Gorakhpur News : बचपन में हैवानियत, 13 साल बाद पीडि़ता को मिला इंसाफ
गोरखपुर (ब्यूरो)। बचपन में नाबालिग के साथ हैवानियत हुई थी। इस केस की पैरवी ऑपरेशन कनविक्शन के तहत तेज की गई तो इसका परिणाम भी पीडि़ता के पक्ष में गुरुवार को आया। सिकरीगंज थाने में साल 2013 में 16 साल की पीडि़ता ने दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराया था। बताया जा रहा है कि सिकरीगंज भवरापुर निवासी जसवंत यादव जिसकी उस समय उम्र करीब 35 वर्ष थी। वह पीडि़ता के घर आता-जाता था। एक दिन जसवंत पीडि़ता को बहला फुसला कर एक प्राइमरी स्कूल में ले गया। वहां पर पीडि़ता ने उसका विरोध भी किया। कई बार किया दुष्कर्म, प्रेग्नेंट होने पर उठा ले गया
जसवंत ने इसके बाद अपनी मनमानी जारी रखी। जब भी मौका मिलता वह नाबालिग के साथ दुष्कर्म करता रहता था। डरी सहमी पीडि़ता ने बताया कि वह प्रेग्नेंट हो गई है। इसके बाद जसवंत इसकी जांच अपने परिचित के सेंटर करवाया। जहां पर पुष्टि होने पर वह पीडि़ता को उठाकर शहर में रख दिया। यहां पर एक रंभा नाम की महिला के पास पीडि़ता को छुपाकर रख दिया। पिता और बेटी की गवाही पर हुई सजा
लाख कोशिश के बाद भी जसवंत पीडि़ता को अधिक दिन तक छिपा कर नहीं रख पाया। पीडि़ता के पिता ने बेटी को खोज निकाला। इसके बाद साल 2013 में सिकरीगंज में मुकदमा दर्ज कराया। पिता और बेटी की आंखों में आ गए आंसूसिकरीगंज थानेदार मनीष यादव, एडीजीसी राघवेन्द्र राम त्रिपाठी की पैरवी से 13 साल बाद गुरुवार को कोर्ट का फैसला आया है। कोर्ट ने अभियुक्त जसवंत यादव दोषी साबित करते हुए आजीवन कारावास और 52000 रुपए के अर्थदंड से दंडित किया है, जिसके बाद पिता और पीडि़ता बेटी की आंखों से आंसू निकल आए।