शिक्षकों की कमी का दंश झेल रहा राजकीय महाविद्यालय
- कई विषयों के शिक्षकों की तैनाती ही नहीं
- फॉर्म भरने के बाद भी नहीं हो पा रहे एडमिशन SAHJANWA: सरकार हर छात्र को उच्चतम शिक्षा देने के लिए जहां करोड़ों रुपए पानी की तरह बहा रही है। वहीं, सहजनवां का इकलौता राजकीय महाविद्यालय इस मंशा पर पानी फेरता नजर आ रहा है। यहां लंबे समय से शिक्षकों की कमी चल कही है। इस कारण लगातार महाविद्यालय में छात्रों की संख्या भी घटती जा रही है। आलम ये है कि अगर समय रहते इस समस्या पर ध्यान नहीं दिया तो छात्रों की संख्या घटते-घटते महाविद्यालय बंद होने की कागार पर पहुंच सकता है। मात्र तीन शिक्षकों के भरोसेसहजनवां एरिया के ग्रामीण बच्चों को सस्ती व उचित शिक्षा देने के लिए प्रदेश सरकार ने 1993 में राजकीय महाविद्यालय की स्थापना कराई थी। शुरुआत में यहां पर आठ विषयों की पढ़ाई भी होती थी। लेकिन वर्तमान में शिक्षकों की कमी के चलते स्थिति दयनीय बनी हुई है। इस महाविद्यालय को आठ विषय की मान्यता मिली हुई है। इसके बावजूद वर्तमान में यहां मात्र तीन अध्यापकों की तैनाती है। इस कारण हिंदी, संस्कृत और गृहविज्ञान की ही क्लास चल रही है। जिम्मेदारों का कहना है कि दो साल पहले शिक्षक के स्थानांतरण के बाद अंग्रेजी, अर्थशास्त्र, राजनीति शास्त्र, इतिहास, शारीरिक, शिक्षा विषय की क्लास नहीं चल पा रही है। महाविद्यालय के प्राचार्य ने इसे लेकर पांच बार शासन को पत्र भी लिखा है। शिक्षक ना होने से जहां एक तरफ छात्रों की संख्या घटती जा रही है। वहीं 70 छात्र व 50 छात्राओं का फॉर्म भरने के बाद भी एडमिशन नहीं हो पा रहा है।
ये हैं छात्रों के आंकड़े 2014-15 600 छात्र 2015-16 445 छात्र 2016-17 165 छात्र वर्जन विश्वविद्यालय का यह नियम है कि जिस विषय का शिक्षक ना हो उस विषय के छात्रों का एडमिशन ना हो। यही कारण है कि फॉर्म भरने के बाद एडमिशन नहीं हो पा रहा है। शिक्षक की तैनाती के लिए मैंने कई बार शासन को पत्र भी लिखा है। - ओपी राय, प्राचार्य