अभी बोएंगे सरसों तो नहीं परेशान करेगा माहू
- अच्छी फसल के लिए 31 अक्टूबर तक कर लें सरसों की खेती
- अगैती फसल बोने से कम हो जाएगा फसल में माहू का खतरा GORAKHPUR : सरसों की खेती समय से करके किसान फसल को सबसे बड़े दुश्मन माहू से बचा सकते हैं। यही नहीं, कम सिंचाई पर भी किसान सरसों की खेती कर सकते हैं। सरसों की बुआई का समय, संतुलित उर्वरक के प्रयोग और समसामयिक रोगों पर नियंत्रण करने वाले दवा का प्रयोग करके प्रति हेक्टेयर 25 से 30 कुंतल पैदावार ले सकते हैं। सरसों की अगैती खेती का सबसे अच्छा समय मध्य अक्टूबर के आस-पास माना जाता है। इस समय की गई बुआई से सरसों माहू कीट आने के पहले ही तैयार हो जाती है। होगी 25-30 कुंतल पैदावारसरसों रबी के तिलहन की प्रमुख फसल है। सीमित सिंचाई में भी इसकी भरपूर फसल ली जा सकती है। सरसों की फसल में कई तरह के रोग लगते हैं लेकिन माहू फसल का सबसे बड़ा दुश्मन है। इसके बचाव के लिए किसान के पास एक ही उपाय है कि वह सरसों की खेती अगैती कर लें। इसके लिए किसान को प्रति हेक्टेयर 5 से 6 कुंतल बीज की आवश्यकता पड़ती है। इस बीज से किसान 25 से 30 कुंतल सरसों की पैदावार प्रति हेक्टेयर प्राप्त कर सकता है।
इन बातों का रखें ध्यान - बुआई के पूर्व किसान अगर प्रति किग्रा बीज को 2.5 ग्राम थीरम और 1.5 ग्राम मैटालिक्स से शोधित करे तो फसल को बीज जनित रोग सफेद गेरुई और रतुलसिता रोग से सुरक्षा मिल जाती है। - बुआई के लिए किसान खेत की 2-3 सामान्य या रोटोवेटर की एक जुताई करके तैयार कर सकते हैं। - अगर खेती में नमी कम है तो किसान को पलेवा के बाद बुआई करना चाहिए। - सामान्य तौर पर प्रति हेक्टेअर खेत में 120 किग्रा नाइट्रोजन और 40-40 किग्रा पोटाश व फास्फेट की जरूरत पड़ती है। - फास्फोरस का प्रयोग सिंगल सुपर फास्फेट (एसएसपी) के रूप में बेहतर होता है। - अगर एसएसपी का प्रयोग नहीं किया गया है, तो बेहतर उपज के लिए प्रति हेक्टेयर 40 किग्रा सल्फर अलग से डालें। - नाइट्रोजन की आधी और अन्य उर्वरकों की पूरी मात्रा खेत की अंतिम तैयारी के समय डालें और शेष नाइट्रोजन करीब माह भर बाद पहली सिंचाई के साथ दें। - बुआई के करीब 15 दिन बाद फसल पौध की मानक दूरी 15 सेंमी पर कर लें और निराई कर खर-पतवार साफ कर लें। टिप्स- डा। अशरफ हुसैन, पूर्व प्रभारी, कृषि विज्ञान केंद्र, बेलीपारकरें उन्नत प्रजातियों का उपयोग
सरसों की खेती के लिए नरेंद्र राई, वरुणा, टी 59, बसंती, रोहिणी, वरदान, कृष्णा व पूसा बोल्ड आदि अच्छी प्रजातियां मानी जाती हैं। इसके अलावा घर में रखे पुराने अच्छे बीज का उपयोग करके किसान अच्छी कमाई कर सकता है। पिछले साल हुई बेमौसम बरसात ने तिलहन की फसल को काफी नुकसान पहुंचाया था। जिस वजह से सरसों के तेल के दाम में करीब 40 फीसदी की बढोत्तरी हुई थी। ऐसे में अगैती फसल बोने वालों को फायदा मिल सकता है।