाया। तमंचे के बट से मारकर सिर फोड़ने का ट्रेंड इसी गैंग के सदस्यों ने शुरू किया। श्रीपत गैंग से गोरखपुर पुलिस की नींद उड़ गई। ख्भ् मार्च क्99म् को बांसगांव के माल्हनपार कसबे में मानीराम के पूर्व विधायक ओम प्रकाश पासवान की हत्या कर दी गई। हमले में ओम प्रकाश पासवान सहित करीब क्0 लोग मारे गए। भ्0 से अधिक लोग बम और गोलियों के हमले में घायल हुए। इसके बाद जरायम की दुनियां में श्रीपत ढाढ़ी गैंग वर्चस्व में आ गया था।

बदमाशों की तलाश में टीम लगाई गई है। इस मामले में जो भी जानकारी मिल रही है। उसके आधार पर कार्रवाई की जा रही है। इस मामले से जुड़े सभी लोगों पर शिकंजा कसेगा।

ब्रजेश सिंह, एसपी ग्रामीण

Posted By: Inextlive