पड़ोसी का हक ऐसा जैसा रिश्तेदारों का
- एमएसआई इंटर कॉलेज में ऑर्गेनाइज हुआ सेमिनार
GORAKHPUR : इस्लाम नाम है अमन चैन का, भाईचारगी का, मुहब्बत का पैगाम पहुंचाने का, इसी से हमारी जिंदगी और आखरत की कामयाबी है। इस्लाम पर सच्चे दिल से चलने वाले कभी रुस्वा नहीं होते। पड़ोसी का हक ऐसा ही है, जैसा कि अपने रिश्तेदार का। हमें चाहिए कि हम ऐसा मुआशरा बनाएं कि लोग उनकी मिसाल करें। यह बातें इस्लामी दावा सेंटर दिल्ली के चेयरमैन मोहम्मद उमर ने कहीं। वह इस्लामियां इंटर कॉलेज ऑडिटोरियम में इदारा नशरुल कुरानिल करीम की ओर से ऑर्गेनाइज जलसे को खिताब कर रहे थे। मुहम्मद साहब के रास्ते पर चलेंएमएसआई इंटर कॉलेज में 'इस्लाह मुआशरा' टॉपिक पर ऑर्गेनाइज सेमिनार में बस्ती से तशरीफ लाए मुफ्ती मुहम्मद अहमद ने कहा कि हमारे नबी करीम को उम्मत की बहुत फिक्र थी। वह हमेशा गरीबों, यतीमों, बेवाओं की मदद किया करते थे। हमें भी उनकी राह पर चलने की जरूरत है। अगर कोई आपसे कुछ मांगने आए तो उसे झिड़के नहीं, यतीमों के साथ नरमी से पेश आएं और हमेशा ही अल्लाह का शुक्र अदा करें।
व्यक्ति नहीं बल्कि समाज में सुधार लाना है मकसदइस दौरान लखनऊ से तशरीफ लाए नजीबुल हसन नदवी ने कहा कि इस्लाह मुआशरे का कतई यह मतलब नहीं है कि इससे किसी व्यक्ति विशेष में सुधार लाना है, बल्कि पूरे समाज में सुधार लाना है। उन्होंने कहा कि नबी करीम को मानने वाले लोग जात धर्म को छोड़कर एक दूसरे से मुहब्बत करने वाले होते हैं। इस्लाम भाईचारगी पैदा करने और संकीर्ण मानसिकता खत्म करने का आदेश देता है। डॉ। केआर आजमी ने सभी का शुक्रिया अदा किया। इस दौरान मुफ्ती आसिफ, मुफ्ती वलीउल्लहा, हकीम जुनैद आलम, मौलाना मुहम्मद अहमद के साथ शहर के आलिम और गणमान लोग मौजूद थे।