पब्लिक टॉयलेट नहीं, बस दीवार का सहारा
- शहर के नखास और माया बाजार में नहीं है एक भी पब्लिक टॉयलेट
- दोनों बाजारों में डेली 50 हजार से अधिक आते हैं लोग GORAKHPUR: आई नेक्स्ट की खास मुहिम 'जाएं तो जाएं कहां' का सिलसिला इस बार पहुंचा है दो ऐसे खास मार्केट में जहां हर रोज 50 हजार लोग आते हैं। माया बाजार और कोतवाली रोड स्थित मार्केट दो ऐसी ही जगहें हैं। यहां पर एक भी पब्लिक टॉयलेट नहीं है। हालत यह है कि लोग यहां जाते हैं तो दीवार की आड़ में हलके होते हैं। ऐसे में महिलाओं की क्या हालत होती है, इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। सीन 1 स्थान- घोस कंपनी चौराहा से नखास खासियत- लोकल इलेक्ट्रॉनिक्स के मामले में मंडल की सबसे बड़ी मार्केट कुल दूरी- लगभग एक किमी दुकानों की संख्या- 2500 दुकानों पर कार्य करने वाले वर्कर की संख्या- 7500प्रतिदिन कस्टमर्स की संख्या- 30000
पब्लिक टॉयलेट- एक भी नहीं ये है हकीकतआई नेक्स्ट ने भी इस हकीकत को जानने के लिए घोस कंपनी से नखास चौराहा तक लगभग 45 मिनट समय व्यतीत किया और एक दर्जन से अधिक दुकानदारों से बात की सबका एक ही जवाब था। गली में जाकर दीवार की आड़ में पेशाब करते लोग दिखे।
सीन 1
स्थान- घोस कंपनी चौराहा से कोतवाली पुलिस चौकी तक खासियत- लोकल इलेक्ट्रानिक और साइकिल की मंडल की सबसे बड़ी मार्केट दूरी- लगभग डेढ़ किमी दुकानों की संख्या- 5000 दुकानों पर कार्य करने वाले वर्कर- 10000 प्रतिदिन आने वाले कस्टमर्स की संख्या- 50000 पब्लिक टॉयलेट: एक भी नहीं ये है हकीकत घोस कंपनी से कोतवाली पुलिस चौक तक वाले माया बाजार का हाल भी वही है। लगभग डेढ़ किमी लंबे इस मार्केट में एक भी पब्लिक टॉयलेट नहीं है। पुरुष तो दीवार का सहारा लेकर हलके हो लेते हैं। लेकिन महिलाओं के लिए मुश्किल हो जाती है। वर्जन सबसे अधिक परेशानी महिलाओं को और रोड पर आने वाले लोगों को होती है। कई बार तो दुकान के अंदर आकर महिलाएं शौचालय के लिए पूछने लगती है। बड़ी एम्बैरेसिंग सिचुएशन हो जाती है कि क्या जवाब दें? -मनोज विश्वकर्मा, व्यापारी माया बाजारशहर के जिम्मेदारों की विकासवादी सोच होती है। वह जब विकास के लिए कार्य करते हैं तो पब्लिक को सुविधाएं मिलती है, लेकिन गोरखपुर के जिम्मेदार कभी विकास की सोच लेकर पब्लिक के बीच में जाते ही नहीं है कि उनको पब्लिक की सुविधा के बारे में पता चले।
-विनोद कुमार गुप्ता, व्यापारी, नखास किसी भी शहर की पहचान वहां की मार्केट से होता है, लेकिन गोरखपुर के जिम्मेदारों की लापरवाही से आज अपनी पहचान के लिए संकट झेल रहा है। किसी भी मार्केट में एक भी सुलभ शौचालय नहीं है। अवधेश कुमार गुप्ता, व्यापारी नखास पब्लिक की सुविधा किसकी भी अधिकारी की पहली प्राथमिकता होती है, लेकिन गोरखपुर के जिम्मेदारों को पब्लिक हित कभी नहीं दिखती है। यही कारण है कि शहर के किसी भी मार्केट में पब्लिक टॉयलेट नदारद हैं। मिथिलेश त्रिपाठी, निवासी साहबगंज मिर्जापुर आप अगर कोतवाली रोड के बीच में हैं और पेशाब लग जाए तो कम से कम 500 मीटर आना पड़ेगा। उसके बाद मार्केट में जाते समय रास्ते में ही एकांत जगह खोजना पड़ता है। नहीं तो खरीदारी बीच में छोड़कर भागना पड़ता है। सुनील सिंह, निवासी, राजेंद्र नगर पीएम का सपना है खुले में कोई शौच न करें, लेकिन नगर निगम लोगों को खुले में पेशाब करने के लिए मजबूर रहा है। स्थिति यह है कि किसी भी मार्केट में एक भी सही तरीके से सुलभ शौचालय नहीं है, जिसमें जाकर सकें। अजय यादव, निवासी मिर्जापुर