सिर्फ कागजों में होते हैं प्रेक्टिकल्स
- राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान में सिर्फ फाइलों में होते है प्रैक्टिकल
- प्रैक्टिकल के लिए नहीं है कॉलेज में उपयुक्त मशीनें GORAKHPUR: राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (रेलवे कॉलोनी) और राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (चरगांवा) में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स रियल में कम और कागजों पर ज्यादा प्रैक्टिकल्स होते हैं। यह अपना कैरियर बनाने आए स्टूडेंट्स की मानें तो उन्हें प्रैक्टिकल का मौका कम मिलता है। उनकी शिकायत है कि आज के एज में वे पुराने इंस्ट्रूमेंट्स के प्रैक्टिकल करने को मजबूर हैं। प्रैक्टिकल्स के लिए जो इंस्ट्रूमेंट्स हैं, वे क्9भ्0 से पहले के हैं। उनकी आज की डेट में कोई उपयोगिता नहीं है। हालांकि इस मामले में कॉलेज प्रशासन का भी यह मानना है कि मॉर्डन टेक्नोलॉजी के इस युग में स्टूडेंट्स प्रैक्टिकल्स से वंचित हैं। प्रैक्टिकल्स के नाम पर खानापूर्तिअसुरन स्थित राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान, रेलवे कॉलोनी में पढ़ाई करने वाले सैकेड़ों स्टूडेंट्स की माने तो उन्हें प्रैक्टिकल्स के नाम पर सिर्फ कोरम पूरा कराया जाता है। व्यवसायआशुलिपिक हिंदी कंप्यूटर कक्ष में पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स बताते हैं कि वह आज भी प्रैक्टिकल्स से वंचित हैं। जब कभी प्रैक्टिकल्स कराए भी जाते हैं तो टाइपराइटर पर। जबकि तत्कालीन प्रिंसिपल ने स्टूडेंट्स के प्रैक्टिकल्स के लिए फ्0 से ज्यादा कंप्यूटर की खरीदारी की कराई थी, लेकिन कंप्यूटर रूम में रखे गए कंप्यूटर धूल फांक रहे हैं। न तो इन कंप्यूटर का स्टूडेंट्स के हित में इस्तेमाल किया जा रहा है और ना ही इसकी सुध लेने वाला कोई जिम्मेदार है।
किसी काम की नहीं मशीनें वहीं व्यवसाय ड्राफ्टमैन सिविल एवं ड्राफ्ट मैन मैकेनिक डिपार्टमेंट में पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स की मानें तो प्रैक्टिकल्स केवल फाइलों में होते हैं। जो इंस्ट्रूमेंट्स हैं वह किसी काम के नहीं है। वर्कशाप की क्लासेज से स्टूडेंट्स बताते हैं कि मॉर्डन टेक्नोलॉजी के एज में आज भी पुराने जमाने के डीजल इंजन रखे गए हैं। जबकि आज जनरेटर और पंपिंग सेट की आधुनिक मशीनें आ चुकी हैं। एक हजार से ज्यादा है स्टूडेंट्स चरगांवा स्थित राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान में एक हजार से ज्यादा स्टूडेंट्स हैं, लेकिन यहां प्रैक्टिकल के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जाती है, स्टूडेंट्स को प्रेक्टिकल के बजाय पुरानी खराब मशीनें दिखाकर कोरम पूरा कर दिया जाता है। हालांकि प्रैक्टिकल्स के लिए स्टूडेंट्स कई बार कॉलेज प्रशासन से डिमांड कर चुके हैं, लेकिन नए इंस्ट्रमेंट्स की खरीदारी हुई ही नहीं है। बिना प्रिंसिपल का कॉलेजराजकीय औद्योगिक कॉलेज, रेलवे कॉलोनी में पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स की मानें तो उनके कॉलेज में वर्तमान में कोई प्रिंसिपल नहींहैं। इससे पहले गोविंद कुमार प्रिंसिपल थे, लेकिन उनका ट्रांसर्फर होने चलते कॉलेज की स्थिति नाजुक है। हालांकि इस कॉलेज को चरगांवा स्थित राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान के प्रिंसिपल राजेश राम फौरी तौर पर देख रहे हैं।
नहीं है इन ट्रेड्स में प्रैक्टिकल्स के इंस्ट्रमेंट्स - इलेक्ट्रिशियन - मोटर मैकेनिक - ट्रैक्टर मैकेनिक - डीजल मैकेनिक - स्टेनो हिंदी - ड्रॉफ्टमैन सिविल - ड्रॉफ्टमैन मैकेनिक प्रैक्टिकल्स के नाम पर कोई इंस्ट्रमेंट्स नहीं है। जो हैं भी वह सिर्फ दिखाने के लिए है। केवल थ्योरी होती है। मशीनों पर प्रैक्टिकल्स नहीं करने को मिलते हैं। कृष्णा, आईटीआई स्टूडेंट हिंदी टाइपिंग के लिए कंप्यूटर की खरीदारी की गई है। जो धूल फांक रही हैं, लेकिन हमें आज भी टाइपराइटर पर टाइपिंग सीखनी पड़ रही है, जबकि कंप्यूटर की खरीदारी इसलिए की गई थी ताकि हम कंप्यूटर पर प्रैक्टिक्स कर सकें। शालिनी, आईटीआई स्टूडेंट बच्चों के प्रैक्टिकल्स के लिए मशीनें हैं। कुछ मशीनें पुरानी हैं, उन्हीं पर प्रैक्टिकल्स कराए जाते हैं। नई मशीनों की खरीदारी की जाती है। इसके लिए टेंडर जब होंगे। उसके बाद ही नई मशीनें खरीदी जाएंगी।राजेश राम, प्रिंसिपल, राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान, चरगांवा