रो रहा आईटीआई कॉलेज
- चरगांवा स्थित राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स के लिए नहीं हैं मूलभूत सुविधाएं
- जर्जर बिल्िडग, टूटी खिड़कियों और टपकता छत के नीचे पढ़ने को मजबूर आईटीआई स्टूडेंट्स GORAKHPUR : चरगांवा स्थित राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान बदहाली से कराह रहा है। इस कॉलेज में न तो स्टूडेंट्स के लिए टीचर्स हैं और ना ही रहने के लिए हॉस्टल। आलम यह है कि यहां की सभी इमारतें जर्जर हो चुकी हैं। इमारत कब गिर जाए कहा नहींजा सकता, लेकिन जिम्मेदार यहां की बदहाली को ऊपर बैठे आला अफसरों तक पहुंचाने में ढिलाई बरत रहे हैं। राम भरोसे हैं आईटीआई स्टूडेंट्सराजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) में करीब दो हजार से ज्यादा स्टूडेंट्स पढ़ाई करते हैं। संस्थान में कुल ख्क् ट्रेड से पढ़ाई होती है। इनमें फ् ट्रेड स्टेट काउंसिल फॉर वोकेशनल ट्रेनिंग और क्8 ट्रेड नेशनल काउंसिल फार वोकेशनल ट्रेनिंग के तहत चलाए जाते हैं, लेकिन यहां के स्टूडेंट्स की पढ़ाई व्यवस्था पूरी तरह से राम भरोसे हैं। क्लासेज में न तो बैठने की प्रॉपर व्यवस्था है और न ही प्रैक्टिकल करने की व्यवस्था।
टॉयलेट है बड़ी समस्याआईटीआई फर्स्ट इयर और सेकेंड इयर में पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स की मानें तो स्टूडेंट्स के लिए यहां कोई व्यवस्था नहीं है। एक तरफ जहां देश के प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी गांव-गांव में टॉयलेट बनाए जाने पर जोर दे रहे हैं वहीं शहर में बने इस कॉलेज में स्टूडेंट्स के लिए एक टॉयलेट तक नहीं है। सबसे ज्यादा दिक्कत गर्ल्स स्टूडेंट्स को होती है। गर्ल्स स्टूडेंट में शाहिन, कविता, प्रीति, संजू बताती हैं कि टॉयलेट न होने उन्हें काफी प्रॉब्लम होती है, लेकिन कॉलेज प्रबंधन का ध्यान इस ओर कभी ध्यान नहींदेता है।
टपकती छत के नीचे पढ़ने को मजबूर आईटीआई स्टूडेंट्स धर्मपाल यादव, अमित, अनिल, कौशल, चंद्रेश्वर, ओंकार, संगम, रघुनंदन, और अतुल श्रीवास्तव आदि की मानें तो यहां की सभी क्लासेज की छतें बारिश के दिनों में टपकती हैं। इसके अलावा क्लासेज की खिड़कियां टूटी हुई है। स्टूडेंट्स अब चिंतित है कि जैसे जैसे सर्दी बढ़ेगी उनका क्लास में बैठना मुश्किल हो जाएगा। यह सारी प्राब्लम यहां के कॉलेज प्रशासन को नहींदिखती है। स्टूडेंट्स की माने तो उन्हें तो कम से कम मूलभूत सुविधाएं तो मिलनी ही चाहिए। क्कह्मश्रढ्डद्यद्गद्वह्य द्बठ्ठ ढ्ढञ्जढ्ढ - स्टूडेंट्स के लिए नहीं है टॉयलेट की व्यवस्था। - पिछले ख्भ् सालों से बंद पड़े हैं छात्रावास - भारी मात्रा में टीचर्स का अभाव - स्टूडेंट्स के प्रैक्टिकल के लिए खराब पड़े हैं इंस्ट्रूमेंट।- गर्ल्स स्टूडेंट्स के लिए नहीं है कोई कॉमन हॉल।
- स्टूडेंट्स के लिए नहीं हैं कंप्लेन सेल। - स्टूडेंट्स को कॉलेज से नहीं मिलती बुक्स। कैसे करें प्रैक्टिकल - फिटर डिपार्टमेंट की ज्यादातर मशीनें खराब है। - मैकेनिकल डीजल के लिए नहीं हैं बेहतर इंस्ट्रूमेंट - मैकेनेकिल ट्रक, कार के लिए नहीं है कोई ट्रेंड टीचर। - मोटर ड्राइविंग के लिए नहीं है ट्रेंड ड्राइवर। - सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में केवल नाम के लिए रखे गए हैं गाडि़यों के पार्टस। यहां टीचर्स की काफी कमी है। सबसे बड़ी यह समस्या है कि यहां टॉयलेट तक नहीं है। क्लासेज की कभी सफाई नहींहोती है। हमें ही झाड़ू ही लगानी पड़ती है। अनिल कुमार गुप्ता, स्टूडेंट जर्जर बिल्डिंग के बीच हमारी क्लासेज चलती हैं। न तो कॉलेज प्रशासन ध्यान देता है और ना ही यहां के टीचर्स। कई क्लासेज की छतें इतनी जर्जर हैं कि डर लगता है। जितेंद्र मौर्या, स्टूडेंट वर्कशाप में रखे सारे इंस्ट्रूमेंट खराब हैं। प्रैक्टिकल के नाम पर सिर्फ कोरम पूरा किया जाता है। केवल थ्योरी क्लासेज ही हम कर पाते हैं। प्रेक्टिकल की कौन पूछे? रविकांत कुशवाहा, स्टूडेंटस्टूडेंट्स के लिए यहां न तो छात्रावास की व्यवस्था है और ना ही टॉयलेट की व्यवस्था। चाहे वह छात्रा हो या छात्र। सभी को टॉयलेट की समस्या झेलनी पड़ती है।
अतुल श्रीवास्तव, स्टूडेंट वर्जन अभी हाल ही में मैंने ज्वाइन किया है। यहां काफी चुनौतियां हैं। छात्रों की हर समस्या जल्द से जल्द सॉल्व कर दिया जाएगा। राजेश राम, प्रिंसिपल, आईटीआई, चरगांवा