जिम्मेदार खा गए रामगढ़ताल की हरियाली
- रामगढ़ताल के किनारे लगने थे 5 हजार पौधे
- छह माह के बाद भी एक पौधा नहीं लगा पाया जल निगम रामगढ़ताल के किनारे लगने थे भ् हजार पौधे - छह माह के बाद भी एक पौधा नहीं लगा पाया जल निगम GORAKHPUR: GORAKHPUR: जल निगम की लापरवाही से रामगढ़ताल के सौंदर्यीकरण का कार्य अधूरा पड़ा हुआ है। हालत यह है कि एक साल पहले रामगढ़ताल के आसपास के इलाकों को हरा-भरा करने की योजना कागजों में सिमट कर रह गई है। एक करोड़ की लागत से रामगढ़ताल के किनारे पांच हजार पौधे जनवरी तक लगा दिए जाने थे, लेकिन मई के भी दस दिन बीत चुके हैं, लेकिन अब तक जल निगम एक भी पेड़ नहीं लगा सका है। जिम्मेदारों की लापरवाही से शहर के टूरिस्ट स्पॉट की ओर से कदम बढ़ा रहे रामगढ़ताल का डेवलपमेंट और सौंदर्यीकरण अधर में लटका हुआ है।हरियाली की बाट जोह रहे पर्यटक
ताल के सौंदर्यीकरण में चारों ओर पेड़-पौधे लगाकर हरा-भरा करने की योजना बनाई गई। इसके लिए जल निगम को एक करोड़ रुपए भी मिले थे, लेकिन अभी तक ताल के किनारे एक पेड़ भी नहीं लग सका है। पैडलेगंज से सर्किट हाउस तक वर्षो पहले लगे पुराने पेड़ हैं, लेकिन आरकेबीके से सहारा स्टेट तक रामगढ़ताल के किनारे एक भी पेड़ नहीं मिलेंगे। जल निगम के एक कर्मचारी ने बताया कि निगम ने अभी तक पेड़ लगाने के लिए वन विभाग को पत्र ही नहीं लिखा है, इसलिए अब तक पौधे नहीं लगाए जा सके हैं।
ख्0क्फ् में पूरा होना था प्रोजेक्ट रामगढ़ताल को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने के लिए वर्षो तक आंदोलन होने के बाद ख्0क्0 में केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय झील संरक्षण परियोजना में इस ताल को चयन किया। उसके बाद अप्रैल ख्0क्0 में इस ताल के सौंदर्यीकरण की जिम्मेदारी जल निगम को मिली। शुरू में इस परियोजना की लागत क्ख्ब्.फ्ख् करोड़ रुपए थी और तीन साल में यह योजना पूरी की जानी थी। मगर योजना में देर होने की वजह से इसकी लागत क्9म् करोड़ रुपए हो गई। इस योजना में सबसे प्रमुख काम रामगढ़ताल में गिर रहे शहर के गंदे पानी को साफ करना था। यह काम तो पूरा हो चुका है और गंदे पानी को साफ कर ताल में गिराया जा रहा है, लेकिन इसके अलावा बाकी बचे सौंदर्यीकरण के काम अब भी अधूरे पड़े हुए हैं। जलकुंभी रोकने पर विशेष जोररामगढ़ताल को जलकुंभी से मुक्त कराने के लिए इस योजना में विशेष जोर दिया गया था। हालांकि ताल का लगभग 8भ् प्रतिशत एरिया जलकुंभी मुक्त हो गया है, लेकिन क्भ् प्रतिशत हिस्से में आज भी जलकुंभी है। इसको समाप्त करने के लिए ताल में खास केमिकल डालना था। जलीय जीवों के लिए पानी में ऑक्सीजन की मात्र को भी बढ़ाना था। साथ ही इसे कृत्रिम सर्कुलेटर मशीन से काटना भी था। यह भी मशीन सही से काम नहीं कर रही है।
योजना की पूरी लागत क्9म्.भ्7 करोड़ रुपए - क्0क्.फ्फ् करोड़ रुपए में एसटीपी व पंपिंग स्टेशन का निर्माण - फ्ब्.ब् करोड़ डेजिंग मद में खर्च - ख्.भ् करोड़ में जलकुंभी निस्तारण - म्.9ख् करोड़ रुपए में नए व पुराने बांधों के सौंदर्यीकरण का कार्य - क् करोड़ रुपए में बांधों पर पौधारोपण कुछ तकनीकी कारणों से पौधोरोपण का कार्य शुरू नहीं हो पाया है। बिजली विभाग को कुछ पोल हटाने थे, मगर अब तक वह हट नहीं सके हैं। इसकी वजह से काम रुका हुआ है। जैसे ही पोल हट जाएगा, ताल के किनारे पौधरोपण का काम शुरू कर दिया जाएगा। एसपी सिंह, एई, जल निगम