डिजिटाइजेशन आज के दौर में एक ऐसा हथियार है जो सभी के लिए जरूरी है. इसकी मदद से महिलाएं सेल्फ डिपेंडेंट बन सकती हैं. जरूरत है तो बस इसके महत्व को समझने की.


गोरखपुर (ब्यूरो)।भारतीय संविधान ने महिलाओं को सश्क्त करने के लिए बहुत से अधिकार दिए हैं, लेकिन बड़ी तादाद में महिलाएं ऐसी हैं, जिन्हें इसके बारे में जानकारी तक नहीं है। मगर जब से टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल बढ़ा है, लोग अपने अधिकारों के प्रति अवेयर भी होने लगे हैं। ये बातें दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की ओर से ऑर्गनाइज वेबिनार में गोरखपुर की महिलाओं ने रखीं। इस दौरान यह बात भी सामने आई कि फीमेल्स भले ही टेक्नोलॉजी को लेकर उतनी अवेयर नहीं हैं। लेकिन अगर उन्हें थोड़ा सा अवेयर किया जाए और टेक्नोलॉजी का सही इस्तेमाल बताया जाए तो वह अपनी बातों को पूरी दुनिया के सामने रख सकती हैं.दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के एडिटोरिल हेड शिशिर मिश्र ने इस वेबिनार की रूपरेखा रखी। टेक्नोलॉजी का करें सही यूज


महिलाओं के सशक्तिकरण और उन्हें अपने अधिकारों के प्रति अवेयर करने के लिए हर साल 8 मार्च को 'इंटरनेशनल वुमेंस डेÓ सेलिब्रेट किया जाता है। इस साल का थीम है 'डिजिटऑल: इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी फॉर जेंडर इक्वेलिटीÓ रखी गई है। इसका मतलब है महिलाओं को टेक्नोलॉजी से अवेयर कर उन्हें सेल्फ डिपेंडेंट बनाया जाए। वेबिनार में महिलाओं ने बताया कि इस वक्त ज्यादातर महिलाएं टेक्नोलॉजी का सही इस्तेमाल नहीं कर रही हैं। वह इसे एक मनोरंजन के साधन के रूप में देख रही हैं। अगर वह इसका सही इस्तेमाल करें तो वह अपनी बातों को पूरी दुनिया के सामने आसानी से रख सकती हैं। इसके साथ ही अगर उनके अंदर कोई टैलेंट छिपा है तो वे उसे भी इस प्लेटफॉर्म के जरिए शोकेस कर सकती हैं। अधिकारों के प्रति अवेयरनेस जरूरीवेबिनार में महिलाओं अधिकारों पर चर्चा करते हुए महिलाओं ने कहा कि भारत में ज्यादातर महिलाएं अपने अधिकारों के प्रति अवेयर नहीं हैं। संविधान में महिलाओं के लिए बहुत से अधिकारों का प्रावधान है, जिसकी मदद से वह आसानी से अपना जीवन व्यतीत कर सकती हैं। इसके लिए सभी शिक्षित महिलाओं को एक साथ एक प्लेटफॉर्म पर आकर बाकियों को उनके अधिकारों के बारे में जानकारी दें।महिलाओं के कुछ प्रमुख अधिकार - - समान वेतन का अधिकार- गरिमा और शालीनता का अधिकार- कार्यस्थल पर उत्पीडऩ से सुरक्षा- घरेलू हिंसा के खिलाफ अधिकार- पहचान जाहिर नहीं करने का अधिकार- मुफ्त कानूनी मदद का अधिकार- रात में महिला को नहीं कर सकते गिरफ्तार- वर्चुअल शिकायत दर्ज करने का अधिकार- अशोभनीय भाषा का नहीं कर सकते इस्तेमाल- महिला का पीछा नहीं कर सकते- जीरो एफआईआर का अधिकार

