ज्वैलरी में प्योरिटी के साथ श्योरिटी भी जरूरी
- अक्षय तृतीया में ज्वैलरी की खरीदारी से पहले प्योरिटी का भी रखें ध्यान
- पर्व पर इन्वेस्टमेंट परपज से खरीदारी में भी मिलेगा बेहतर ऑप्श्न - प्योरिटी के साथ अच्छे रिटर्न मिलने की गारंटी के साथ ही करें इन्वेस्टमेंटGORAKHPUR: ज्वैलरी की खरीदारी करना हर महिलाओं का शौक होता है, लेकिन किसी खास पर्व पर ज्वैलरी खरीदने का एक अलग ही क्रेज है। इस बार भी 9 मई को अक्षय तृतीया पर होने वाली ज्वैलरी की खरीदारी के लिए मार्केट अभी से तैयार है। इसे लेकर जहां व्यापारी मार्केट में चार चांद लगाने में जुटे हैं, वहीं कस्टमर्स ने भी अभी से ही खरीदारी की लिस्ट फाइनल ली है। ऐसे में खरीदारी से पहले इस बात की श्योरिटी भी बेहद जरूरी है कि जो आप खरीद रहे हैं क्या वे प्योर है? तो आज हम आपको बताएंगे कि ज्वैलरी की खरीदारी से पहले कुछ खास बातों को ध्यान जरूर रखें।
प्योर है तो श्योर हैआमतौर पर महिलाओं की पहली और आखिरी पसंद गोल्ड, सिल्वर या डायमंड ज्वेलरी ही होती है। अक्षय तृतीया पर अगर आप इन्वेस्टमेंट परपज से कुछ खरीदना चाहें तो मेटल की प्योरिटी पर फोकस करें। ज्वेलरी में कभी दावे के मुताबिक मेटल नहीं मिल पाता, जबकि गोल्ड के अन्य ऑप्शन जैसे, क्वॉइन, बिस्कुट और ब्रिक्स में प्योरिटी की 99 परसेंट तक गारंटी होती है। ऐसे में बेहतर ये भी है कि अपने बजट के हिसाब से 18, 20, 22 या 24 कैरेट गोल्ड के क्वॉइन, बिस्कुट या फिर ब्रिक की खरीदारी करें। क्योंकि इसमें प्योरिटी के साथ सबसे अच्छा रिटर्न मिलने की गारंटी ज्यादा होती है।
पहले देखें, फिर खरीदें अक्षय तृतीया पर आप भी कुछ खरीदने का प्लान कर रहे हैं तो अच्छा ये होगा कि पहले मार्केट को पूरी तरह परख लें। इसमें सामान के साथ ऑफर्स को भी जानें। कई ज्वेलर्स डाउन पेमेंट के साथ ज्वैलरी देते हैं और फिर आसान किश्तों में आप उन्हें बाद में भी पेमेंट कर सकते हैं। जबकि कुछ लेबर चार्ज में अच्छा डिस्काउंट ऑफर करते हैं। रेट में भी शॉप टू शॉप कई बार अंतर देखने को मिलता है। यदि आप खरीदारी के लिए फुर्सत में निकले तो ज्यादा फायदा उठा सकते हैं। ब्रांड है तो बेहतर हैऐसे पर्व पर गोल्ड, सिल्वर या डायमंड की खरीदारी सिर्फ परम्परा नहीं बल्कि अब यह एनुअल इन्वेस्टमेंट का एक ट्रेंड है। हालांकि अन्य इन्वेस्टमेंट्स की तरह लोग ज्यादा समझदारी नहीं दिखाते। सीधे शॉप पर पहुंचते हैं और जो पसंद आया, जो बजट में फिट बैठा, उसे खरीद लेते हैं। सभी दुकानदारों का दावा होता है कि रिटर्न के वक्त लेबर चार्ज छोड़ 22 से 18 कैरेट (जो भी ज्वेलर ने दावा किया हो) उतना श्योर रिटर्न मिलेगा। लेकिन वापसी के वक्त चीजें बदल जाती हैं।
जरूरी नहीं की चांदी ही है सस्ता होने की वजह से ऐसे पर्व पर सिल्वर क्वॉइन की सेल सबसे ज्यादा होता है। अब तो बड़े फर्म, कंपनियां और लोग इसे गिफ्ट देने के लिए भी बल्क में खरीदते हैं। महंगाई को देखते हुए कंपनी और सराफा व्यापारियों ने भी पब्लिक की पॉकेट का ध्यान रखा है और उनकी पॉकेट के मुताबिक क्वाइन की रेंज मार्केट में अवेलबल कराई है। खरीदारी में इन बातों का रखें ध्यान - ज्वैलरी खरीदते वक्त आईजीआई सर्टिफिकेट देखकर ही लें। - शुद्धता की गारंटी के लिए अब सभी ज्वैलरीज पर हॉलमार्क होता है, जो उसके पीछे नजर आता है। इसे जरूर देखें। - चांदी के पुराने सिक्कों को खरीदने से परहेज करें। पुराने सिक्के मार्केट से लगभग गायब हैं। जो मिल रहे हैं, वे पूरी तरह ओरिजनल नहीं हैं, इसलिए इसे जानकार से ही परचेज करें।- ज्वैलरी का पक्का बिल जरूर लें जिसमें प्योरिटी का परसेंट जैसे 18, 20, 22 या 24 कैरेट का भी उल्लेख हो।
ज्वैलरी की खरीदारी से पहले क्वालिटी की श्योरिटी बेहद जरूरी होती है। इसके लिए खरीदारी से पहले ज्वैलरीज पर हॉलमार्क व आईजीआई का मुहर जरूर देखना चाहिए। साथ ही बिल पर प्योरिटी का परासेंटेज के साथ ही लेना चाहिए। - विनीत अग्रवाल, ज्वैलर्स ऐसे पर्व पर ज्यादातर लोग इन्वेस्टमेंट के परपज से भी अधिक खरीदारी करते हैं। इसमें 18, 20, 22 या 24 कैरेट गोल्ड के क्वॉइन, बिस्कुट या फिर ब्रिक की खरीदारी में प्योरिटी के साथ सबसे अच्छा रिटर्न मिलने की गारंटी ज्यादा होती है। - अतुल सराफ, ज्वैलर्स