विकास की राह भूल गया कौड़ीराम
- शैक्षणिक व व्यावसायिक गतिविधियों का केन्द्र
- न तो नगर पंचायत है न तो थाना KAUDIRAM: गोरखपुर जनपद के दक्षिणांचल में उपनगरीय स्वरुप ग्रहण कर चुका कौड़ीराम वर्षो से अपनी उन्नती व विकास के सपने देख रहा है। इसके बावजूद आज तक उसके हाथ कुछ नहीं लगा। 2015 में भी क्षेत्र को अगर कुछ मिला तो सिर्फ कोरा आश्वासन। प्रचीन है कौड़ीराम का इतिहासजनपद की बांसगांव तहसील के कौड़ीराम विकासखंड की ग्राम पंचायत कौड़ीराम अनोमा(आमी) व अचिरावती(राप्ती) नदी के संगम स्थल के पास एनएच 29 पर स्थित है। 19 वीं शताब्दी की समाप्ति व 20 वीं शताब्दी के प्रारंभ में अनोमा नदी का तटीय क्षेत्र पनिहा के पेड़ों से भरा हुआ घना जंगल था। शिकार के शौकीन अंग्रेज अधिकारी इस क्षेत्र में शिकार के लिए आया करते थे। उनके रुकने के लिए यहां एक विश्रामगृह का निर्माण हुआ जो बाद में लोक निर्माण विभाग का डाकबंग्ला बना। कौड़ीराम नामकरण के संबंध में लोगों का कहना है कि आमी ताल में आवागमन के लिए अंग्रेज सरकार ने पांच पक्के पुलों का निर्माण शुरू करवाया। पुल निर्माण कार्य में लगे मजदूरों को अंग्रेज अधिकारी मजदूरी के रूप में तत्कालीन समय में प्रचलित मुद्रा कौड़ी देते थे। जिसके कारण इस स्थान का नाम कौड़ीराम पड़ा।
बाबा राघवदास ने जगाई शिक्षा की अलख
पूर्वाचल के गांधी कहे जाने वाले बाबा राघवदास ने क्षेत्र के विकास के लिए क्रांतिकारी शुरुआत की। उन्होंने वर्ष 1949 में आसपास के ग्रामीणों के सहयोग से सर्वोदय किसान इंटर कॉलेज की नींव रखी। विशुनपुर गांव निवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आनरेरी मजिस्ट्रेट स्व.पारसनाथ राय, धनौड़ा खुर्द निवासी वकील साहब, चवरियां के रामनारायण नायक, कौड़ीराम के व्यवसायी रामचन्द्र सेठ, संस्थापक प्रिंसिपल स्व.रामपलट शर्मा व कपिलदेव मिश्र ने इस विद्यालय के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा की अलख जलाई और इसे जनपद के अग्रणी विद्यालयों में शामिल कराया। बदल रहा है कौड़ीराम का स्वरूपवर्तमान समय में कौड़ीराम उपनगरीय स्वरूप ग्रहण कर चुका है और आस-पास की ग्राम पंचायतें धस्का, पांडेयपार, गोरसरी, भिटहां तथा मिश्रौली पूरी तरह कौड़ीराम में समाहित दिखाई पड़ती हैं। उपनगर में सर्वोदय किसान पी.जी.कॉलेज, सर्वोदय किसान इंटर कॉलेज, सर्वोदय किसान बालिका इंटर कॉलेज, बच्ची देवी डिग्री कॉलेज, आरपीएम एकेडमी व जी.डी.पब्लिक स्कूल सहित लगभग एक दर्जन प्राथमिक विद्यालय व जूनियर हाई स्कूल कौड़ीराम को शैक्षणिक केंद्र के रूप में स्थापित करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। वहीं राष्ट्रीयकृत भारतीय स्टेट बैंक, यूको बैंक, पीएनबी, यूनियन व पूर्वाचल ग्रामीण जैसे बैंकों की शाखाएं व उपडाकघर, कौड़ीराम की आर्थिक व व्यावसायिक स्थिति को दर्शाने के लिए पर्याप्त है। उपनगर में सभी दो पहिया वाहनों व ट्रैक्टर के शोरूम यहां की प्रगति की कहानी को कह रहे हैं। यदि सरकारी कार्यालयों की बात की जाए तो बाट माप विभाग, श्रम विभाग, सिंचाई विभाग, बाल विकास परियोजना कार्यालय, ब्लॉक मुख्यालय व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सहित 132 केवी का विद्युत उपकेन्द्र यहां पर स्थित है। इसके अतिरिक्त लगभग आधा दर्जन निजी अस्पताल भी यहां स्वास्थ्य सेवा में लगे हुए हैं। यहां पड़ने वाली छह ग्राम पंचायतों की जनसंख्या 40 हजार है।
जरूरतों के साथ समस्याएं भी बढ़ींअगर इस उपनगर में व्याप्त समस्याओं की बात करें तो अनियमित विद्युत आपूर्ति, गंदी पड़ी नालियां, टूटी फूटी सड़कें व हर जगह गंदगी का ढेर यहां की पहचान बन चुकी है। पुलिस सुरक्षा के नाम पर यहां मात्र एक पुलिस चौकी है। जबकि थाने की बात की जाए तो ये उपनगर गगहा व बांसगांव थाना क्षेत्र के बीच विभाजित है। जिसके कारण यदि कोई घटना घटती है तो बांसगांव थाना पहुंचने के लिए सात किमी व गगहा थाना पहुंचने के लिए 15 किमी की दूरी तय करनी पड़ती है। कौड़ीराम व आसपास के गांवों के लोगों की लंबे समय से मांग रही है कि कौड़ीराम को नगर पंचायत व सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस चौकी को थाना बनाया जाए। लेकिन सरकारी अधिकारियों व सत्ता में बैठे लोगों के कान पर जू तक नही रेंग रही है। उपेक्षा का दंश झेल रहे कौड़ीराम को उम्मीद है की अभी तक उसे भले ही कुछ न मिला हो, लेकिन आने वाले दिनों में उसकी उम्मीदों को पर लगेंगे व विकास की नई गाथा लिखी जाएगी। अब देखना है कि क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि कौड़ीराम की जनता की उम्मीदों पर कहां तक खरा उतरते हैं।