GORAKHPUR : देश की आजादी के बाद से यहां काफी कुछ बदलाव देखने को मिले हैं। लगातार तरक्की कर रहा देश जहां आसमान की बुलंदियों को छू रहा है। वहीं आज भी कुछ ऐसी चीजें हैं, जिनसे लोगों को अब तक आजादी नहीं मिल सकी है। इसमें एक नाम है जाम। इसकी ठीकरा सीधे पुलिसिया लापरवाही पर फोड़ दिया जाता है, लेकिन सही मायने में देखा जाए तो एनक्रोचमेंट, रांग साइड ड्राइविंग, सिविक सेंस समेत कई ऐसे पहलू हैं, जो गोरखपुराइट्स की गलती की वजह से पैदा हुए है। ऐसा नहीं की यह जानबूझ कर किया जा रहा है, बल्कि जल्द घर पहुंचने की होड़, ऑफिस लेट होने की टेंशन कुछ ऐसे पहलू हैं जो दूसरों की आजादी में खलल डाल रही है। आजादी के 68वें जश्न पर अगर हर व्यक्ति यह तय कर ले कि वह अपनी तरफ से कोई रूल नहीं तोड़ेगा और कोई ऐसा काम नहीं करेगा, जिससे दूसरों की आजादी पर इफेक्ट पड़ता हो, तो यकीनन लोग आजाद देश की हवा को महसूस कर सकेंगे।

बस स्टेशन रोड

गोरखपुर रेलवे स्टेशन जाने के लिए बस स्टेशन रोड काफी महत्वपूर्ण रास्ता है। करीब 10 हजार से ज्यादा लोग इधर से ट्रेन और बस पकड़ने के लिए गुजरते हैं। इस एरिया में लोगों को सबसे ज्यादा जाम के झाम से जूझना पड़ता है। यूपी रोडवेज की आड़ी तिरछी बसों की वजह से यह रूट सिरदर्द भरा हो चुका है। इस रास्ते से कोई भी आजादी के साथ स्टेशन तक पहुंच जाए, ऐसा काफी कम देखने को मिलता है। यूपी रोडवेज की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की जाती है, इसलिए इनकी हिम्मत भी बढ़ी रहती है।

मोहद्दीपुर चौराहा

कूड़ाघाट से मोहद्दीपुर तक आने में राहगीरों को पसीने छूट जाते हैं। बस और टेंपो ड्राइवर्स कहीं भी गाड़ी रोककर सवारी भरना शुरू कर देते हैं, ऐसे में मोहद्दीपुर चौराहे पर घंटों जाम लगे रहते हैं। वहीं इसकी सबसे बड़ी वजह मोहद्दीपुर चौराहे के बीच में बनी पुलिस चौकी भी है, जिससे पैडलेगंज और यूनिवर्सिटी चौराहे की ओर जाने वाली राह में लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।

गोरखनाथ रोड

गोरखनाथ रोड पर जाम लगने की मुख्य वजह एनक्रोचमेट, फुटपाथ का न होना और रोड का सकरा होना। कई बार तो लोग घंटों जाम के झाम में फंसने के डर से गोरखनाथ रोड पर सुबह के 10 बजे और शाम के 4 से 6 बजे के जाना ही नहीं चाहते है। जाम में फंसने का मतलब बेवजह कई लीटर तेल जलाना है।

सिटी में कुल 44 ऐसे छोटे बड़े चौराहे हैं, जिन पर ट्रैफिक व्यवस्था को ठीक रखने के लिए ट्रैफिक पुलिस के जवान तैनात किए जाने चाहिए। संख्या बल में कमी की वजह से केवल 12 चौराहों पर ही ट्रैफिक पुलिस कर्मी तैनात है। वर्तमान समय में ट्रैफिक पुलिस मे एक एसपी के अलावा एक टीएसआई, 25 हेड कांस्टेबल व एचसीपी और 37 सिपाही है। जबकि गोरखपुर के लिए एक टीआई, तीन टीएसआई, 15 हेड कांस्टेबल, 20 एचसीपी और 50 सिपाहियों का नियतन निर्धारित है। भारी कमी की वजह से सिटी में ट्रैफिक व्यवस्था पुलिस के लिए बड़ी चुनौती है। इसमें बड़े स्थानों पर एक हेड कांस्टेबल और 2 सिपाही रहते हैं, जबकि छोटी जगह के लिए एक हेड कांस्टेबल और एक सिपाही की ड्यूटी लगती है। ऐसे में निर्धारित मानक से काफी कम सिपाही होने की वजह से सभी चौराहे कवर नहीं हो पाते।