प्रॉब्लम हो तो यहां करें कंप्लेंनमहिलाओं का सम्मान करिए। पुरुषों को यह समझना होगा कि सम्मान देने से ही उन्हें सम्मान मिलेगा। संविधान में दिए गए अधिकारों के प्रति महिलाओं को अवेयर होना पड़ेगा तभी वे सेल्फ डिपेंडेंट बनेंगी। दीपिका सेठभारत के संविधान में महिलाओं के लिए अभी कुछ अधिकारों को जोडऩे की जरूरत है। अवेयरनेस ना होने की वजह से ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी बहुत सारी महिलाएं उत्पीडऩ का शिकार हो रही हैं। संध्या निषाद


महिलाओं को अगर किसी तरह की भी शिकायत हो तो वे 1090 पर कभी भी कॉल करके अपनी कंपलेन रजिस्टर कर सकती हैं। इसकेअलावा हर थाने पर एक महिला हेल्प डेस्क बना है जहां एक महिला सिपाही हमेशा तैनात रहती है। साइबर क्राइम के लिए 1930 पर कॉल कर सकती हैं।सिटी के मुकाबले ग्रामीण इलाके की महिलाएं अपने अधिकारों के प्रति उतनी अवेयर नहीं हैं। उन्हें अपनी सोचने की शक्ति को बढ़ाना होगा तभी वे सेल्फ डिपेंडेंट हो सकेंगी। तनु शर्मा, सोशल वर्करमहिलाओं को हर फील्ड में अवेयर होने की जरूरत है। गांव की महिलाएं आज भी शिक्षा और सुरक्षा से दूर हैं। उन्हेंं सेल्फ डिपेंडेंट बनाने की जरूरत है। सभी को मिलकर उन्हें सपोर्ट करना होगा। अर्पिता उपाध्याय, डायरेक्टर, स्वर एकेडमीडिजिटाइजेशन से महिलाओं में अवेयरनेस बढ़ा है। दिल्ली में आयोजित बुक फेयर में मैंने देखा कि यहां बहुत सारी महिलाएं अपनी रचनाओं को लेकर आई हैं। टेक्नोलॉजी केवल एक मनोरंजन का साधन नहीं है। इसके सही इस्तेमाल से हम अपनी बातों को पूरी दुनिया तक पहुंच सकते हैं। आरती प्रियदर्शनी, लेखिका
महिलाएं अपने अधिकारों से पहले अपने कर्तव्य को बोध करें। समयबदल गया है, अब महिलाएं हर फील्ड में आगे हैं। अब नारी एक-दूसरे के प्रतिद्वंदी नहीं बल्कि एक-दूसरे की शक्ति हैं। 'जननी तुझे नमन करूं, तूं सृष्टि का भ्रमण कर, फिर तू क्यों रूदन करें, आभास कीजिए, धरा को स्वर्ग कीजिए, प्रयास कीजिए।सुधा मोदी, समाजसेवीसंविधान में ऐसे बहुत से कानून हैं जो महिलाओं को उत्पीडऩ से बचा सकती हैं। उन्हें बस शिक्षा और जागरुकता की जरूरत है। वह अपने अधिकारों को लेकर बिल्कुल भी अवेयर नहीं हैं। 'नारी भी छू सकती है आकाश, बस उसे है एक मौके की तलाशÓ।निक्की रानी, सचिव, मैसॉनिक लेडीजडिजिटल प्लेटफॉर्म ने महिलाओं के लिए रोजगार के द्वार खोल दिए हैं। उनके जीवन में बडा़ बदलाव आया है। महिलाओं को पुरूषों के बराबर कानूनी अधिकार और नारी शक्ति को सम्मान देने के लिए प्रत्येक वर्ष विश्व महिला दिवस मनाया जाता है। इसके बावजूद महिलाओं की आधी आबादी को आज भी पूरी दुनिया में बराबरी का अधिकार नहीं। चित्रा देवी, क्षेत्रीय महामंत्री, भाजपामहिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में बताना जरुरी है। गांव की महिलाएं अपने अधिकारों के बारे में अवेयर नहीं हैं। महिलाओं की शिक्षा पर अभी और जोर देने की जरुरत है। सभी शिक्षित महिलाओं को एक साथ आकर बाकियों को अवेयर करने की जरुरत है। - रुचि श्रीवास्तव, टैक्स एडवोकेट Posted By: Inextlive