International Women's Day 2023 : आधी आबादी ने की पूरी मेहनत, बनाई पहचान, मिला सम्मान
गोरखपुर (ब्यूरो)।भारत जैसे पुरुष प्रधान देश में भी महिलाओं ने अपने कौशल कार्य से अपनी अलग पहचान बनाई है। गोरखपुर की बेटियां भी किसी मायने में कम नहीं हैं। वह जो कमाल कर चुकी हैं, वह आने वाली यंग जनरेशन के लिए मिसाल है। आज दैनिक जागरण आईनेक्स्ट आपको गोरखपुर की उन महिलाओं के बारे में बता रहा है, जिन्होंने शिक्षा से लेकर खेल जगत में अपना परचम लहराया है। शिक्षा के साथ दे रहीं सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग
गोरखपुर यूनिवर्सिटी में पॉलिटिकल साइंस की प्रोफेसर डॉ। विनीता पाठक आज यंग जनरेशन के लिए एक मिसाल हैं। वह टीचर होने के साथ ही नेशनल कैडेट कॉप्र्स (एनसीसी) में मेजर भी हैं। प्रो। विनीता पाठक ने 1991 में गोरखपुर यूनिवर्सिटी में पढ़ाना शुरू किया। साल 2002 में उन्होंने बतौर केयरटेकिंग ऑफिसर एनसीसी में ज्वॉइन किया। इसके बाद 2004 में वह लेफ्टिनेंट और 2012 में कैप्टन बनीं। 2022 में एनसीसी में मेजर बनाई गईं। टीचिंग के साथ ही वह लड़कियों को सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग भी दे रही हैं। उनका कहना है कि लड़कियों को सेल्फ डिपेंडेंट होने के साथ ही सेल्फ डिफेंस करना आना चाहिए।गोरखपुर की हॉकी कोच को अर्जुन अवॉर्ड
साल 2014-15 की वेटरन कैटेगरी में रानी लक्ष्मीबाई अवॉर्ड के लिए सेलेक्ट हुईं प्रेम माया बच्चन गोरखपुर की रहने वाली हैं और स्पोट्र्स कॉलेज गोरखपुर में कोच के पद पर तैनात हैं। 1979 से 1986 तक उनका काफी सुनहरा दौर था। 1982 में उन्हें रेल मिनिस्ट्री अवॉर्ड से सम्मानित किया गया, जबकि 1985-86 में उन्हें अर्जुन अवॉर्ड मिला। 1979 में उन्होंने पहली बार कनाडा में हुई वल्र्ड चैंपियनशिप में हिस्सा लिया। इसके बाद 1980 में मॉस्को में ऑर्गनाइज ओलंपिक में भी हिस्सा लिया, जिसमें टीम इंडिया को फोर्थ प्लेस हासिल हुई। 1981 में ऑर्गनाइज हुई फोर नेशन चैंपियनशिप, जापान में हुई एशियन चैंपियनशिप, यूनिवर्सिटी चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल हासिल किया। वहीं रशिया में ऑर्गनाइज हॉकी टेस्ट सीरीज में टीम को जीत दिलाई। 1982 में नौवें एशियन गेम्स में टीम इंडिया का हिस्सा रहीं, जिसमें गोल्ड मेडल हासिल हुआ। 82 में ही जर्मनी में ऑर्गनाइज टेस्ट सीरीज में टीम को जीत हासिल हुई। 1985 में इंदिरा गोल्ड कप में टीम को गोल्ड मेडल दिलाई। 1986 में हुए एशियन गेम्स में टीम इंडिया को ब्रान्ज मेडल मिला, जिसमें भी वह टीम इंडिया का हिस्सा थीं।गोरखपुर की रंजना को रानी लक्ष्मीबाई अवॉर्ड
रानी लक्ष्मीबाई अवॉर्ड से सम्मानित रंजना गोरखपुर के आर्यकन्या इंटर कॉलेज से पढ़ी हुई हैं। उन्होंने वहीं से हॉकी की बेसिक्स सीखे और इसके बाद कड़ी मेहनत और लगन से लखनऊ के स्पोट्र्स हॉस्टल में जगह बनाने में कामयाबी पाई। 1976 से लेकर 1986 तक के एक्टिव कॅरियर के बीच उनकी कई उपलब्धियां रही हैं। स्कूलिंग से ही टैलेंटेड रही रंजना ने एशियन गेम्स में भी हिस्सा लिया और कई अहम देशों के टूर पर टीम इंडिया का हिस्सा रही हैं। 1980 में मॉस्को में हुए ओलंपिक में वह प्लेइंग टीम का हिस्सा नहीं बन सकी थी, लेकिन स्टैंड बाई के तौर पर वह जगह बनाने में कामयाब रहीं थी। मौजूदा वक्त में वह एनई रेलवे में हॉकी कोच की जिम्मेदारी संभाल रही हैं।एशियन गेम्स में दिलाया मेडल
साल 2015-16 में रानी लक्ष्मी बाई अवॉर्ड के लिए वेटरन कैटेगरी में सेलेक्ट हुई पुष्पा श्रीवास्तव भी गोरखपुर की पैदाइश हैं। गोरखपुर से स्पोट्र्स हॉस्टल में पुष्पा ने 1977 में एडमिशन लिया। वहां पर कोच बुला गांगुली के निर्देशन में हॉकी का हुनर सीखा। 17 साल की उम्र में उन्हें रेलवे में नौकरी भी मिल गई। टीम इंडिया की ओर से 1983, 85 और 87 के दौरान रूस में उन्हें टेस्ट मैच खेलने का मौका मिला। वहीं 1985 में ऑर्गनाइज हुए इंदिरा गांधी गोल्ड कप में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए उन्हें प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट चुना गया। पुष्पा की मानें तो दोनों विनिंग गोल उन्हीं की हॉकी स्टिक से निकले थे। 1984 में चीन, 85 में अर्जेंटीना और जापान में खेले गए टूर्नामेंट में उन्होंने शानदार परफॉर्मेंस दी। जर्मनी में ऑर्गनाइज 10वें एशियन गेम्स में उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया और टीम इंडिया के खाते में ब्रांज मेडल आया था। 1988 और 89 में जर्मनी के साथ दिल्ली में इंदिरा गोल्ड कप खेला था, जिसमें टीम को सिल्वर मेडल मिला था।