धर्मशाला चौराहा

धर्मशाला चौराहे का जाम किसी ने छिपा नहीं है। यहां लगने वाला जाम की मेन वजह बेतरतीब खड़ी होने वाली आटो रिक्शा हैं। सिटी के डिफरेंट रूट्स पर चलने वाले करीब 2 हजार से ज्यादा ऑटो रिक्शा यहीं से चलते हैं। यही रीजन है कि आटो पकड़ने वाले लोगों का यह इक्ट्ठा होती है और उसमें बैठने की होड़ में अक्सर जाम लग जाते हैं।

बैंक रोड

बैंक रोड पर लगने वाले जाम मुख्य कारण है कि सड़कों के किनारे बेल्ट और चश्में की दुकानदारों का कब्जा है। इसके अलावा बांस फोड़ ने भी एनक्रोचमेंट कर रखा है, जिससे ज्यादा जाम लग जाता है। एडी ग‌र्ल्स इंटर कॉलेज के सामने पुलिस की तैनाती रहती है, लेकिन इन एनक्रोचमेंट के आगे पुलिस भी नाकाम है।

बीमार कर रहा है यह जाम

डीजल गाडि़यों से ज्यादा धुंआ निकलता है। जाम की वजह से एक जगह पर हार्मफुल गैसेज की मात्रा बढ़ जाती है। डॉ। बी.कुमार की मानें तो इसकी वजह से सांस संबंधी बीमारी हो जाती है। इसका सबसे ज्यादा असर बच्चों और बुजुर्गो के फेफड़े पर ज्यादा असर पड़ता है। दमा पेशेंट्स को इससे काफी प्रॉब्लम हो सकती है। वहीं धुंए से इलर्जिक मेनिफेस्टेशन हो सकता है, जिससे आंखों लाल हो सकती हैं तथा नाक से पानी की समस्या भी हो सकती है। वहीं डॉ। वीएन अग्रवाल की मानें तो जाम के कारण कार्बन मोनोआक्साइड, कार्बन डाईआक्साइड, कार्बन सल्फर डाईआक्साइड तथा अन्य गैसेज का घनत्व काफी बढ़ जाता है। जो जाम में फंसे लोगों और आसपास के लोगों के फेफडे़ में चला जाता है। जिससे व्यक्ति को दमा होने की संभावना बढ़ जाती है। अधिक शोर के कारण मनोरोग होने की संभावना होती है।

जाम के झाम ने बढ़ाई तेल की खपत

जाम के झाम ने गोरखपुर की जेब पर भी दबाव बढ़ाया है। एक गलती की वजह से लगने वाले जाम के बाद कई लीटर पेट्रोल फुंक जाता है। गोरखपुर में हुए एक सर्वे के मुताबिक, सिटी में डेली 200 गैलन पेट्रोल और डीजल की खपत हो रही है। वाहनों के जरिए खपने वाले पेट्रोल, डीजल की मात्रा महानगर के वातावरण में रोज 640 पौंड कार्बन मोनो आक्साइड, 40 से 50 पौंड कार्बन वाष्प, 4 से 15 पौंड नाइट्रोजन के आक्साइड घुल रही है। इसके साथ ही सल्फर यौगिक, कार्बन अम्ल, अमोनिया बेस कार्बन भी घोल रही है।

44 चौराहों की जिम्मेदारी 62 के जिम्मे

Posted By: Inextlive