छुआछूत समाज और राष्ट्र को कमजोर करता है
- हमारी संस्कृति में छुआछूत की कोई जगह नहीं है
GORAKHPUR: छुआछूत न कभी हमारे संस्कृति का हिस्सा रहा है और न ही हमारी प्रकृति का। छुआछूत यह एक विकृत के रूप में राष्ट्र और समाज को कमजोर कर रहा है। यह बातें मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री प्रो। रामशंकर कठेरिया ने कही। वह रविवार को ब्रह्मलीन महन्त दिग्विजयनाथ की 46वीं और महन्त अवेद्यनाथ की प्रथम पुण्यतिथि समारोह पर गोरखनाथ मंदिर में 'छुआछूत एवं ऊंच-नीच की भावना सामाजिक एवं राष्ट्रीय एकता में बाधक है' टॉपिक पर ऑर्गनाइज व्याख्यानमाला में बतौर चीफ गेस्ट मौजूद थे। उन्होंने कहा कि दुनिया की श्रेष्ठतम हिन्दू संस्कृति, हिन्दू जीवन पद्धति और सामाजिक व्यवस्था में जाति के आधार पर भेदभाव एक कलंक है। देश के सन्त-महात्मा और धर्माचार्यो ने तो स्वतंत्रता के बाद से ही सामाजिक समरसता का अभियान छेड़ दिया था। ब्रह्मलीन महन्त दिग्विजयनाथ व ब्रह्मलीन महन्त अवेद्यनाथ ने तो इस विषय पर पूरे देश में व्यापक जनजागरण अभियान चलाया था।
कण-कण में भगवान हैकार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सांसद योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हम 'वसुधैव कुटुम्बकम' के वाहक हैं। हिन्दू संस्कृति तो कण-कण में भगवान का दर्शन कराती है, उस संस्कृति में छुआछूत जैसी अमानवीय रूढ़ीगत व्यवस्था की स्वीकृति कैसे की जा सकती है? कार्यक्रम को दिगम्बर अखाड़ा, अयोध्या के महन्त सुरेशदास, हरिद्वार से आयी साध्वी प्राची, दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास पुरातत्व एवं संस्कृति विभाग के प्रो। ईश्वरशरण विश्वकर्मा, अयोध्या के रामानन्दाचार्य स्वामी दिनेशाचार्य, नैमिषारण के स्वामी विद्या चैतन्य, पं। रंगनाथ त्रिपाठी, डॉ। इन्द्रजीत शुक्ल, डॉ। श्रीभगवान सिंह ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर महन्त कौशल किशोरदास, महन्त शिवनाथ, महन्त शान्तिनाथ, महन्त रवीन्द्रदास, महन्त श्री पंचाननपुरी सहित कई अन्य लोग उपस्थित रहे।