बिन एलपीजी कैसे चलती है हजारों गाडि़यां?
- सिर्फ एक ही एलपीजी गैस फिलिंग सेंटर है सिटी में
- दस हजार लीटर की क्षमता और डेली पांच सौ लीटर तक बिकती है गैस - सिटी में दो हजार से ज्यादा है एलपीजी ऑटो द्दह्रक्त्रन्य॥क्कक्त्र : क्या आप मानेंगे कि सिटी में करीब 59 सौ व्हीकल्स एक अंजान ईधन पर चलते हैं। एलपीजी किट लगे व्हीकल्स फर्राटा भरने के लिए शायद पानी या फिर हवा का यूज करते होंगे। हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि सिटी में एलपीजी गैस की बिक्री महज 500 लीटर ही होती है, लेकिन व्हीकल्स की रफ्तार नहीं थमती। आखिर ऐसा कौन सा ईधन है जो इतने सारे व्हीकल्स में एनर्जी भरता है? सिटी में मात्र एक फिलिंग स्टेशन है जहां एलपीजी भरी जाती है, लेकिन वहां व्हीकल गैस लेने जाते नहीं हैं। तो फिर गाडि़यां दौड़ती कैसे हैं? आइए हम बताते हैं आपको।सिर्फ एक स्टेशन से कैसे चलेगा काम
रोज सैकड़ों एलपीजी गाडि़यां सिटी की सड़कों पर फर्राटा भरती नजर आती हैं। फिलिंग स्टेशन से एलपीजी की बिक्री बहुत कम है, ऐसे में ये गाडि़यां चलती कैसी हैं? इस सवाल का जवाब छिपा है घरेलू गैस सिलेंडर्स की कालाबाजारी में। सोर्सेज की मानें तो व्हीकल्स में फिलिंग सेंटर की एलपीजी फिलिंग स्टेशन की एलपीजी की जगह घरेलू सिलेंडर की गैस भरी जा रही है। नाम न छापने की शर्त पर एक एलपीजी ऑटो ड्राइवर ने बताया कि फिलिंग सेंटर से गैस भरवाने की अपेक्षा घरेलू सिलेंडर से गैस भरवाना सस्ता पड़ता है।सिटी में दो हजार से ज्यादा एलपीजी ऑटो हैं और चार हजार के लगभग पेट्रोल प्लस एलपीजी व्हीकल हैं। इनकी फ्यूल के तौर पर एलपीजी की जरूरत पूरी करने के लिए सिर्फ एक एलपीजी फिलिंग स्टेशन तारामंडल में है। इसकी क्षमता दस हजार लीटर है, लेकिन रोजाना दो सौ लीटर गैस की बिक्री भी बमुश्किल होती है। एलपीजी फिलिंग स्टेशन के ओनर विवेक चौधरी के अनुसार पर डे करीब 20 से 25 ऑटो और 60 से 70 प्राइवेट व्हीकल यूजर्स ही फिलिंग सेंटर से एलपीजी गैस भरवाते हैं। इस दौरान एक और हैरत की बात सामने आई। तारामंडल स्थित एलपीजी फिलिंग सेंटर पांच दिन के लिए बंद है। फिलिंग सेंटर पर एक मशीन लगनी है जिसमें पांच दिन का समय लगेगा। यानि पांच दिन सिटी में सेंटर से गैस नहीं मिल रही, लेकिन फिर भी सिटी में एलपीजी ऑटो और व्हीकल धड़ल्ले से कैसे दौड़ रहे हैं। करीब 59 सौ व्हीकल्स आखिर कौन सी गैस पर चल रहे हैं?
घरेलू गैस सिलेंडर का होता है यूजडबल फायदा और बचत का है चक्कर
फिलिंग सेंटर से गैस न भरवाने के पीछे केवल एक ही चक्कर है, वह है पैसों की बचत। फिलिंग सेंटर पर एलपीजी का रेट 45.48 पैसा प्रति लीटर है जबकि सब्सिडी वाले घरेलू सिलेंडर की कीमत 450 रुपए हैं। एक सिलेंडर में 14.200 ग्राम गैस होती हैं। इसका मतलब सिलेंडर के जरिए एक किलो एलपीजी करीब 32 रुपए की पड़ती है। दोनों की कीमत में करीब 13 रुपए का डिफरेंस है। घरेलू गैस सिलेंडर के यूज को कॉमर्शियल व्हीकल ओनर इसे बिजनेस में लागत कम करने का तरीका मानते हैं तो प्राइवेट इसे बचत समझते हैं। जानलेवा है घरेलू गैस का यूज - घरेलू गैस सिलेंडर के यूज से व्हीकल में आग लगने का खतरा होता है। अक्सर ऐसी घटनाएं सामने आती रहती हैं। - व्हीकल में लगीे एलपीजी किट कंपनी अप्रूव्ड होती है। घरेलू एलपीजी यूज करने से क्वालिटी प्रभावित होती है। - घरेलू सिलेंडर से गाड़ी में गैस भरने से माइलेज और इंजन पर बुरा असर पड़ता है। - एलपीजी फिलिंग सेंटर की गैस और घरेलू सिलेंडर की गैस के वेट में भी अंतर होता है।सिटी में सिर्फ ही एलपीजी फिलिंग सेंटर है। यह सेंटर काफी बड़ा एरिया कवर करता है। सिटी में हजारों एलपीजी व्हीकल हैं, लेकिन सेंटर से गैस लेने वाले बहुत कम हैं। मतलब साफ है कि व्हीकल में धड़ल्ले से घरेलू गैस का यूज हो रहा है। न इसे कोई रोकने वाला है न पकड़ने वाला जबकि गैस सिलेंडर की किल्लत से पब्लिक परेशान है।
विवेक चौधरी, फिलिंग सेंटर ओनर