'भारत से नेपाल के लिए मदद मांगने आए हैं हम'
- गोरखपुर में नेपाल के मधेशी संगठनों के सदस्यों ने शेयर की प्रॉब्लम
- शाम को एक संगोष्ठी में भारत के खिलाफ नेपाल में हो रही गतिविधियों के बारे में दी जानकारी GORAKHPUR: नेपाल में कुछ ऐसे तत्व हैं तो नेपाल को अस्थिर बनाने के लिए लगातार काम कर रहे हैं। यह लोग भारत और नेपाल के रिश्तों में दरार भी डालने में लगे हुए हैं। भारत और नेपाल के बीच के रिश्ते के टूटने से दोनों को ही बहुत नुकसान होगा। यह बातें रविवार को एक कार्यक्रम में भाग लेने आए नेपाल के पूर्व सांसद व पूर्व संविधान सभा के सदस्य आत्माराम शाह ने कही। उन्होंने कहा कि मधेशियों के अलावा नेपाल में जो भी भारत के समर्थन वाले हैं उनको कमजोर किया जा रहा है। लगवाए जा रहे हैं नारेहम लोग अलग मधेश प्रांत की मांग कर रहे हैं, जबकि नेपाल की सरकार इसे छह प्रांतों में बांट रही है। राजनीतिक कार्यक्रर्ता ओमप्रकाश सराफ ने कहा कि नेपाल में माओवादी और पहाड़ी एरिया के लोगों को बहलाकर भारत विरोधी नारे लगवाए जा रहे हैं। मधेश के आंदोलन को किसी न किसी प्रकार से कमजोर किया जा रहा है। नेपाल में मधेश की आबादी 34 प्रतिशत है ऐसे में हमारी आवाज को दबाने के लिए कोशिश हो रही है।
विरोध का प्रतीक है आंदोलन नेपाल के मधेश आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले व राजनीतिक कार्यकर्ता ओमप्रकाश सराफ भी लोगों से रूबरू हुए। उन्होंने कहा कि नेपाल में चल रहा आंदोलन विभेद और विरोध का प्रतीक है। मधेश ने राजतंत्र के खिलाफ इसलिए आंदोलन किया था कि यहां लोकतंत्र स्थापित हो, लेकिन अगर लोकतंत्र ही हमारे अधिकारियों को हनन करने लगा, इसलिए इसका भी विरोध किया जा रहा है। पटना के सामाजिक कार्यकर्ता अशोक प्रियदर्शी ने कहा कि नेपाल में मधेश हाशिए पर खड़ा कर दिए गए हैं। पूर्व सांसद आत्माराम ने कहा कि नेपाल में संविधान संशोधन तो किया, लेकिन यह पूरी तरह से निरर्थक साबित हो रहा है। सेमिनार को मुख्य रूप से मनोज कुमार सिंह, चंद्रकिशोर ने संबोधित किया।