बंध जाती है घिघ्घी, जब पूछती पब्लिक क्या यही है लालडिग्गी?
- लालडिग्गी पार्क में कभी होती थी तैराकी, आज उग आए हैं बड़े-बड़े घास
- 2015 में ही किया जाना था सुंदरीकरण, रिलायंस कंपनी ने महज 50 फीसदी किया काम - जिम्मेदारों की लापरवाही से गुलजार रहने वाला पार्क हो गया उजाड़ GORAKHPUR: अपने शहर में किसी चीज की कोई कमी नहीं लेकिन जिम्मेदारों की उदासीनता के कारण गोरखपुराइट्स को हर सुविधा से महरूम होना पड़ता है। आपने लालडिग्गी पार्क तो देखा ही है? कभी यह पार्क गुलजार रहा करता था। तैराकी तक होती थी लेकिन समय बीतने के साथ और विकसित होने की बजाय, यह पार्क बदहाल होता चला गया। जो भी इसे देखता है, पूछता है कि आसपास के हजारों लोगों के टहलने और शहरवासियों के घूमने की कभी पसंदीदा जगह रहे इस पार्क को किसकी नजर लग गई? फरवरी 2014 में हुआ था शिलान्यासशासन के आदेश के बाद शहर के चार पार्को के सौंदर्यीकरण की योजना बनी थी। इसमें लालडिग्गी पार्क का भी चयन हुआ। पीपीपी मॉडल के तहत पार्क के सौंदर्यीकरण का काम शुरू हुआ। फरवरी 2014 में मेयर ने सौंदर्यीकरण कार्य का शिलान्यास किया। एक साल में ही काम पूरा कर लिया जाना था लेकिन ढाई साल बाद अब तक केवल 50 प्रतिशत ही कार्य हो पाया है।
5 नवंबर से ठप है कार्य
कुछ दिन पहले नगर आयुक्त के निरीक्षण के बाद कार्यदायी संस्था ने तेज गति से कार्य शुरू किया था। मेन गेट के सौंदर्यीकरण का काम शुरू किया लेकिन पांच नवंबर से कोई काम नहीं हुआ है। यहां पर तैनात कर्मचारी ने बताया कि पांच नंबर के पहले दो से तीन कर्मचारी डेली आते थे और कुछ काम करते थे, लेकिन उसके बाद से कोई नहीं आया। चार माह से सूना है पार्क गीता प्रेस, साहबगंज, रेती चौक, घंटाघर और बसंतपुर एरिया के लोगों के लिए सुबह और शाम को टहलने के लिए यह सबसे अच्छा पार्क था। साहबगंज के एक व्यापारी मनोज बर्नवान का कहना है कि पार्क का ट्रैक लगभग 500 मीटर का था। सुबह दो चक्कर लगाते थे तो एक किमी। टहलना हो जाता था। लेकिन निर्माण के नाम पर चार माह से पार्क बंद है। इस कारण टहलने की जगह तक नहीं है। दिन में भी टिकट लेकर लोग घूमने पार्क में जाते थे लेकिन अब कोई नहीं जाता। बॉक्स यह है हालत - फूटपाथ अधूरा पड़ा है। - तीन बेंच ही केवल बैठने लायक हैं। - फव्वारा बंद है।- फव्वारे के चबूतरे की टाइल्स उखड़ी हुई है।
- फील्ड में कहीं भी घास पर बैठने लायक जगह नहीं है।
- ओपेन जिम नहीं बना है। - टॉयलेट नहीं बना है। - कैंटीन का निर्माण ही नहीं हुआ है। - बाउंड्री की मरम्मत नहीं हुई। कोट्स बहुत अधिक परेशानी हो रही है। सुबह लोग पार्क में टहलने जाते थे लेकिन चार माह से पार्क बंद है और लोग रोड पर टहलने के लिए मजबूर हो रहे हैं। विजय पंडित, पुजारी अफसरों की उदासीनता से एक अच्छा पार्क बदहाल हो गया। सौंदर्यीकरण के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है। इससे अच्छा तो पार्क पहले ही था। अभिषेक दूबे, प्राइवेट सर्विसमैन वर्जन रिलायंस कंपनी की लापरवाही के कारण अभी तक कार्य पूरा नहीं हो पाया है। कई बार नोटिस दिया जा चुका है, लेकिन फर्म अपनी मनमानी से बाज नहीं आ रहा। 2015 में ही पार्क बन जाना चाहिए था लेकिन अभी 50 फीसदी ही काम हुआ है। - वीसी पटेल, एक्सईएन नगर निगम